अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
1. सामंती व्यवस्था से हटकर किस प्रकार की शहरी व्यवस्था की प्रवृति बढ़ी ?
(i) प्रगतिशील प्रवृति (ii) आक्रामक प्रवृति
(iii) रुढ़िवादी प्रवृति (iv) शोषणकारी प्रवृति
2. शहर को आधुनिक व्यक्ति का किस प्रकार का क्षेत्र माना जाता है ?
(i) सिमित क्षेत्र (ii) प्रभाव क्षेत्र
(iii) विस्तृत क्षेत्र (iv) अथवा सभी
3. स्थायी कृषि प्रभाव से कैसा जमाव संभव हुआ ?
(i) सम्पति (ii) ज्ञान
(iii) शांति (iv) बहुमूल्य धातु
4. प्रतियोगिता एवं उद्यमी प्रवृति से प्रेरित अर्थव्यवस्था लागु की हुई
(i) जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था (ii) मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था
(iii) शिथिल अर्थव्यवस्था (iv) एवं सभी
5. आधुनिक काल में औद्योगीकरण ने किसके स्वरूप को गहन रूप से प्रभावित किया ?
(i) ग्रामीणकरण (ii) शहरीकरण
(iii) कस्बों (iv) बंदरगाहों
6. जनसँख्या का घनत्व सबसे अधिक कहाँ होता है ?
(i) ग्राम (ii) कस्बा (iii) नगर (iv) महानगर
7. 1810 से 1880 ई० तक लंदन की आबादी 10 लाख से बढ़कर कहाँ तक पहुँची ?
(i) 20 लाख (ii) 30 लाख (iii) 40 लाख (iv) 50 लाख
8. लंदन में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा कब लागु हुई ?
(i) 1850 (ii) 1855 (iii) 1860 (iv) 1870
9. कौन-सा सामाजिक वर्ग बुद्धिजीवी वर्ग के रूप में उभर कर आया ?
(i) उद्योगपति वर्ग (ii) पूंजीपति वर्ग (iii) श्रमिक वर्ग (iv) मध्यम वर्ग
10. पूंजीपति वर्ग के द्वारा किस वर्ग का शोषण हुआ ?
(i) श्रमिक वर्ग (ii) मध्यम वर्ग (iii) कृषक वर्ग (iv) सभी वर्ग
उत्तर- 1. → (iv), 2. → (ii), 3. → (i), 4. → (ii), 5. → (ii), 6. → (iv), 7. → (iii), 8. → (iv), 9. → (iv), 10. → (i)|
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1. शहरों के विस्तार में भव्य .......... का निर्माण हुआ |
2. लंदन भारी संख्या में ........... को आकर्षित करने में सफल रहा |
3. शहरों में रहने वाले ............. से सिमित थे |
4. ............ देशों में नगरों के प्रति रुझान देखा जाता है |
5. .............. के द्वारा निवास तथा आवासीय पद्धति, जन यातायात के साधन, जन स्वास्थ्य इत्यादि के उपाय किये गए |
उत्तर- 1. परकोटों, 2. प्रवासियों, 3. बाध्यताओं, 4. औद्योगिक, 5. स्थानीय निकायों |
समूहों का मिलान
समूह 'अ'
(i) मैनचेस्टर लंकाशायर शेफिल्ड
(ii) चिकित्सक
(iii) प्रतियोगी मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था
(iv) बम्बई
(v) पेरिस
समूह 'ब'
(क) नगर
(ख) वाणिज्यिक राजधानी
(ग) बेरान हांसमान
(घ) मध्यम वर्ग
(ङ) औद्योगिक नगर
उत्तर- (i) → (ङ), (ii) → (ग), (iii) → (क), (iv) → (ख), (v) → (घ)|
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. किन तीन प्रक्रियाओं के द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई ?
उत्तर- अग्रलिखित तीन प्रक्रियाओं के द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्याणक रूप से हुई : (i) औद्योगिक पूँजीवादी का उदय (ii) विश्व के विशाल भू-भाग पर औपनिवेशिक शासन की स्थापना तथा (iii) लोकतांत्रिक आदर्शों का विकास |
प्रश्न 2. समाज का वर्गीकरण ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में किस भिन्नता के आधार पर किया जाता है ?
