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Class 10th NCERT History Chapter 7 Trade and Globalisation | कक्षा 10वीं इतिहास अध्याय 7 व्यापार और भूमंडलिकरण | सभी प्रश्नों के उत्तर

Class 10th NCERT History Chapter 7 Trade and Globalisation  कक्षा 10वीं इतिहास अध्याय 7 व्यापार और भूमंडलिकरण  सभी प्रश्नों के उत्तर

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

1. प्राचीन काल में किस स्थल मार्ग से एशिया और यूरोप का व्यापार होता था ?
(क) सूती मार्ग (ख) रेशम मार्ग (ग) उत्तरी पथ (घ) दक्षिणी मार्ग 
2. पहला विश्व बाजार के रूप में कौन-सा शहर उभर कर आया ?
(क) बहरीन (ख) दिलभुन (ग) मैनचेस्टर (घ) अलेक्जेंड्रिया 
3. आधुनिक युग में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में होने वाली सबसे बड़ी क्रांति कौन-सी थी ?
(क) वाणिज्यिक क्रांति (ख) औद्योगिक क्रांति 
(ग) साम्यवादी क्रांति (घ) भौगोलिक खोज 
4. गिरमिटिया मजदुर बिहार के किस क्षेत्र से भेजे जाते थे ?
(क) पूर्वी क्षेत्र (ख) पश्चिमी क्षेत्र (ग) उत्तरी क्षेत्र (घ) दक्षिणी क्षेत्र 
5. विश्व बाजार का विस्तार आधुनिक काल में किस समय से आरम्भ हुआ ?
(क) 15वीं शताब्दी (ख) 18वीं शताब्दी (ग) 19वीं शताब्दी (घ) 20वीं शताब्दी 
6. विश्वव्यापी आर्थिक संकट किस वर्ष आरंभ हुआ था ?
(क) 1914 (ख) 1922 (ग) 1929 (घ) 1927 
7. आर्थिक संकट (मंदी) के कारण यूरोप में कौन-सी नई शासन प्रणाली का उदय हुआ ?
(क) साम्यवादी शासन प्रणाली (ख) लोकतांत्रिक शासन प्रणाली 
(ग) फासीवादी नाजीवादी शासन (घ) पूँजीवादी शासन प्रणाली 
8. ब्रेटन वुड्स सम्मलेन किस वर्ष हुआ ?
(क) 1945 (ख) 1947 (ग) 1944 (घ) 1952 
9. भूमंडलीकारण की शुरुआत किस दशक में हुआ ?
(क) 1990 के दशक में (ख) 1970 के दशक में 
(ग) 1960 के दशक में (घ) 1980 के दशक में 
10. द्वितीय महायुद्ध के बाद यूरोप में कौन-सी संस्था का उदय आर्थिक दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए हुआ ?
(क) सार्क (ख) नाटो (ग) ओपेक (घ) यूरोपीय संघ 
उत्तर- 1. → (ख), 2. → (घ), 3. → (ख), 4. → (ख), 5. → (ग), 6. → (ग), 7. → (ग), 8. → (ग), 9. → (क), 10. → (घ) |


रिक्त स्थानों की पूर्ति करें 


1. अलेक्जेंड्रिया नामक पहला विश्व बाजार ............ के द्वारा स्थापित किया गया |
2. विश्वव्यापी आर्थिक संकट ........... देश से आरंभ हुआ |
3. ........... नामक सम्मलेन के द्वारा विश्व बैंक और अंतरार्ष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना हुई |
4. आर्थिक संकट से विश्व स्तर पर ............. नामक एक बड़ी सामाजिक समस्या उदित हुआ ?
5. .......... ने 1990 के बाद भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को काफी तीव्र कर दिया |
उत्तर- 1. अलेक्जेंडर या सिकंदर, 2. संयुक्त राज्य अमेरिका, 3. सयुंक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय, 4. बेरोजगारी, 5. उदारीकरण |


