अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से
प्रश्न 1. लेखक को बीमार पड़ने की इच्छा क्यों हुई ?
उत्तर- लेखक को बीमार पड़ने की इच्छा इसलिए हुई की स्वादिष्ट बिस्कुट खाने को मिलेंगे | पत्नी सिर में तेल डालकर सेवा करेंगी तथा मिलने के लिए आने वालों का ताँता लगा रहेगा | इसलिए उन्होंने एक दिन कुछ ज्यादा जलपान कर लिया |
प्रश्न 2. लेखक ने वैध और हकीम पर क्या-क्या कहकर व्यंग्य किया है ? उनमे से सबसे तीखा व्यंग्य किस पर है ? उल्लेख कीजिए |
उत्तर- वैध जी के पत्रा देखकर ग्रहों की स्थिति पर विचार करते हुए शुभ मुहूर्त में आने की सूचना पर लेखक की उक्ति है की ''सुनकर मेरा कलेजा कबाब हो गया'' और रोग का कारण बताया तब लेखक ने यह कहकर व्यंग्य कीया है की ''जरा आलमारी से आप्टे का कोष तो लेते आइए .... दवा पीछे होगी,पहले समझ तो लूँ की मुझे रोग क्या है |'' हकीमजी के संबंध में लेखक की व्यंग्योक्तियाँ उनकी वेशभूषा, उनके शरीर के दुबलेपन इत्यादि पर है | अंत में हकीम जी पर टिप्पणी लेखक ने इन शब्दों की है, ''रहते थे बनारस में, मगर कान काटते थे लखनऊ के''| वैधजी और हकीम जी, इन दोनों में से सबसे तीखा व्यंग्य हकीमजी पर है, क्योंकि हकीमजी की वेशभूषा, उनके स्वास्थ्य और नजाकत पर व्यंग्य किया है - ''हकीम साहब में नजाकत भी बला की थी |''
प्रश्न 3. अपने देश में चिकित्सा की कितनी पद्धतियाँ प्रचलित है ? उनमे किन-किन पद्धतियों से लेखक ने अपनी चिकित्सा कराई ?
उत्तर- अपने देश में प्रचलित मुख्य चिकित्सा पद्धतियाँ है एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होमियोपैथी, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति, झाड़-फूँक और चीनी चिकित्सा पद्धति | इनमे से लेखक ने एलोपैथी, आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों से अपनी चिकित्सा कराई |
प्रश्न 4. इस पाठ से हास्य और व्यंग्य की बातें छांटकर लिखिए | जैसे- ''रसगुल्ले छायावादी कविताओं की भांति सूक्ष्म नहीं थे, स्थूल थे |''
उत्तर- प्रश्न में दिए गए उदहारण के अतिरिक्त इस पाठ में हास्य और व्यंग्य की निम्नलिखित बातें है :
(क) जब कोई इस प्रकार से .......... पार पहुँच जाता | (पृष्ठ 90)
(ख) वे एक इक्के ........... छोड़कर पैदल चलना | (पृष्ठ 91)
(ग) प्रेमियों को जो ........... में आता है | (पृष्ठ 91)
(घ) खाने के लिए ........... न बताई हो | (पृष्ठ 91)
(ड) आपलोग डॉक्टर साहब ............. दोष नहीं है | (पृष्ठ 91)
(च) दवा के स्वाद ......... तिलमिला उठे | (पृष्ठ 92)
(छ) भला मुझे ऐसे ........... भी नहीं जानते | (पृष्ठ 92)
(ज) इधर मित्रों और ............. हो पाता था | (पृष्ठ 92)
(झ) एक ओर दर्द ............ पता नहीं | (पृष्ठ 93)
(ञ) सी० आई० डी० ........... छोड़ता ही न था | (पृष्ठ 93)
(ट) हकीम साहब पतले .......... कान काटते थे | (पृष्ठ 94)
(ठ) डॉक्टर तो मेरी ............ बढ़कर है | (पृष्ठ 95)
प्रश्न 5. किसने कहा, किससे कहा ?
(क) मुझे आज सिनेमा जाना है | तुम अभी खा लेते तो अच्छा था |
उत्तर - लेखक की पत्नी ने - लेखक से कहा |
(ख) घबराने की कोई बात नहीं है | दवा पीजिए, दो खुराक पीते-पीते आपका दर्द गायब हो जाएगा |
उत्तर- डॉक्टर ने - लेखक से कहा |
(ग) वायु का प्रकोप है | यकृत में वायु घूमकर पित्ताशय में प्रवेश कर आंत्र में जा पहुंचा है |
उत्तर- वैध जी ने - लेखक से कहा |
(घ) ''दो खुराक पीते-पीते आपका दर्द वैसे ही गायब हो जाएगा, जैसे - हिंदुस्तान से सोना गायब हो रहा है |'' इस वाक्य का भाव स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- इसका भाव है की जिस प्रकार अंग्रेज भारत से सोना गायब कर रहे है, उसी प्रकार दो खुराक पीते-पीते आपका दर्द गायब हो जाएगा |
पाठ से आगे
प्रश्न 1. एलोपैथी, होमियोपैथी एवं आयुर्वेद चिकित्सा से आप क्या समझते है ?