उत्तर- समाज का वर्गीकरण ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में निम्नलिखित भिन्नता के आधार पर किया जाता है :
(i) जनसंख्या का घनत्व तथा कृषि आधारित क्रियाओं का अनुपात |
(ii) कृषि में संलग्न लोगों का ही नगरों की ओर बढ़ना एक गतिशील मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था पर आधारित रहता है | वहाँ के लोग उद्यमी प्रवृति के होते है |
प्रश्न 3. आर्थिक तथा प्रशासनिक सन्दर्भ में ग्रामीण तथा नगरीय बनावट के दो प्रमुख आधार क्या है ?
उत्तर- (i) जनसंख्या का घनत्व तथा कृषि आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात | ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक हस्तक्षेप बहुत कम होता है |
(ii) आधुनिक काल में औद्योगीकरण ने नगरीय बनावट को गहन रूप से प्रभावित किया है | नगरीय क्षेत्र में प्रशासनिक हस्तक्षेप अधिक होता है |
प्रश्न 4. गाँव के कृषिजन्य आर्थिक क्रियाकलापों की विशेषता दर्शाइए |
उत्तर- गाँवों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि संबंधी व्यवसाय से जुड़ा है | अधिकांश वस्तुएं कृषि उत्पाद कृषि उत्पाद ही होती है, जो इनकी आय का प्रमुख स्रोत होता ई | इतना ही नहीं, ग्रामीण अपने उत्पाद से ही अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेते है | कपास उपजाकर वे अपनी वस्त्र की समस्या भी हल कर लेते है | अत: एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था मूलतः जीवननिर्वाहक अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर आधारित होती है |
प्रश्न 5. शहर किस प्रकार की क्रियाओं के केंद्र होते है ?
उत्तर- शहर मुख्यतः आर्थिक क्रियाओं के केंद्र होते है | दस्तकार और कारीगर शहरों में बसे होते है | प्रशासनिक व्यवस्था भी अधिकतर शहरों में ही सुदृढ़ पाई जाती है | अत्यधिक श्रम और श्रम विभाजन ने व्यवसायिक विशिष्टता जो जन्म दिया | शहरों में आकर एकत्र होने वाले लोग वास्तव में गाँव के ही होते है, जो शहरी चमक-दमक से आकर्षित होकर शहर में पहुँच जाते है | औद्योगीकरण ने शहरीकरण को जन्म दिया |
प्रश्न 6. नगरीय जीवन एवं आधुनिकता एक-दुसरे से अभिन्न रूप से कैसे जुड़े हुए है ?
उत्तर- नगरीय जीवन एवं आधुनिकता वास्तव में एक-दुसरे की अन्त्र्भिव्यक्ति है | नगरों को आधुनिक व्यक्तियों का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है | सघन जनसँख्या वाले नगर कुछ मनीषियों को ही अवसर प्रदान करते है | लेकिन इन बाध्यताओं के बावजूद समूह पहचान के सिधांत को आगे बढ़ाते है, जो कई कारणों से नगरीय जीवन का पूर्ण प्रतिनिधित्व करते है | कम स्थान में अधिक लोगों का जमाव पहचान को और अधिक तीव्र करता है |
प्रश्न 7. नगरों में विसेशाधिकार प्राप्त वर्ग अल्पसंख्यक है | ऐसी मान्यता क्यों बनी है ?