सही मिलान करें स्तंभ 'क' से स्तंभ 'ख' का 


समूह 'क'

(i) औद्योगिक क्रांति 
(ii) हिटलर का उदय
(iii) विश्व आर्थिक मंदी 
(iv) विश्व बैंक की स्थापना 
(v) भूमंडलीकरण  की शुरुआत 
(vi) विश्व बाजार की शुरुआत 

समूह 'ख'

(क) जर्मनी 
(ख) इंग्लैण्ड 
(ग) 1944 
(घ) 1929 
(ङ) प्राचीन काल 
(च) 1990 के बाद 
उत्तर- (i) → (ख), (ii) → (क), (iii) → (घ), (iv) → (ग), (v) → (च), (vi) → (ङ) |


अति लघु उत्तरीय प्रश्न 


प्रश्न 1. विश्व बाजार किसे कहते हैं ?
उत्तर - जिस स्थान पर या जी बाजार में विश्व भर की सभी वस्तुएं आम लोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध रहती है उसे विश्व बाजार कहते हैं |
प्रश्न 2. औद्योगिक क्रांति क्या है ?
उत्तर - आधुनिक तरीकों से अकस्मात हुए उद्योगों के विकास को औद्योगिक क्रांति कहते हैं | परंपरागत शक्ति से हटकर नव - आविष्कारित शक्ति का उपयोग कर मशीन चलाई जाती है | जैसे वाष्प शक्ति से |
प्रश्न 3. आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर - आर्थिक संकट तब उत्पन्न होता है जब अर्थतंत्र में आने वाली वैसी स्थिति जब उसके तीनों आधार कृषि, उद्योग और व्यापार का विकास ठप पड़ जाए | इसमें लाखों - लाख लोग बेरोजगार हो जाते हैं | बैंकों का दिवाला निकल जाता है और वस्तु तथा मुद्रा दोनों की दर कम हो जाती है |
प्रश्न 4. भूमंडलीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर - भूमंडलीकरण उसे कहते हैं, जब पूरा विश्व एक बाजार के रूप में काम करने लगता है | दुनिया के सभी देश व्यापार और उद्योग की दृष्टि से आपस में पूर्णतः मिल जाते हैं |
प्रश्न 5. ब्रिटेन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर - ब्रिटेन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार की स्थिति को बनाए रखा जाए | इसी सम्मेलन के फल स्वरुप अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना हुई |
प्रश्न 6. बहुराष्ट्रीय कंपनी क्या है? 
उत्तर - अपने देश के अलावा दूसरे देशों में उद्योग लगाने वाली कंपनी को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहते हैं | वह कंपनी पूंजी तो अपनी लगती है लेकिन कच्चा माल और श्रम उसे देश विशेष से ही लेती है |


