अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से
प्रश्न 1. खुशबु रचने वाले हाथ कैसी परिस्थितियों में रह रहे है ?
उत्तर- खुशबु रचने वाले हाथ अति दयनीय परिस्थितियों में रह रहे है | इनके निवास के चारों ओर कूड़े-कर्कट के ढेर जमा है |शहर के गंदे जल निकलनेवाले नाला इन्ही के घर पास में बहता है | फलत: वंचित लोगों के मोहल्ले का वातावरण अति दूषित है | कूड़े-कचड़े से निकलने वाली दुर्गंध से मोहल्ले के निवासियों का जीना दूभर हो रहा है | कवि खेद प्रकट करते हुए कहता है की जिन हाथों से दूसरों को स्वच्छ वातावरण में रहने का अवसर मिलता है, वे हाथ स्वयं गंदे वातावरण में जीवन बिताने को मजबूर है | यह कितनी बड़ी विडंबना है |
प्रश्न 2. खुशबु रचते है हाथ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- खुशबु रचते है हाथ कहने का कवि का तात्पर्य है की जिन हाथों की मदद से लोग सुखमय जीवन का आनंद लेते है अथवा जिनके श्रम के परिणामस्वरूप स्वर्गीय सुख का भोग करते है | हर काम श्रमिक के सहयोग से ही संपन्न होता है | बिना श्रम के किसी काम की पूर्णता की कल्पना तक नहीं की जा सकती है | श्रम पर ही सारी सफलता निर्भर करती है | तात्पर्य की एक-से-एक अद्भुत वस्तु इन्ही हाथों के श्रम की देन है | अत: व्यक्ति का भाग्य या सुख इन्ही हाथों के श्रम पर आश्रित होता है | इसलिए कवि को कहना पड़ा खुशबु रचते है हाथ जो कटु सत्य है |
पाठ से आगे
प्रश्न 1. आपके विचार से इस कविता का मुख्य उद्देश्य क्या हो सकता है ?
उत्तर- मेरे विचार से इस कविता मुख्य उद्देश्य श्रम के महत्त्व को प्रतिपादित करना हो सकता है | श्रम ही सफलता की जननी होती है | हर काम की सफलता का राज श्रम में निहित होता है | इसलिए कवि चाहता है की उन हाथों के प्रति लोगो को संवेदनशील होना आवश्यक है | जो हाथ सुख-सृजन का आधार होता है,अगर वे हाथ का दूसरा नाम श्रम है | श्रम बल पर ही यह संसार टिका हुआ है |इसलिए हर व्यक्ति को श्रम के प्रति ईमानदार होना अनिवार्य है | यदि इस ईमानदारी में कोई खोट होगा तो इसका भयानक दुष्परिणाम होगा | इसलिए श्रम की महत्ता स्वीकार करने में ही सबका कल्याण है |
प्रश्न 2. व्याख्या कीजिए :
यहीं इस गली में बनती है
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
इन्ही गंदे मुहल्लें के गंदे लोग
बनाते है केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी अगरबत्तियाँ
उत्तर- कवि कहता है की विभिन्न प्रकार की मशहूर अगरबत्तियाँ इन्ही गंदे लोगों के हाथों बनती है जिनकी सुगंध से घर सुगन्धित हो जाता है | तात्पर्य की देश की समृद्धि इन्ही उपेक्षितों के श्रम पर निर्भर होती है | लेकिन उनकी उन्नति का ख्याल करने के बदले उनका शोषण किया जाता है और उन्हें तंगी में जीने के लिए विवश किया जाता है |
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) उभरी नसोंवाले हाथ का क्या अर्थ है ?
उत्तर- उभरी नसों वाले हाथ से तात्पर्य है की दीनता की चक्की में पिसने के कारण जिनका शरीर दुर्बल हो गया है | उभरी हुई नसें इस बात को सिद्ध करती है की उसने सुख-सुविधा के साधन जुटाने में कठिन परिश्रम किया है |
(ख) पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ का क्या अर्थ है ?
उत्तर- पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ से कवि का तात्पर्य उन कोमल हाथों से है जो सृष्टि-श्रृंगार के उद्देश्य से श्रम करते है | उनका विश्वास है की श्रम बल पर ही सुखमय जीवन का आनंद लिया जा सकता है | क्योंकि बिना श्रम के किसी आवश्यकता की पूर्ति हो ही नहीं सकती |
प्रश्न 4. अमीरी एवं गरीबी की खाई को कैसे पाटा जा सकता है ? अपना सुझाव दीजिए |
उतर- अमीरी एवं गरीबी की खाई पाटने के लिए सर्वप्रथम व्यक्ति को सहृदय होना होगा | धन सीमा निश्चित करनी होगी | मजदूरों को उसके श्रम के अनुरूप पारिश्रमिक दिया जाए | गरीबों को उत्थान के लिए भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा आदि की नि:शुल्क सुविधा दी जाए | गरीब बच्चों के लिए अलग से स्कुल तथा छात्रावास की व्यवस्था हो | अमीरों की सुख-सुविधा की वस्तु पर टैक्स लगाए जाएं | रोजगार के लिए ऋण दिया जाए | आर्थिक सहायता देकर सूदखोर महाजनों के चुंगल से छुटकारा दिलाया जाए | इन सब कृत्यों से अमीरी-गरीबी की खाई पाटी जा सकती है |
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