उत्तर- लन्दन अगर एक ओर मनीषियों और धनि लोगो का शहर था तो दुसरे ओर यह भी सत्य था की ऐसे अवसर केवल कुछ व्यक्तियों को ही प्राप्त थे, जो सामाजिक तथा आर्थिक विशेषाधिकार प्राप्त अल्पसंख्यक वर्ग के थे | ये पूर्णत उन्मुक्त तथा संतुष्ट जीवन जी सकते थे | चूँकि अधिकतर व्यक्ति, जो शहरों में रहते थे, बाध्यताओं में सिमित थे तथा उन्हें सापेक्षित स्वतंत्रता प्राप्त नहीं थी | एक ओर गरीबी थी तो दूसरी ओर बाह्य चमक-दमक | इसी कारण यह मान्यता बनी की नगरों में विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग अल्पसंख्यक है |
प्रश्न 8. नागरिक अधिकारों के प्रति एक नई चेतना किस प्रकार के आन्दोलन या प्रयास से आई ?
उत्तर- शहरों की बढ़ती आबादी को कोई नागरिक सुविधाएँ प्राप्त नहीं थी | इन सुविधाओं को बढ़ना या बढ़वाने के लिए नई चेतना लानी आवश्यक थी | इसके लिए अनेक आन्दोलन हुए, जिनमे चार्डिंग आन्दोलन तथा दस घंटे का आन्दोलन प्रसिद्ध है | यद्धपि ये आन्दोलन कारखाना में काम करने वाले मजदूरों से सम्बन्ध थे, किन्तु इनकी सफलता से नागरिक अधिकारों के प्रति भी एक नई चेतना का विकास हुआ |
प्रश्न 9. व्यावसायिक पूंजीवादी ने किस प्रकार नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया है ?
उत्तर- उद्योगों में पूंजी लगाने वाले वे ही लोग थे, जो व्यापार-व्यवसाय से काफी पूंजी एकत्र कर चुके थे | ये जहाँ अपना व्यवसाय करते थे, पहले वह तो गाँव ही था, बाद में क़स्बा बन गया | क़स्बा ही विकसित होकर नगर के रूप में बदल गए | वहाँ सीधी और सपाट सड़कें बनी, आगंतुकों के आवास के लिए धर्मशालाएं बनी | धीरे-धीरे वह नगर किसी खास वस्तु के व्यवसाय का केंद्र बन गया | अत: स्पष्ट है की व्यावसायिक पूंजीवाद ने ही नगरों के उद्भव में अपना योगदान किया |
प्रश्न 10. शहरों के उदभव में मध्यमवर्ग की भूमिका किस प्रकार की रही ?
उत्तर- शहरों के उद्भव में मध्यम वर्ग की भूमिका बहुत ही सशक्त रही | वास्तव में शहरों के उद्भव ने ही मध्यम वर्ग को शक्तिशाली बनाया | शिक्षित वर्ग के वे लोग, जिन्हें बुद्धिजीवी वर्ग भी कहा गया, विभिन्न रूपों में कार्यरत थे | कोई शिक्षक था तो कोई डॉक्टर, कोई वकील था तो कोई जज | इसी तरह इंजिनियर, कलर्क, एकाउंटेंट | लेकिन इनके जीवन मूल्य लगभग समान थे | ये न तो अत्यधिक धनि थे और न अत्यधिक निर्धन | इनमे कुछ तो वेतन भोगी थे तो कुछ ठेकेदार | शहरों के विकास में इनका महत्वपूर्ण हाथ था |
प्रश्न 11. श्रमिक वर्ग का आगमन शहरों में किन परिस्थितियों में हुआ ?
उत्तर- शहरों में फैक्ट्री प्रणाली की स्थापना के साथ ही श्रमिक का वहाँ आना आरम्भ हो गया | इनमे अधिकांश भूमिहीन कृषक-मजदूर थे, जो अधिक और नगद आय की लालसा से अपने गृह गाँव से पलायन कर शहरों में आने लगे | वास्तव में गाँवों में कृषि कार्य की मजदूरी में अनाज ही मिलता था | इस कारण उनकी बहुत-सी आवश्यकताएँ अतृप्त ही रह जाती थी | लेकिन शहरों में आकर वे फैक्ट्री-श्रमिक बनकर नकद आय प्राप्त करने लगे | इससे इनको लगा की इनकी सुविधाएँ बढ़ने लगी है |
प्रश्न 12. शहरों ने किन नई समस्याओं को जन्म दिया ?
