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Class 10th NCERT History Chapter 4 Nationalism in India | कक्षा 10वीं इतिहास अध्याय 4 भारत में राष्ट्रवाद | सभी प्रश्नों के उत्तर

Class 10th NCERT History Chapter 4 Nationalism in India  कक्षा 10वीं इतिहास अध्याय 4 भारत में राष्ट्रवाद  सभी प्रश्नों के उत्तर

अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

1. ग़दर पार्टी की स्थापना किसने और कब की ?
(क) गुरदयाल सिंह, 1916 (ख) चंद्रशेखर आजाद, 1920 
(ग) लाला हरदयाल, 1913 (घ) सोहन सिंह भाखना, 1918 
2. जलियाँवाला बाग हत्याकांड किस तिथि को हुआ ?
(क) 13 अप्रैल, 1919 ई० (ख) 14 अप्रैल, 1919 ई०
(ग) 15 अप्रैल, 1919 ई० (घ) 16 अप्रैल, 1919 ई०
3. लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ ?
(क) 1916 (ख) 1918 (ग) 1920 (घ) 1922 
4. असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ ?
(क) सितम्बर 1920, कलकत्ता (ख) अक्तूबर 1920, अहमदाबाद 
(ग) नवम्बर 1920, फैजपुर (घ) दिसंबर 1920, नागपुर 
5. भारत में खिलाफत आन्दोलन कब और किस देश के शासक के समर्थन में शुरू हुआ ?
(क) 1920 तुर्की (ख) 1920 अरब 
(ग) 1920 फ्रांस (घ) 1920 जर्मनी  
6. सविनय अवज्ञा आन्दोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुआ ?
(क) 1920 भुज (ख) 1930 अहमदाबाद 
(ग) 1930 दांडी (घ) 1930 एल्बा 
7. पूर्ण स्वराज्य की मांग का प्रस्ताव कांग्रेस के किस वार्षिक अधिवेशन में पारित हुआ ?
(क) 1929 लाहौर (ख) 1931 कराँची 
(ग) 1933 कलकत्ता (घ) 1937 बेलगाँव 
8. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब और किसने की ?
(क) 1923, गुरु गोलवलकर (ख) 1925, के० बी० हेडगेवार 
(ग) 1926, चितरंजन दस (घ) 1928, लालचंद 
9. बल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किस किसान आन्दोलन के दौरान दी गई ?
(क) बारदोली (ख) अहमदाबाद (ग) खेड़ा (घ) चंपारण 
10. रम्पा विद्रोह कब हुआ ?
(क) 1916 (ख) 1917 (ग) 1918 (घ) 1919 
उत्तर - 1. (ग), 2. (क), 3. (क), 4. (क), 5. (क), 6. (ग), 7. (क), 8. (ख), 9. (क), 10. (क) |


रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. बाल गंगाधर तिलक और ............ ने होमरूल लीग आन्दोलन को शुरू किया |
2. ............ भारत में खिलाफत आन्दोलन के नेता थे |
3. ............. फरवरी ............. को ........... आन्दोलन स्थगित हो गया |
4. साइमन कमीशन के अध्यक्ष .............. थे |
5. .......... में ........... कर के विरोध में आंदोन आरम्भ हुआ |
6. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष ............ थे |
7. ............ अप्रैल ............ को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन ............ हुआ |
8. उड़ीसा में .............. में ............... विद्रोह हुआ |
उत्तर - 1. एनीबेसेंट, 2. महात्मा गाँधी, 3. 12 ; 1922 ; असहयोग, 4. सर जॉन साइमन, 5. फरवरी 1928 ; कृषि, 6. व्योमेशचंद्र बनर्जी, 7. 11; 1936, 8. 1914 ; खोंड़ |


अति लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. खिलाफत आन्दोलन क्यों हुआ ?
उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की ब्रिटेन के विरोध में लड़ रहा था, जिसमें उसकी करारी हार हुई | ब्रिटेन ने उसके साम्राज्य, उस्मानिया साम्राज्य का विघटन कर दिया | तुर्की बस तुर्की में ही सिमट कर रह गया | मूस्लिम जगत को यह नागवार लगा, क्योंकि तुर्की का खिलाफत मुस्लिम विश्व का धर्म गुरु था | उसी के पक्ष में खिलाफत आन्दोलन हुआ |
2. रोलेट एक्ट से आप क्या समझते है ?