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1. 1929 के आर्थिक संकट के कर्म को संक्षेप में स्पष्ट करें? 
उत्तर - 1929 के आर्थिक संकट के कारण स्वयं वही देश थे, जिन्हें इस संकट को झेलना पड़ा | प्रथम विश्व युद्ध के चार वर्षो बाद तक यूरोप के अलावे पूरे विश्व में बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था का काफी विस्तार हुआ | उनके मुनाफे बढ़ते गए दूसरे अधिकांश लोग गरीबी और अभाव की चक्की में पीसने लगे | नई तकनीक तथा बढ़ते मुनाफा के कारण उत्पादन तो बढ़ता गया, लेकिन इस समय ऐसा आया कि उत्पादित वास्तु के खरीदार गायब हो गए | लोगों के खरीदने की क्षमता समाप्त हो गई | कृषि उत्पादन की बिक्री भी रुक गई आर्थिक संकट की यह स्थिति 1929 से 1933 तक रही |
प्रश्न 2. औद्योगिक क्रांति ने किस प्रकार विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया ?
उत्तर - औद्योगिक क्रांति ने बाजार को संपूर्ण आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया | जैसे-जैसे औद्योगिक क्रांति का विकास हुआ, बाजार का रूप विश्व व्यापी होता गया | यूरोपीय औद्योगिक देशों में 20वीं साड़ी के पहले तक सभी महादेशों में अपनी पहुंच बना ली | भले ही यह सब शक्ति के बल पर हुआ, लेकिन हुआ | सभी देश उपनिवेश हूं कि हर में आगे निकलना चाहते थे | कारण कि उन्हें कच्चे माल का दोहन तो करना ही था, तैयार माल के लिए बाजार भी आवश्यक था | इस प्रकार हम देखते हैं कि यूरोपीय देशों की प्रतिद्वंदिता ने संसार को विश्व बाजार के रूप में विस्तृत कर दिया |
प्रश्न 3. विश्व बाजार के स्वरूप को समझाइए ?
उत्तर - औद्योगिक क्रांति के प्रकार के साथ बाजार का रूप भी विश्व व्यापी होता गया | इसमें व्यापार के साथ ही श्रमिकों का पलायन और पूंजी का प्रवाह - इन तीनों आर्थिक प्रवृत्तियों का जन्म हुआ | व्यापार मुख्ता कच्चे मालों को इंग्लैंड के अलावा अन्य यूरोपीय देशों को भी भेजना और फिर वहां से तैयार माल मंगवा कर विश्व के कोने-कोने में पहुंचने तक सीमित था | श्रमिकों का प्रवाह भी हुआ | भारत और वह भी बिहार और उत्तर प्रदेश के श्रमिकों को अनुबंध के आधार पर अपने उपनिवेशों में भेजा जाने लगा | वहां यह कृषिगत कामों में लगकर गाना, चाय, तंबाकू आदि को उपजाते थे | अब बाजार स्थानीय या राष्ट्रीय न रहकर विश्व व्यापी रूप से फैल गया |
प्रश्न 4. भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के योगदान की भूमिका को स्पष्ट करें ?
उत्तर - बहुराष्ट्रीय कंपनियां ही भूमंडलीकरण का लाभ उठा सकेंगे, न की बाजार में कपड़ा या चावल दाल बेचने वाले ? बहुराष्ट्रीय कंपनियां ही विभिन्न देशों में पूंजी लगा सकती है और कारखाने लगा सकती है | उनका लाभ होता है कि उन्हें कारखाना लगाने के लिए भी जमीन मिल जाती है | कच्चा माल मिल जाता है | सस्ते श्रम की प्राप्ति हो जाती है और सबसे बड़ी बात है कि उन्हें बाजार भी मिल जाता है | वह अधिकांश उन्हें देश में कारखाना लगते हैं, जहां की जनसंख्या घनी होती है या घनी जनसंख्या वाले देश निकट होते हैं और बंदरगाह की सुविधा उपलब्ध रहती है | इस प्रकार हम देखते हैं कि भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के योगदान या उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है |