उत्तर- शहरों में श्रमिकों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ते हुए अत्यधिक हो गई | सरकार में लोकभावना अभी पनपी नहीं थी | इस कारण शहरों में अनेक समस्याओं का जन्म हुआ | एक तो बेरोजगारी में वृद्धि होने लगी | दुसरे नवआगंतुकों के लिए आवास की समस्या | शौचालयों या स्नानघरों की भी कमी थी | कहीं-कहीं तो पेयजल की समस्या भी थी | स्वास्थ्य सम्बन्धी भी कोई अच्छी व्यवस्था नहीं थी | श्रमिक ने अपने हितों की रक्षा के लिए श्रमिक संघ बनाए | सरकार भी चेती और संसद ने कुछ फैक्ट्री नियम बनाए | श्रमिक का वेतन बढ़ा तथा काम के घंटे भी सिमित हुए |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. शहरों के विकास की पृष्ठभूमि एवं उसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालें |
उत्तर- प्राचीन काल में शहरों का विकास एका-एक नहीं हो जाता था, जैसा की आज होता है | पहले गाँव ही धीरे-धीरे विकसित होकर शहर बनते थे | इस क्रम में पहले उसे बाजार और बाजार से कस्बों में बदलता होता था | आज तो कहीं वीरान में कोई बड़ा कारखाना लगा नहीं की शीघ्र ही वह स्थान शहर का रूप ले लेता है | जमशेदपुर, बोकारो, सिंदरी, बरौनी आदि इनके ताजा उदहारण है |
शहरों में भव्य बहुमंजिले भवन होते है तो झुग्गी-झोपड़ियों की भी कमी नहीं होती | आज के शहर कंकरीट के जंगल के रूप में फैल रहे है | शहरों में व्यस्त उधमियों की अधिकता होती है | शहर नए राजमार्गों से जोड़े जाते है | वहाँ कहीं से कहीं तक जाने वाली सड़कें मिल जाती है | अब शहर रेलमार्ग तथा हवाई मार्ग से भी जुड़ गए है |
इतना तो सही है की शहर का आरम्भ पहले धर्म स्थान से शुरू होकर वस्तुओं की खरीद-बिक्री से होते हुए कारखानों तक पहुँच गए | यहाँ शिक्षण संस्थानों के एकत्रीकरण से भी शहरों का विकास होता है | शहरों के साथ अच्छाइयाँ है तो बुराइयाँ भी है | यहाँ आवास की समस्या है | शौचालयों की कमी है | धनि वर्ग है तो गरीबों की भी कमी नहीं है |
प्रश्न 2. ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बिच की भिन्नता को स्पष्ट करें |
उत्तर- ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच काफी भिन्नता है | गाँवों में जहाँ शांति का माहौल रहता है वहीँ नगरों में भीड़-भाड़, हल्ला-गुल्ला, चिल्लपों मचा रहता है | गाँव के लोग जो काम करते है उसे स्थिर मिजाज से करते है, लेकिन नगर में सब काम हड़बड़ी में होते है | गाँवों में एक-दुसरे के प्रति अपनापन का भाव होता है, जबकि नगरों में पड़ोसी-पड़ोसी को भी नहीं जानता | यदि जानता भी है तो एक-दुसरे के ख़ुशी-गम में सम्मिलित होने का उन्हें समय ही नहीं रहता | गाँवों में एक-दुसरे की ख़ुशी और गम में सम्मिलित होना कर्त्तव्य माना जाता है |
गाँवों में 10-15 किलोमीटर पैदल चलकर गंतव्य तक पहुंचना कोई भारी काम नहीं माना जाता जबकि नगरों में थोड़ी दूर के लिए भी सवारी की आवश्यकता महसूस की जाती है |गाँवों में आज भी दुसरे का बनाया लोग नहीं खाते जबकि नगरों में लोग सालों-साल होटलों के खाने पर ही गुजारा कर लेते है | गाँवों के लोग अधिकतर धार्मिक स्वभाव के होते है जबकि नगरों में धार्मिकता कुछ ढीली रहती है | गाँव के लोग सादा जीवन और उच्च विचार के होते है, ठीक इसके विपरीत नगरों में तड़क-भड़क, दिखावटीपन तथा छल-प्रपंच का बोलबाला कहीं भी देखा जा सकता है | गाँव में प्राकृतिकता है तो नगरों में कृत्रिमता है | गाँव में कृषि है, अन्न है, फल है, सब्जियाँ है, दूध है, दही है, घी है तो नगरों में उद्योग है, व्यापार है और पैसा है, धन है | गाँवों में कृषिगत वस्तुओं की बाते होती है तो नगरों में धन और बैंक की बाते होती है |
प्रश्न 3. शहरी जीवन में किस प्रकार के सामाजिक बदलाव आए ?