उत्तर- भारत में अंग्रेजी शासन के विरोध में बढ़ रहे असंतोष को दबाने के लिए लार्ड चेम्सफोर्ड ने सिडनी रौलेट की अध्यक्षता में एक सिमित नियुक्त की | समिति ने निरोधात्मक एवं दंडात्मक विधेयक लाने का सुझाव दिया | इसके आधार पर जो विधेयक पारित हुआ उसी को रोलेट एक्ट कहा गया | यह एक्ट बड़ा क्रूर था, जिसका देश भर में विरोध हुआ |
प्रश्न 3. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर- दांडी यात्रा का उद्देश्य था ब्रिटिश कानून की धज्जियाँ उड़ाना | दांडी पहुंचकर 6 अप्रैल, 1930 को गांधीजी ने समुद्र के पानी से नमक बनाकर कानून का उलंघन किया और अपनी गिरफ्तारी दी | इसके बाद देश भर में नमक बनाया जाने लगा | नमक बनाने वाले गिरफ्तारी देते रहे | गांधीजी का यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन सफल था |
प्रश्न 4. गाँधी इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था ?
उत्तर- सविनय अवज्ञा आन्दोलन की सफलता ने अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया | उन्होंने समझौता वार्ता का प्रस्ताव रखा || इसी सन्दर्भ में गाँधी-इरविन फैक्ट हुआ | इसे दिल्ली समझौता के नाम से भी जाना जाता है | इस समझौता के अनुसार गाँधीजी ने 5 मार्च, 1931 को आन्दोलन समाप्त कर दिया और गोलमेज सम्मेलन में जाना स्वीकार कर लिया |
प्रश्न 5. चम्पारण सत्याग्रह के बारे में बताइए |
उत्तर- चम्पारण सत्याग्रह निलहे अंग्रेजों के विरोध में था | वे लोग वहाँ के किसानों से जर्बदस्ती नील की खेती करते थे और किसान इसे करना नहीं चाहते थे | कारण की जिस खेत में नील की खेती होती थी, वह खेत अनउपजाऊ हो जाता था | गाँधीजी ने चम्पारण पहुंचकर इस कुप्रथा को रोकवा दिया | गाँधीजी की इस सफलता ने गाँधी को महात्मा गाँधी बना दिया | पुरे देश की जनता इनका गुणगान करने लगी |
प्रश्न 6. मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते है ?
उत्तर- मेरठ षड्यंत्र वास्तव में मजदूर आन्दोलन से सम्बद्ध था | मजदूरों के आन्दोलन को दबाने के लिए 31 मजदूर नेता, गिरफ्तार किए गए, जिसमे दो अंग्रेज मजदूर नेता भी थे | इन्हें मेरठ लाया गया और वहीँ पर चार वर्षों तक मुकदमे की सुनवाई होती रही | इसी को मेरठ षड्यंत्र या मेरठ षड्यंत्र केस कहा जाता है | 31 में से कुछ को तो सजा हुई, कुछ को रिहाकर दिया गया | इस केस से मजदूरों में एकता बढ़ गई |
प्रश्न 7. जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते है ? संक्षेप में बताईए |
उत्तर- उड़ीसा में खोड़ों का एक आन्दोलन चला, लेकिन यह अहिंसक था | यह आन्दोलन 1914 से 1920 तक चला | इस आन्दोलन के नेता जतरा भगत थे | उन्होंने मांग को बदलकर सामाजिक एवं शैक्षिणक सुधार की ओर मोड़ दिया | उन्होंने एकेस्वरवाद को मन तथा मांस-मदिरा का बहिस्कार करने को कहा |
प्रश्न 8. ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना क्यों हुई ?