प्रश्न 5. 1950 के बाद विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर प्रकाश डालें ?
उत्तर - दो महायुद्धों के मध्य मिले आर्थिक अनुभवों से सीख लेते हुए यह हत्या किया गया कि बाजार आधारित अर्थव्यवस्था बिना उपभोग के कायम नहीं रह सकती | दूसरी बात यह थी की अर्थव्यवस्था की रीढ़, जो वास्तव में कोई-ना-कोई रोजगार के लक्ष्य हो, को तभी हासिल किया जा सकता है, जब सरकार के पास वस्तुओं, पूंजी और शर्म की आवाजाई को नियंत्रित करने की ताकत उपलब्ध हो | अतः द्वितीय महायुद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह था कि औद्योगिक के विश्व में आर्थिक स्थिरता और पूर्ण रोजगार की स्थिति को बनाए रखा जाए | साथ ही यह भी महसूस किया गया कि इसी आधार पर विश्व शांति भी स्थापित रखी जा सकती है |
प्रश्न 6. भारत पर भूमंडलीकरण के प्रभाव को स्पष्ट करें |
उत्तर- भूमंडलीकरण की प्रक्रिया 19वीं सदी के मध्य से लेकर प्रथम महायुद्ध के आरंभ तक काफी तीव्र रहा | इस दौरान तैयार माल, पूँजी और श्रम - तीनों का अंतर्राष्ट्रीय प्रवाह लगातार बढ़ता गया | भारत भी इससे अछूता नहीं रहा | भारतीय कच्चा माल तथा श्रम विश्व में, खासकर ब्रिटिश विश्व में फैलता चला गया | यहाँ जाने वाले श्रम गिरमिटिया मजदूर कहे गए | 1914 से 1991 के बीच भूमंडलीकरण की प्रक्रिया धीमी हो गई | द्वितीय महायुद्ध के बाद विश्व में स्पष्टत: दो गुट बन गए | भारत इनमे से किसी का पिछलग्गू नहीं बना | इसने निर्गुट देशों का एक तीसरा गुट बनाया, जिसका नेतृत्व ये देश ही करते थे |1991 के बाद भूमंडलीकरण की प्रक्रिया तेजी से फैली | ऐसे तो भारत में पहले से ही बहुराष्ट्रीय कंम्पनियाँ कार्यरत थीं | अब उनकी संख्या बढ़ गई | भारत के पूंजीपति भी विदेशों में पूँजी लगाने लगे | आज पूरा विश्व एक बाजार के रूप में विकसित हो गया है |
प्रश्न 7. विश्व बाजार की लाभ-हानि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें |
उत्तर- विश्व बाजार ने व्यापार और उद्योगों को द्रुतगति से बढाया, जिसमे पूंजीपति, मजदूर और मध्यवर्ग- इन तीन वर्गों का अस्तित्व सामने आया | बैंकिंग व्यवस्था का विस्तार हुआ | भारत जैसे गुलाम देशों का औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण विश्व बाजार के आलोक में ही हुआ | तम्बाकू, रबड़, नील, चाय, कॉफी, गन्ना आदि कृषिगत वस्तुओं की उपज्की वृद्धि विश्व बाजार ने ही करवाई | यह सब लाभ का पक्ष रहा | हानि रही की नकदी फसल उपजाने के चक्कर में खाद्यान की उपज्कम हो गई | इनके लिए आयात का आसरा बच गया |