उत्तर- शहरों का सामाजिक जीवन आधुनिकता से ओत-प्रोत था |गाँव से यह सर्वदा भिन्न था | चाहे जैसा भी हो, शहरों को आधुनिक व्यक्ति का प्रभाव क्षेत्र मान लिया जाता है | शहर सघन जनसंख्या के ऐसे स्थल है, जहाँ मनीषियों के लिए अवसर मिलता है | लेकिन वास्तव में देखें तो वह यह अवसर कुछ लोगों को प्राप्त होता है | इन बाध्यताओं के बावजूद शहर समूह-पहचान के सिद्धांत को आगे बढ़ाते है |
शहर नृजाती, प्रजाति, जाती,धर्म, प्रदेश तथा समूह शहरी जीवन का पूर्ण प्रतिनिधित्व करते है |यहाँ कम स्थान में अधिक लोगों के जमाव पहचान को और तीब्र करता है तथा उनमे एक ओर सहास्तित्व की भावना को उत्पन्न करता है तो दूसरी ओर प्रतिरोध का भाव भी उत्पन्न करता है | यदि एक ओर सहआस्तित्व की भावना है तो दूसरी ओर पृथक्करण की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप मिली-जुली प्रतिवेशी एकल समुदाय बदलने के उपाय किए गए | इस प्रकार से जो मुहल्ले बने वे (लन्दन में) घेटो कहलाए |
गाँव से शहरों में आए लोगों से समूह बने | सभी वर्ग के लोग बड़े शहरों की ओर बढ़ने लगे | शहरी सभ्यता ने पुरुषों के साथ महिलाओं में भी व्यक्तिवाद की भावना को उत्पन्न किया तथा परिवार की उपादेयता और स्वरूप को पूर्ण रूप से बदल दिया |जहाँ के पारिवारिक संबंध अबतक बहुत मजबूत थे, वहीँ अब वे बंधन ढीले पड़ने लगे | वहाँ महिलाओं के अधिकारों के लिए आन्दोलन चलाए गए | उनके लिए मताधिकार आन्दोलन या विवाहित महिलाओं को सम्पत्ति में अधिकार दिलाने के लिए आन्दोलन चलाए गए | 1870 के बाद महिलाए राजनीति में हिस्सा लेने लगी |
प्रश्न 4. शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसायी वर्ग, मध्यम वर्ग एवं मजदूर वर्ग की भूमिका की चर्चा कीजिए |
उत्तर- व्यवसायी वर्ग - गाँवों के व्यवसायी, जो व्यापार से धन एकत्र कर चुके थे, उद्योगों के बढ़ने पर अपनी पूँजी के साथ नगरों में आने लगे | इसका प्रमुख कारण था व्यावसायिक पूंजीवाद का उदय | व्यापक स्तर पर व्यापार, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था, शहरीकरण जिसमे काम के बदले वेतन या मजदूरी का नगद भुगतान, एक गतिशील एवं प्रतियोगी अर्थव्यवस्था, स्वतंत्र उद्यम, मुनाफे कमाने की प्रवृति, मुद्रा, बैंकिंग, साख, बीमा, अनुबंध, कंपनी साझेदारी, जॉइंट स्टोक,एकाधिकार आदि पूँजीवादी व्यवस्था के कारन पूँजिपति व्यवसायी एक सामाजिक शक्ति के रूप में समझे जाने लगे |