उत्तर- 1917 के आस-पास गुजरात के कपड़ा मिल के मजदूरों ने हड़ताल कर दी | मिल मालिकों ने घाटा का बहाना बनाकर बोनस देने से इंकार कर दिया था | गाँधीजी ने हड़तालियों का समर्थन किया और मिल मालिकों को झुकना पड़ा | बाद में मिल मजदूरों के साथ ही खेतिहर मजदूरों का कांग्रेसी कार्यक्रमों में भाग लेने तथा उनके समर्थन में ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना हुई |


सुमेलित करें

समूह 'अ'
(i) गाँधीवादी चरण 
(ii) चौरी-चौरा हत्याकांड 
(iii) कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष 
(iv) बंगाल विभाजन वापस 
(v) हिन्दू महासभा 
(vi) मोपला विद्रोह 
समूह 'ब'
(क) 5 फरवरी, 1922 
(ख) 1919-47 
(ग) 1885 
(घ) केरल 
(ड) 1911 
(च) मदन मोहन मालवीय 
उत्तर- (i) → (ख), (ii) → (क), (iii) → (ग), (iv) → (ड), (v) → (च), (vi) → (घ) |


लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आन्दोलन था कैसे ?
उत्तर- वास्तव में असहयोग आन्दोलन ही था जिसे हम जन आन्दोलन की संज्ञा दे सकते है क्योंकि इसका पुरे देश के गाँव-गाँव तक फैला था | आन्दोलनकारी अपना सर्वस्व न्यौछावर को तत्पर थे |गाँधीजी जब दक्षिण से भारत लौटे तो अनेक आन्दोलन चलाए किन्तु वे स्थानीय थे और कुछ ही लोगो के हित के लिए थे | असहयोग आन्दोलन 1921 में शुरू हुआ | इसका उद्देश्य था फिरंगी सरकार के कार्यों में सहयोग नहीं करना | वकील न्यायालयों का त्याग करने लगे | छात्र स्कुल-कॉलेज छोड़ने लगे | उद्देश्य था इस प्रकार विदेशी सरकार को कमजोर कर सत्ता पर अधिकार जमाना | न्यायालयों के स्थान पर ग्राम पंचायते और सरकारी स्कुल कॉलेज के स्थान पर कांग्रेस स्कुल और विद्यापीठों की स्थापना हुई | पुरे देश में आन्दोलन शांति पूर्वक चल रहा था की उत्तर प्रदेश के चौरा-चौरी में एक ऐसी घटना घट गई, जिससे गाँधीजी ने आन्दोलन स्थगित कर दिया |
प्रश्न 2. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर- असहयोग आन्दोलन के बाद सविनय अवज्ञा आन्दोलन वह दूसरा आन्दोलन था, जो बड़े पैमाने पर देश भर में फैल गया | इस आन्दोलन में महिलाओं, मजदुर वर्गों, शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब-अमीर सभी की सहभागिता थी | मध्य विद्यालय से कॉलेज तक के छात्रों का इस आन्दोलन में सहयोग था | सविनय अवज्ञा आन्दोलन ने श्रमिक एवं कृषकों को भी प्रभावित किया | आन्दोलन का परिणाम था की फिरंगी सरकार को कांग्रेस के साथ बराबर के आधार पर बात करने को मजबूर किया | दूसरा परिणाम जो महत्वपूर्ण परिणाम था, वह था ब्रिटिश सरकार को 1935 का भारत शासन अधिनियम पारित करना पड़ा |
प्रश्न 3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस परिस्थितियों में हुई ?