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 


प्रश्न 1. 1929 के आर्थिक संकट के कारणों और परिनों को स्पष्ट करें |
उत्तर- 1929 के आर्थिक संकट का प्रमुख कारण था कृषि और उद्योग में अति उत्पादकता | उत्पादन इतना बढ़ गया की उसके खरीदारों की आर्थिक शक्ति इतनी क्षीण हो गई की उसे खरीद सकने की शक्ति उनमे नहीं थी | कारण यह था की ग्राहकों की आय के स्रोत समाप्त थे | लाखों-लाख लोगोको नौकरी से निकाल दिया गया | कई कारखाने बंद हो गए | अमेरिका के अनेक बैंक दिवालिया हो गए | सुना तो यहाँ तक जाता है की बाजार को स्थिर रखने के लिए अमेरिका ने लाखों टन गेहूँ को जला दिया | उसने ऐसा इसलिए किया की दर अधिक नीचे नहीं गिरने पावे | जिनके पास पैसा था या जो कुछ खरीद सकने की स्थिति में थे, वे बिना जरूरत भी सामान खरीद कर उपभोग करने लगे | धीरे-धीरे उनका जेब भी खाली हो गया | प्रसिद्ध अर्थशास्त्री काडलिफ़ ने अपनी पुस्तक दी कॉमर्स ऑफ़ नेशन में लिखा की विश्व के सभी भागों में कृषि उत्पादन एवं खाद्यानों के मूल्य की विकृत 1929-33 के आर्थिक संकट का मुख्य कारण थी |
आर्थिक मंदी का परिणाम तो लगभग पुरे विश्व को भुगतान पड़ा, लेकिन सबसे अधिक कुप्रभावित होने वाला देश था अमेरिका | मंदी के कारन अमेरिका बैंको ने कर्ज देना बन्द कर दिया | जो कर्ज दिया भी जा चूका था, उसकी वसूली में तेजी कर दी गई | कुछ कड़ाई भी हुई | किसानों की उपज बिकते नहीं थे, जिससे वे कंगाल हो गए | बैंकों से ऋण नहीं मिलने से व्यापार चौपट होने लगे | उधर कर्ज वसूली नहीं होने से बैंक भी कंगाल ह गए | अनेक बैंक का तो दिवाला तक निकल गया | वे पूर्णत: बंद हो गए | 1933 आते-आते 4000 से अधिक बैंक बंद हो गए | इसी प्रकार इस अवधी तक लाखों कम्पनियाँ चौपट हो गई | रूप के अलावे विश्व के सभी देशों की स्थिति कमोवेश यही थी |
प्रश्न 2. 1945 से 1960 के बीच विश्व स्तर पर विकसित होने वाले आर्थिक संबंधों पर प्रकाश डालें |
उत्तर- 1945 से 1960 के बीच विकसित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को तीन क्षेत्रों में बाँटकर हम अध्ययन करेंगे | 1945 में अभी अभी विश्व युद्ध समाप्त हुआ था | युद्ध समाप्त होते ही विश्व दो गुटों में बंट गया | एक गुट का नेतृत्व पूँजीवादी देश अमेरिका कर रहा था और दुसरे गुट का नेतृत्व साम्यवादी देश रूस कर रहा था | रूस चाहता था की अधिक से अधिक देश साम्यवादी छाते की नीचे आ जायँ, जबकि अमेरिका किसी तरह साम्यवाद को फ़ैलाने से रोकना चाहता था | रूस के लाख प्रयास के बावजूद पूर्वी यूरोप के कुछ देशों तथा एशिया में सुदूर पूर्व के देश जैसे कोरिया और वियतनाम में ही रूस को सफलता मिली | चीन में राजतंत्र था सो 1948 में वहाँ पूर्णत: साम्यवादी व्यवस्था लागू हो गई | लेकिन इसमे रूस का कोई हाथ नहीं था | वहाँ की जनता ने ही उस शासन को स्वीकार कर लिया | फिर भी फारमोसा में चान्गकाई शेक पूंजीवादी चीन का प्रतिनिधित्व करते रहा | आज भी वहाँ यही स्थिति है |
दूसरा क्षेत्र पूंजीवादी अर्थतंत्र वाला था, जिसका नेतृत्व अमेरिका करता था | अमेरिका ने अपना उद्देश्य ही बना लिया की किसी प्रकार साम्यवादी प्रभाव बढ़ने नहीं पावे | उसके प्रभाव को किसी प्रकार रोका जाय | उसके लिए चाहे जो जाय | इस क्रम में केवल कोरिया और वियतनाम में ही लाखों अमेरिका सैनिक मारे गए और और वह डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ | अमेरिका कभी-कभी जोर जबरदस्ती भी करता था | पेट्रोलियम उत्पन्न करने वाले और अब देश को विभिन्न तरह से दबाकर अपने प्रभाव में रखना चाहता था ताकि भविष्य में उसे तेल की कमी नहीं होने पावे |