मध्यम वर्ग - मध्यम वर्ग का स्थान पूंजीपतियों या उद्योगपतियों तथा श्रमिकों के बीच था | शहरीकरण ने इन्हें काफी शक्तिशाली बना दिया | ये विभिन्न पेशों से संबंधित थे |अध्यापक, प्राध्यापक, डॉक्टर, वकील, जज, विभिन्न कार्यालयों के बाबू और कर्मचारी आदि सभी मध्यम वर्ग में ही आते थे | इन्हें बुद्धिजीवी समझा जाता था | अर्थात ये अपनी बुद्धि की कमाई खाते थे | उद्योगों में व्यवस्था विभाग हो या दुकानों के कर्मचारी सभी मध्यम वर्ग में ही आते थे | शहरीकरण में इनकी भी भूमिका रही है |
श्रमिक वर्ग - पूंजीपति, उद्योगपति हो या मध्यमवर्ग के लोग सबके बोझ को संभालने वाले श्रमिक ही थे | श्रमिक वास्तव में गाँवों के निवासी थे, लेकिन जहाँ-जहाँ उद्योग स्थापित होते गए वहाँ-वहाँ ये श्रमिक बिन बुलाए ही पहुँचने लगे | गाँवों से शहरों में इन्हें अधिक और अच्छी आय की आशा थी | लेकिन आय तो थी, लेकिन इन्हें दिन भर खटना पड़ता था | बाद में जब इन्होने अपने ट्रेड यूनियन बनाए तब इनके काम के घंटे तय हो गए |
प्रश्न 5. एक औपनिवेशिक शहर के रूप में बम्बई शहर के विकास की समीक्षा कीजिए |
उत्तर- जिस प्रकार यूरोप में शहरों का विकास तेजी हुआ उसके विपरीत भारतीय शहर धीरे-धीरे विकसित हुए | उनमे पहला वाणिज्यिक शहर बम्बई था | उन्नीसवीं सदी के अंत में बम्बई का विकास तेजी से होने लगा | वास्तव में यह शहर टापुओं का शहर था | उन सब को मिलाना पड़ा | इतना जहमत इस लिए उठाना पड़ा क्योंकि यह एक बंदरगाह वाला शहर भी था | कारखाने-पर-कारखाने बनते जा रहे थे | टापुओं को भरने से इतनी जगह निकली की वह एक विशाल शहर बन गया | बम्बई प्रान्त की राजधानी तो थी ही, वाणिज्यिक राजधानी के रूप में जानी जाने लगी | बम्बई नाम मुंबई है |
बम्बई के प्रमुख बंदरगाह होने के नाते यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केंद्र बन गया |यहाँ से कपास और अफीम का निर्यात होता था | इस कारण केवल व्यापारी और महाजन बल्कि कारीगर एवं दुकानदार भी बम्बई में बस गए | कपड़ा के मीलों के खुलने पर अधिकसंख्य श्रमिक यहाँ पहुँचने लगे | तारीफ यह की हो यहाँ आता था, उसे अवश्य ही काम मिल जाता था | पहली कपड़ा मिल 1854 में खुली, वहीँ 1921 के आते-आते कपड़ा मीलों की संख्या 85 हो गई | अब कुल मिलाकर उनमे 1,44,000 श्रमिक काम कर रहे है |
लन्दन की तरह बम्बई भी घनी आबादी वाला शहर बन गया | 1840 में लन्दन का क्षेत्रफल प्रति व्यक्ति 155 वर्ग गज था, जबकि बम्बई का क्षेत्रफल प्रति व्यक्ति मात्र 9.5 गज था | 1872 में लन्दन में प्रति मकान में औसतन 8 व्यक्ति रहते थे वहीँ बम्बई में 20 व्यक्ति रहते थे | आरम्भ में गोरों और कालों की आबादी अलग-अलग थी | यह नस्ली विभाजन अन्य प्रेसिडेंसी शहरों में भी थी, बल्कि कलकत्ता में तो और भी अधिक विभेद था |
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