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की जड़ में देश में फैल रही राष्ट्रवाद की स्थिति थी | राष्ट्रवाद की जड़ में खाद-पानी देने में आर्थिक कारण तो था ही, सामाजिक और धार्मिक कारण भी थे | भारतीय धर्मग्रंथों का जब अंग्रेजी में अनुवाद हुआ तब भारत का आमजन भी धर्म का मर्म समझने लगा | लोगों की निष्ठा धर्म की ओर बढ़ने लगी | सर्वत्र रास्ता चलते भी नवयुवक राष्ट्रवाद की चर्चा करते थे | समाज सुधारकों ने भारतियों को एकता, समानता एवं सवतंत्रता का पाठ पढ़कर उनके जीवन के लिए एक राष्ट्रवादी दल भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई |
प्रश्न 4. बिहार के किसान आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखिए |
उत्तर- बिहार में किसान सभा का गठन 1922-23 में शाह मुहम्मद जुबैर के नेतृत्व में हुआ | लेकिन 1928 के बाद बिहार में किसान आन्दोलन अधिक व्यापक और शक्तिशाली बना जब स्वामी सहजानंद ने किसान सभा का नेतृत्व करना शुरू किया | बिहटा से आरम्भ कर सोनपुर होते हुए पुरे बिहार में किसान आन्दोलन ने किसानों को जागृत करने का काम किया | सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी बिहार आकर किसान आन्दोलन को बल प्रदान किया | 11 अप्रैल, 1936 को लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना हुई, जिसमे बिहार के किसानों का बड़ा हाथ था | बिहार के किसान बकास्त आन्दोलन चला रहे थे |
प्रश्न 5. स्वराज पार्टी की स्थपाना एवं उद्देश्य की विवेचना करें |
उत्तर- स्वराज पार्टी की स्थापना चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू के प्रयास से हुई |इस पार्टी का पहला अधिवेशन 1923 में इलाहबाद में हुआ | स्वराज्य पार्टी कांग्रेस से कोई भिन्न नहीं थी, बल्कि यह कांग्रेस की ही B टीम थी | वास्तव में असहयोग आन्दोलन के अकस्मात स्थगित हो जाने से कुछ नेता हतप्रभ और निराश थे | वे चाहते थे की विधान सभा के चुनाव में भाग लेकर सीटें जीती जायं और अन्दर से असयोग किया जाय | कुल 101 में से 43 सीटें स्वराज पार्टी ने जीती | 1925 में चितरंजन दास की मृत्यु के बाद स्वराज्य पार्टी कमजोर पड़ गई और अंततः समाप्त हो गई |


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. प्रथम विश्व युद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ अंतर्सबंधों की विवेचना कीजिए |
उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) एक ऐसा महायुद्ध था, की इतना बड़ा युद्ध इसके पहले कभी नहीं लड़ा गया था | युद्ध में दो गुट थे : एक गुट में था, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और अमेरिका तथा दुसरे गुट में थे : जर्मनी, आस्ट्रिया-हंगरी तथा इटली | ये सातों देश साम्राज्यवादी थे और अपने-अपने उपनिवेशों का विस्तार के साथ वहाँ से कच्चा मॉल प्राप्त कर वहीं पर तैयार माल बेचने के लिए बाजार बढ़ाना चाहते थे |
इस युद्ध का भारत के साथ अंतर्सम्बध यह था की यह भी ब्रिटेन का एक उपनिवेश था और यहाँ से वह कच्चा माल ले जाता था और यहीं पर तैयार माल बेचा करता था | इसी कारण भारत के गृह उद्योग समाप्त हो गए थे और कारीगरों को मजदूर बन जाना पड़ा था | स्पष्ट है की भारत ब्रिटेन की हार देखना चाहता था | इस डर को मिटाने के लिए युद्ध की अवधि के लगभग बीच में, 1916 में ब्रिटेन ने झूठी घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश सरकार का लक्ष्य यहाँ क्रमशः जिम्मेदार सरकार की स्थापना करनी है | सही में फिरंगियों की ओर से भारतियों के लिए पोस्टडेटेड लाली पॉप था | तब तक भारत में राष्ट्रवाद पूरा परिपक्व हो चूका था |भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में तिलक का प्रवेश हो चूका था | युद्ध में उन्होंने पूरी तरह ब्रिटेन को साथ देने का आह्यान किया | लेकिन युद्ध की समाप्ति के बाद फिरंगियों ने रंग बदल लिया | भारत को कुछ भी सुविधा देने से इंकार कर दिया |