तीसरा क्षेत्र निर्गुट देश का था जो ना तो पूंजीवाद और ना साम्यवाद की ओर थे | तटस्थ देश थे निर्गुट पक्ष तैयार करने में भारत का हाथ था |
प्रश्न 3. भूमंडलीकरण के कारण अम्लों के जीवन में आने वाली परिवर्तनों को स्पष्ट कीजिए |
उत्तर - भूमंडलीकरण में आर्थिक स्वरूप का स्थान महत्वपूर्ण है| मुक्त बाजार, मुक्त व्यापार, खुली प्रतिस्पर्धा, बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रसार, उद्योग तथा सेवा क्षेत्र का निजीकरण, आर्थिक भूमंडलीकरण के मुख्य तत्व है| इस प्रक्रिया का लक्ष्य है कि विश्व को एक मुक्त व्यापार क्षेत्र में बदल दिया जाए| इसमें महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठन और संस्थाओं तथा क्षेत्रीय सांडों की बड़ी भूमिका है| आज के समय में आर्थिक भूमंडलीकरण का प्रभाव आम जीवन पर साफ दिख रहा है| आज भूमंडलीकरण के कारण बीबी को पार्जन के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है| इस बदलाव की झलक शहर से गांव तक सभी जगह स्पष्ट देखा जा सकता है| छोटा बाजार हो या कस्बा, सभी जगह बदलाव दिखाई दे रहा है |
वास्तव में इस बदलाव का आरंभ 1991 के बाद ही दिखाई देने लगा था| संपूर्ण विश्व में सेवा क्षेत्र का विस्तार काफी तीव्र गति से हुआ है| इसमें जीविकोपार्जन के अनेक नए क्षेत्र सामने आए हैं, सेवा क्षेत्र का तात्पर्य वैसी आर्थिक गतिविधियों से है, जिनमें लोगों से विभिन्न प्रकार की सुविधा प्रदान करने के बदले नकट मूल्य लिया जाता है| यातायात के साधनों की सुविधा, बैंकिंग व्यवस्था तथा बीमा क्षेत्र में दी जाने वाली सुविधा तो है ही, दूरसंचार और सूचना तकनीक, होटल और रेस्टोरेंट, बड़े शहरों में शॉपिंग मॉल, कॉल सेंटर इत्यादि की सुविधा अब लगभग सर्वत्र उपलब्ध है |
यातायात में बस, रेल, टैक्सी, हवाई जहाज है तो दूरसंचार में मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इंटरनेट है| शॉपिंग मॉल उसे स्थान को कहते हैं, जहां एक ही छत के नीचे आवश्यकता की सारी वस्तुएं मिल जाती है| कॉल सेंटर वह स्थान है जहां किसी कंपनी से संबंधित सभी क्रियाकलापों के विषय में फोन या इंटरनेट पर जानकारी मिल जाती है| यह सभी क्षेत्र भूमंडलीकरण के दौरान काफी तेजी से फैले हैं| इसे लोगों को जीव कोपार्जन के अनेक नए अवसर मिले हैं |
प्रश्न 4. 1919 से 1945 के बीच विकसित होने वाले राजनीतिक और आर्थिक संबंधों पर टिप्पणी लिखें |
उत्तर - प्रथम महायुद्ध 1918 में समाप्त हुआ | यह युद्ध कुछ देशों को खुशहाल बनाया तो किसी किसी को कंगाल बना दिया | सबसे आर्थिक हानि तो जर्मनी की हुई | वरसाई की संधि में मित्र देशों ने उसे पर इतना हार जाना लगाया कि उसकी कमर टूट गई | आर्थिक के अलावा राजनीतिक रूप से भी वह पंगु बन गया | मित्र देशों के साथ लड़ने वाले इटली की भी हालत कुछ अच्छी नहीं थी | विजय के बावजूद उसे कुछ नहीं मिला, जिससे वह राजनीतिक और आर्थिक दोनों रूपों से कुंठित रहने लगा | परिणाम हुआ कि इटली में फासीवाद और जर्मनी में नाजीवाद को बढ़ाने से कोई रोक नहीं सका | 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति तक फासीवाद तथा नाजीवाद के चलते लोग तबाही में पड़ते रहे |