उत्तर- एलोपैथी - यह आधुनिक चिकित्सा पद्धति है जिसमे एन्टीबायोटिक दवाओं की प्रधानता होती है | इसमे चिकित्सक रोगी के खून, पेशाब, पैखाना की जाँच करने के बाद का चुनाव करते है |
होमियोपैथी - इसमे रोगी के लक्षण, रूचि आदि के आधार पर दवा का चुनाव किया जाता है |
आयुर्वेद - यह पुरानी पद्धति है | इसमे जड़ी-बूटियों की प्रधानता होती है | वैध जी आचार्य चरक के सिद्धांतानुसार दवा का चुनाव करते है |
प्रश्न 2. किस आधार पर इस पाठ को हास्य और व्यंग्य की श्रेणी में रखें ? स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- घटना के आधार पर इस पाठ को हास्य एवं व्यंग्य की श्रेणी में रखा गया है | जब लेखक जरुरत से अधिक भोजन कर लेता है तो वह दर्द का शिकार हो जाता है | इसी दर्द के इलाज के क्रम में चिकित्सक, इष्ट-मित्र आदि जो आते है, उनकी सलाह, हमदर्दी, वेश-भूषा आदि से लेखक यह अहसास करता है की लोग कठिनतम शब्द का प्रयोग कर रोग को गंभीर और अधिक-से-अधिक बढ़ाने की चेष्टा करते है | जबकि लेखक पत्नी की सलाह पर ही स्वास्थ्य हो जाता है |
लेखक ने सबके हाव-भाव, परिस्थिति तथा पोशाक देखकर उन पर व्यंग्य किया है | उन्होंने लेखक को खुश रखने के वैसी बाते या सलाह दी जिसका बीमारी से कोई संबंध नहीं था |
व्याकरण
प्रश्न 1. इस पाठ में प्रयुक्त मुहावरों को चुनकर लिखिए |
उत्तर- (i) रोनी सूरत बनाना (मुहर्रमी चेहरा, लाचारी भरा भाव)- रोनी सुरत बनाकर तुम दंड से नहीं बच सकोगे |
(ii) यथा नाम तथा गुण (नाम से ही किसी व्यक्ति के गुणों का अंदाज हो जाना)- दीन दयाल बाबू यथा नाम तथा गुण थे |
(iii) रफूचक्कर होना (चटपट भाग जाना)- पाकिटमार जेब काटकर रफूचक्कर हो चूका था |
(iv) तबियत फड़क उठना (चित्त उमंग और उत्साह के कारण प्रसन्न हो जाना)- विद्यालय-जीवन के दोस्त को आज एकाएक देखकर तबियत फड़क उठी |
(v) कलेजा कबाब होना (क्षोभ से भर उठना)- सौत की बातें सुनकर बड़ी मालकिन का कलेजा कबाब हो गया |
(vi) पिंड छूटना (पीछा छूटना)- पुरे पैसे देने के बाद ही चंदा माँगने वालों से पिंड छुटा |
(vii) दिमाग चाटना (व्यर्थ बकबक करके तंग करना)- सीधे-सीधे अपने मतलब की बात न कर क्यों दिमाग चाट रहे हो ?
प्रश्न 2. इन युग्म शब्दों के अर्थ लिखिए |
(क) प्रसाद, प्रासाद (ख) भवन, भुवन (ग) कांति, क्रांति (घ) भव, भव्य
उत्तर- (क) प्रसाद- आरती के बाद भगवान का प्रसाद मिला |
प्रासाद- इस भव्य प्रासाद को राष्ट्रपति भवन कहते है |
(ख) भवन- भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रपति भवन में रहते है |
भुवन- परमेश्वर ही त्रिभुवन के स्वामी है |
(ग) कांति- जहर का प्याला पीते समय भी सुकरात के चेहरे पर कांति थी |
क्रांति- इंग्लैण्ड में रक्तहीन क्रांति हुई थी |
(घ) भव- भव-सागर से पार होने का सरल उपाय मानवता की पूजा है |
भव्य- राम ने गाँव में बड़ा ही भव्य मकान बनाया है |
0 Comments