तब तक गाँधीजी का भारत में पदार्पण हो चूका था | उन्होंने शांतिपूर्ण ढंग से आन्दोलन चलाना आरम्भ किया | अंततः द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब ब्रिटेन कमजोर पड़ चूका था, उसे भारत को आजादी देकर अपने देश लौट जाना पड़ा |
प्रश्न 2. असहयोग आन्दोलन के कारण एवं परिणाम का वर्णन करें |
उत्तर- असहयोग आन्दोलन गाँधीजी द्वारा चलाया जाने वाला पहला शांतिपूर्ण जनांदोलन था | मुख्यतः इसके तीन कारण थे :
(क) खिलाफत आन्दोलन में सहयोग देकर मुसलमानों का दिला जीतना |
(ख) जलियाँवाला बाग में सरकार की बर्बर कार्रवाइयों के विरुद्ध न्याय पाना |
(ग) स्वराज्य प्राप्त करने के लिए स्वयंसेवक तैयार करना |
1 जनवरी, 1921 से असहयोग आन्दोलन का आरंभ हुआ | सम्पूर्ण भारत में इस आन्दोलन को इतनी सफलता मिली, जितना की सोचा नहीं गया था | देशभर में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार होने लगा | छात्र स्कुल और कॉलेज छोड़ने लगे | राष्ट्रीय विद्यालय खुलने लगे | जामिया मिलिया तथा काशी विद्यापीठ में पढाई आरम्भ हो गई | बड़े-बड़े बैरिस्टरों तक ने न्यायालय का बहिष्कार कर दिया | ब्रिटेन के राजकुमार प्रिंस ऑफ़ वेल्स के मुंबई पहुँचने पर पुरे महानगर में हड़ताल रखा गया | यह घटना 17 नवम्बर, 1921 की है |
आन्दोलन गैर-क़ानूनी घोषित कर दिया गया | 30,000 से अधिक आन्दोलनकारी गिरफ्तारी कर लिया गए |इस पर गाँधीजी ने देश में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने की धमकी दी | इसी बीच एक दुर्घटना घट गई | उत्तर प्रदेश के चौरा-चौरी स्थान पर आन्दोलनकारियों का एक शांतिपूर्ण जुलुस जा रहा था | रास्ते मे ही थाना था, जिससे होकर जुलुस को गुजरना था | सिपाहियों ने अकारण जुलुस पर फायरिंग शुरू कर दी |जबतक उनके पास गोलियों का स्टॉक मौजूद था, तब तक तो वे फायरिंग करते रहे | गोलियों के समाप्त होते ही वे थाने के अन्दर छिप गए | जुलुस के लोग प्रतिक्रिया में बेकाबू हो गए और थाना में आग लगा दी | यह घटना 5 फरवरी, 1922 की है | इसमे 22 पुलिसकर्मी जिन्दा जल मरे | इस घटना से गाँधीजी क्षुब्ध हो गए | उन्होंने समझा की जनता अभी तक असहयोग और सविनय अवज्ञा के मर्म को समझ नहीं सकी है | फलत: 12 फरवरी, 1922 को उन्होंने आन्दोलन वापस ले लिया | इस प्रकार असहयोग आन्दोलन समाप्त हो गया | यद्दपि की कांग्रेस के कुछ नेताओं के इस निर्णय का विरोध भी किया |
प्रश्न 3. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारणों की विवेचना करें |
उत्तर- असहयोग आन्दोलन को समाप्त हुए एक दशक हो चुके थे | भारतीय राष्ट्रवादियों के बीच एक शुन्यता की स्थिति आया गई थी | इसी बीच कुछ ऐसी घटनाएँ घटीं की गाँधीजी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाना पड़ा | कारण निम्नलिखित थे :
(i) साइमन कमीशन- 1919 का एक्ट पारित करते समय सरकार ने कहा था की 10 वर्षों बाद इसकी पुनः समीक्षा होगी | किन्तु नवम्वर, 1927 को ही साइमन कमीशन को भेज दिया | कमीशन में सात सदस्यों में कोई भी भारतीय नहीं था | भारत में इसकी विपरीत प्रतिक्रिया हुई | स्थान-स्थान पर कमीशन भारी विरोध हुआ |
(ii) नेहरू रिपोर्ट- उसी समय तत्कालीन भारत सचिव लार्ड विरकल हैड ने व्यंग्य किया की भारतीय आजादी तो चाहते है लेकिन वे अपना संविधान तक नहीं बना सकते जिसे सभी को मान्य हो | मोतीलाल नेहरू ने इसी चुनौती के रूप में स्वीकार किया और 1928 में संविधान तैयार करके दिखा दिया | इसी को नेहरू रिपोर्ट कहते है |