लेकिन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद 1929 में जो आर्थिक मंदी आई, उसने रूस और फ्रांस को छोड़ सारे विश्व को अपने चपेट में ले लिया | हुआ यह की युद्ध के चलते युद्ध में संलग्न सभी देश अपने-अपने कारखाने के उपयोगी वस्तुओं को बनाना छोड़ युद्ध हथियार बनाने में लग गए | परिणाम हुआ कि आवश्यक वस्तुओं का बाजार में भारी कमी दिखाई देने लगी | युद्ध के बाद कारखाने आवाज गति से उपभोक्ता वस्तुओं को बनाने लगे दूसरी ओर युद्ध की समाप्ति के बाद फौज में छठ आया का क्रम जारी रहा | इससे विश्व में बेकारों की एक फौज खड़ी हो गई | कारखाने में सामान तो बने, किंतु बिके नहीं, इससे स्टॉक जमा हो गया और पूंजी की कमी हो गई | इससे 29 और 29 में भारी आर्थिक मंदी आई | औद्योगिक वस्तुओं के साथ कृषिगत वस्तुओं का बिकना भी बंद हो गया | किसी प्रकार अमेरिका के प्रयास से इस मंदिर पर काबू पाया गया |
पुण: 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छेड़ गया जो 1944 तक चला | इस युद्ध में यूरोपीय देशों का कस्टमर निकाल दिया | वह इतने कमजोर हो गए कि उनके सभी उपनिवेश एक-एक कर स्वतंत्र हो गए |
प्रश्न 5. दो महायुद्धों के बीच और 1945 के बाद अपनी बेसिक देशों में होने वाले राष्ट्रीय आंदोलन पर एक निबंध लिखें |
उत्तर - प्रथम महायुद्ध ने यूरोप की अर्थव्यवस्था होता है नहस कर दिया| उसे समय विश्व में ब्रिटेन ही था जो विश्व के अर्थ तंत्र को नियंत्रित और संचालित कर सकता था| लेकिन युद्ध के कारण वह स्वयं जर्जर हो चुका था| उसके सभी आर्थिक साधन पूर्णत नष्ट हो चुके थे| यूरोप के अन्य महत्वपूर्ण अर्थतंत्र जर्मनी, फ्रांस, इटली इत्यादि भी बहुत को प्रभावित हुए| इनमें से जर्मनी को तो बरसाई की संधि द्वारा पूर्णता पंगु बना दिया गया, जबकि फ्रांस जर्मनी से इतनी जमाने की रकम मिल गई कि उसे पर किसी प्रकार का कुप्रभाव नहीं पड़ा| इटली को युद्ध से कोई लाभ नहीं हुआ, जबकि उसे बहुत आर्थिक हानि उठानी पड़ी थी| इसके विपरीत संयुक्त राज्य अमेरिका तथा औपनिवेशिक देश का अर्थ तंत्र काफी मजबूत हो गया| भारत में इसी समय कपड़ा, जुट, खनन, लोहा आदि क्षेत्रों में काफी विकास हुआ| इसमें भारतीय उद्योगपतियों टाटा, बिरला, गोदरेज, जमनालाल बजाज, डालमिया आदि इसी विकास की उपज है |
प्रथम महायुद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूरोपीय अर्थव्यवस्था को संभालने का काफी प्रयास किया किंतु 1929 आते-आते वह स्वयं एक बड़ी आर्थिक मंदी में फस गया| उसके लाखों कारखाने बंद हो गए| हजारों बैंक दिवालिया हो गए| अमेरिका ही नहीं सारा विश्व भारी आर्थिक मंदी में घिर गया |
एक और यूरोपीय देश आर्थिक मंदी से जूझ रहे थे तो दूसरी ओर उनके उपनिवेशों में स्वतंत्रता प्राप्ति के प्रति एक लहर चल पड़ी| आंदोलन तेज से तेजतर होते गए| एशिया में न केवल भारत बल्कि हिंद चीन के देशों में भी आंदोलन तेज हो गए| दक्षिण अफ्रीका भी रंगभेद की नीति समाप्त कर बराबरी का हक मांगने लगा| अफ्रीका में और यह भी यूरोपीय उपनिवेश के देश स्वतंत्र होने के लिए छटपटाना लगे| तुर्की में कमाल पाशा का उदय और खलीफा का प्रथम युद्ध के तुरंत बाद पतन हो चुका था |

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