पाठ से
प्रश्न 1. निराला को 'दीनबंधु' क्यों कहा गया है ?
उत्तर- निराला ने जीवनभर दिन-दुखियों की सेवा की | जहाँ कहीं भी उन्हें दिन-दुखी मिल जाते, वे पूरी आत्मीयता से उनकी सहायता करते थे | वे गरिवों के सच्चे मित्र थे | दीनबंधु ईश्वर को कहा जाता है | दिनों की चिंता करनेवाला भी उसी दीनबन्धु के समान हो जाता है - जो रहीम दिनहिं लखै दीनबन्धु सम
होय | इसलिए निराला को दीनबंधु कहा गया है |
प्रश्न 2. निराला संबंधी बातें लोगों को अतिरंजित क्यों जान पड़ती है ?
उत्तर- आधुनिक युग में कोई निराला की तरह दिन-दुखियों का सच्चा मित्र नहीं मिलेगा | वे खुद मामूली कपड़ों में गुजर कर ग़रीबों को अपना नया कपड़ा, कंबल इत्यादि दान कर देते थे | अपना सब कुछ देकर वे मस्तमौला फकीर बन जाते थे | वे अपने सामने परोसी हुई थाली तक किसी भूखे को दे देते थे | आज के युग में भला कौन ऐसा मिलेगा | इसलिए आज निराला संबंधी बातें लोगों को अतिरंजित जान पड़ेगी |
प्रश्न 3. निम्न पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए :
(क) ''जो रहीम दीनहिं लखै, दीनबंधु सम होय |''
उत्तर- कवि रहीम ने दीनबंधु के विषय में अपना विचार प्रकट करते हुए कहा है की जो दीनदुखियों की सहायता के लिए सदा तत्पर रहता है, दीनबंधु भगवान के समान होता है | निरालाजी इसके ज्वलंत प्रमाण थे | उन्होंने दिन-दुखियों के लिए ही शरीर धारण किया था | उनका काम ही था, कलकत्ता की सड़कों पर विलखते भूखों-नगों के बीच भोजन तथा वस्त्र बांटना | उन्हें दू:खियों का दर्द सहन नहीं होता था, इसलिए अपने शरीर पर से कपड़े भी उतारकर दे देते थे | अत: निरालाजी सच्चे अर्थों में दीनबंधु थे |
(ख) ''पुण्यशील के पास सब विभूतियाँ आप ही आप आती है |''
उत्तर- लेखक के कहने का भाव है की व्यक्ति उदार अथवा सहयोगी प्रवृति का होता है, उसके पास साडी विभूतियाँ स्वत: आ जाती है | इसका मुख्य कारण यह होता है की ऐसा व्यक्ति नि:स्वार्थी एवं पुण्यशील आचरण का होता है, इसलिए हर कोई श्रद्धा की दृष्टि से देखता है | निरालाजी इसी आचरण के व्यक्ति थे | उन्होंने दिनबंधुता को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था | इसी का परिणाम है की मृत्यु के बाद भी उनका सादर स्मरण किया जा रहा है | यह उनके पुन्याचरण का प्रभाव है | इसलिए लेखक ने कहा - पुण्यशील के पास सारी विभूतियाँ स्वत: आ जाती है |
(ग) ''धन उनके पास अतिथि के समान अल्पावधि तक ही टिकने आता था |''
उत्तर- लेखक ने निराला जी की विशेषता के बारे में बताया है की वह अति उदार स्वभाव में खर्च कर देते थे | वह अपनी कमाई दिनदु:खियों की सेवा में तथा जरुरतमंदो के सहयोग में खर्च कर देते थे | वह अपनी जरुरत से अधिक दूसरों की जरूरतों की पूर्ति करना आवश्यक समझते थे | इसी कारण धन उनके पास अतिथि के समान अल्पावधि तक ही टिकने आता था |
व्याकरण
श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द : उच्चारण, मात्रा या वर्ण के साधारण बदलाब के बावजूद सुनने में समान परन्तु भिन्न अर्थ देनेवाले शब्द को श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कहते है | जैसे दिन- दिवस, दीन - गरीब
निम्नलिखित श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द युग्मों का अर्थ लिखिए :
उत्तर- 1. समान = बराबर
सम्मान = आदर
2. केवल = सिर्फ
कैवल्य = मोक्ष की प्राप्ति
3. बन = बनना
वन = जंगल
4. भगवान = ईश्वर
भाग्यवान = उन्नतिशील, भाग्यशाली
5. छात्र = विद्यार्थी
छत्र = छाता
6. अन्य = दूसरा
अन्न = अनाज
7. द्रव्य = रूपये-पैसे (धातु)
द्रव = पानी-सा तरल
8. जगत् = संसार
जगत = कुँए के चारों और ईंट का घेरा
9. अवधी = एक भाषा
अवधि = समय
10. क्रम = सिलसिला
कर्म = कर्तव्य, कार्य
11. आदि = आरंभ
आदी = अभ्यस्त
12. चिंता = परेशानी
चिता = शव जलाने हेतु सजाई लकड़ी
अनेकार्थक शब्द : कुछ ऐसे शब्द प्रयोगों में आते है जिनके अनेक अर्थ होते है | प्रसंगानुसार इनके अर्थ भिन्न-भिन्न होते है | जैसे :
नाना - मेरे नाना जी नाना प्रकार के खिलौने लाए है | (नाना - माँ के पिता, विभिन्न)
आम - आम इन दिनों इतने महंगे है की आम आदमी के लिए खरीदना मुश्किल है | (आम - एक प्रकार का फल, साधारण)
पानी - उचित समय पर नगर निगम ने पानी उपलब्ध कराकर नगरवासियों की पानी बचा ली | (पानी -जल, इज्जत)
फल - फल का नियमित सेवन करने से शरीर पर सकारात्मक फल पड़ता है | (फल-पेड़ का एक उत्पादन, परिणाम)
ऊपर दी जानकारी के आधार पर निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में इस प्रकार प्रयोग कीजिए की एक से अधिक अर्थ स्पष्ट हो जाएँ :
1. मन 2. हर 3. कर 4. अर्थ 5. मंगल 6. पास 7. काल 8. पर
उत्तर - 1. मन - चार मन गेहूँ से मेरा मन नहीं भरा |
2. हर - डकैत ने हर व्यक्ति का धन हर लिया |
3. कर - मै अपने कर से सरकार को कोई कर नहीं दूँगा |
4. अर्थ - मोहन ने अर्थ का अर्थ ही नहीं समझा |
5. मंगल - मंगल के दिन हनुमानजी की पूजा करने से सदा मंगल रहता है |
6. पास - तुम्हारे पास ट्रेन का पास है क्या ?
7. काल - काल के आने का कोई निश्चित काल नहीं होता |
8. पर - वृक्ष पर बैठे पक्षी पर फैलाए हुए थे |
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