(iii) विश्वव्यापी आर्थिक मंदी- 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का कुप्रभाव भारत पर भी पड़ा | मूल्य में भारी वृद्धि हुई | भारत का निर्यात गिर गया लेकिन अंग्रेजों ने यहाँ से धन ले जाना बंद नहीं किया | अनेक कारखाने बंद हो गए और पूंजीपतियों की स्थिति पतली हो गई | मजदूर बेकार हो गए |
(iv) समाजवाद का बढ़ता प्रभाव- इसी समय समाजवाद का प्रभाव विश्व में तेजी से बढ़ रहा था | कांग्रेस में भी इसका दबाव महसूस होने लगा  समाजवाद के प्रखर नेता सुभाषचंद्र बोस थे, जिसके कारन उन्हें कांग्रेस छोड़ना पड़ा | उन्होंने कांग्रेस ही नहीं, देश को भी छोड़ दिया | तब जवाहरलाल नेहरू भी अपने को समाजवादी होने का दिखावा करने लगे |
(v) क्रांतिकारी आन्दोलनों का उभार- इसी समय मेरठ षड्यंत्र केस तथा लाहौर षड्यंत्र केस ने देश के नवयुवकों में सरकार विरोधी विचाधारा को उम्र बना दिया था | पुरे भारत की स्थिति विस्फोटक हो गई थी | बंगाल में क्रांतिकारियों की टोली खुलेआम घूमने लगी थी | 1930 में चटगाँव में सरकारी शस्त्रागार लुट लिया गया | इसका नेतृत्व सूर्यसेन ने किया था | इन्हीं का नाम मास्टर दा था |
प्रश्न 4. भारत में मजदूर आन्दोलन के विकास का वर्णन करें |
उत्तर- औद्योगिक प्रगति के साथ मजदूर वर्ग में चेतना विश्व भर में बढ़ रही थी और भारत भी इससे अछूता नहीं था | उद्योगों के बढ़ने के साथ-साथ मजदूरों की चेतना में वृद्धि हो रही थी | वीसवीं सदी के शुरुआती दशकों में स्वदेशी आन्दोलन का प्रभाव भी मजदूरों पर पड़ा | 1917 में अहमदाबाद के कपड़ा मिल के मजदूरों ने हड़ताल कर दी थी | उनकी माँग थी की उनके बोनस में कटौती नहीं की जाय | गाँधीजी ने मजदूरों की माँग को समझा और उसका समर्थन भी किया |मिल मालिकों को झुकना पड़ा और मजदूरों की माँग माननी पड़ी |
समय के बितने के साथ बामपंथी विचारों को समझा जाने लगा और उनकी लोकप्रियता ने मजदूर आन्दोलन को मजबूत बनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार की चिंता बढ़ने लगी | उससे मजदूरों के खिलाफ दमनकारी उपयोग को भी अपनाया | इसी क्रम में मार्च, 1929 में कुछ वामपंथी नेताओं के विरुद्ध मेरठ षड्यंत्र के नाम से देशद्रोह का मुक़दमा चलाया गया | इसी समय 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ हुआ | इस आन्दोलन में मजदूरों ने भी भाग लिया | 1931 में ऑल इण्डिया नेशनल ट्रेड यूनियन में बंट गया | इसके बावजूद राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख नेताओं- सुभाष चन्द्र बोस, जवाहरलाल नेहरू आदि ने समाजवादी विचारों से प्रभावित होकर मजदूरों की मांगों को समर्थन दिया और उसे जारी रखा |
प्रश्न 5. भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधीजी के योगदान की विवेचना करें |
उत्तर- गाँधीजी के कांग्रेस में प्रवेश करते ही पार्टी में एक नई जान आ गई |अफ्रीका में गाँधीजी को अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई में काफी यश प्राप्त हो चूका था | 1917 में चम्पारण के निलहे साहबों से किसानों का उद्धार करा कर गाँधीजी अब महात्मा गाँधी बन गए | पूरा देश इनके पीछे चल पड़ा | कांग्रेस जो पहले कुछ प्रमुख लोगों की संस्था थी, अब सम्पूर्ण जनता की संस्था बन गई |
गाँधीजी ने 1920 में असहयोग आन्दोलन का कार्यक्रम दिया | लोग सरकारी नौकरियाँ त्यागने लगे | सरकारी स्कुल-कॉलेज का छात्रों ने त्याग किया | जितना ही आन्दोलन तेज होता गया सरकारी दमन भी उसी हिसाब से बढ़ता गया | 1922 तक 30,000 लोग जेलों में बंद कर दिए गए | गाँधीजी ने अब कर न चुकाने का अभियान चलाने का फैसला किया, तभी चौराचौरी कांड हो गया | फलत: गाँधीजी ने आन्दोलन स्थगित कर दिया | पूरा देश चकित रहा गया | अब सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाने का कार्यक्रम अपनाने का गाँधीजी ने अह्यान किया | किन्तु गाँधीजी गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें पांच वर्षों की सजा हो गई |
1930 में गाँधीजी ने सविन्ग्य अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ किया, जिसके तहत दांडी यात्रा कर समुद्र के किनारे जाकर उन्होंने नमक बनाकर कानून तोड़ा और अपनी गिरफ्तारी दी | उसके बाद देश भर के गाँव-गाँव में नमक बनाने का काम शुरू हो गया और लोग गिरफ्तार होते गए | 1931 के आते-आते महज एक वर्ष में 90,000 लोग जेलों में डाल दिए गए | जनवरी, 1931 में गाँधीजी और कुछ अन्य प्रमुख नेता रिहा कर दिए | गाँधी-इरविन समझौता हुआ | फलत: गाँधीजी ने आन्दोलन वापस ले लिया | सभी राजनीतिक बंदी रिहा कर दिए गए | गाँधीजी ने इंग्लैण्ड जाकर गोलमेज कांफ्रेंस में सम्मिलित होना स्वीकार कर लिया था | कराची अधिवेशन में इसे मान्यता भी मिल गई |
इस आन्दोलन से अंग्रेज समझ गए की अब भारत में उनका टिका रहना कठीन है | 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हो गया | अंग्रेज चले गए | खुशियाँ मनाई गई, किन्तु दिल में दर्द भी की आजादी तो मिली, किन्तु देश को टुकड़ों में बांटकर |
प्रश्न 6. भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित कीजिए |
उत्तर- रुसी क्रांति की सफलता के बाद भारत में भी नेता जी से साम्यवादी विचारों का फैलाव होने लगा | लेकिन वे समझते थे की यह काम गलत है | अत: ये छिपकर काम करते थे | असहयोग आन्दोलन के दौरान इनको अपने विचारों को फैलाने का मौका मिल गया | ये लोग उन क्रांतिकारियों से जुड़ गए, जो राष्ट्रवादी थे | असहयोग आन्दोलन की समाप्ति के बाद सरकार ने इन पर कड़ाई आरम्भ कर दी |
पेशाबर षडयंत्र केस (1922-28), कानपुर षडयंत्र केस (1924) और मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) के तहत इन पर मुकदमों चलाए गए | बामपंथी लोगो का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल हो गए | बाद में क्रन्तिकारी राष्ट्रवादी शहीद साम्यवादी शहीद कहे जाने लगे | अंग्रेजी सरकार पब्लिक सेफ्टी बिल जो कम्युनिस्टों के विरोध में था, कांग्रेस ने उसे पारित नहीं होने दिया | फलत: कम्युनिस्टों ने कांग्रेस को अपना समर्थन मान लिया | फल हुआ की देश में कम्युनिस्ट आन्दोलन प्रतिष्ठा प्राप्त करने लगा | दिसंबर, 1925 में सत्य भक्त ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कर डाली | अब ब्रिटिश साम्यवादी दल भी भारतीय कम्युनिष्टों में दिलचस्पी लेने लगा |
यद्यपि अबतक भारत में अनेक मजदूर संगठन बन गए थे और कार्यरत थे | इनके पहले की कांग्रेस समर्थित ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन (AITUC) की स्थापना हो चुकी थी और कई मजदूर आंदोलनों को सफलता दिलवा चुकी थी | फिर भी वामपंथ का प्रसार मजदूर संघों पर बढ़ रहा था | विभिन्न स्थानों पर किसान-मजदूर की स्थापन हुई | लेबर स्वराज पार्टी भारत की पहली किसान-मजदूर पार्टी थी | अखिल भारतीय स्तर पर दिसंबर, 1928 में अखिल भारतीय किसान मजदूर पार्टी बनी | अब तक कांग्रेस के कुछ नेताओं पर भी साम्यवादी या समाजवाद का रंग चढ़ने लगा था | इनमे सुभाषचंद बोस, जय प्रकश नारायण, राम मनोहर लोहिया, नरेंद्र देव प्रमुख थे | फिर भी ये कांग्रेस के साथ ही थे |

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