पाठ से
प्रश्न 1. पीपल के पेड़ हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है ?
उत्तर- पीपल हमारे लिए अति उपयोगी है | इस पेड़ से हर क्षण प्राणवायु (ऑक्सीजन) उत्सर्जित होते रहता है जिसे जीव साँस द्वारा ग्रहण करता है| ऑक्सीजन के बिना जीवित रहना कठिन ही नहीं असंभव है | दूसरी बात यह है की धार्मिक दृष्टि से भी यह पेड़ महत्वपूर्ण है | इस पेड़ की पूजा करके लोग इसके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते है | यह पेड़ पशु-पक्षियों की आश्रयस्थली है | पथिक इस पेड़ की शीतल छाया में शांति महसूस करते है | पीपल पेड़ की छाल एवं फल का उपयोग औषधि बनाने में किया जाता है | यह पेड़ दीर्घकाल तक जीवन धारण किए रहता है | इसलिए यह पेड़ महत्वपूर्ण एवं उपयोगी दोनों है |
प्रश्न 2. कैसा वातावरण मिलने पर बुलबुल पंछी गाने लगती है ?
उत्तर- पावस ऋतू में जब वर्षा की फुहार पड़ती है और वर्षा की धार का स्पर्श या पक्षी चहकने लगते है वह चहक सितार की सरगम आवाज की भांति सुनाई पड़ती है | शीतल पवन बहने लगता है तो उसका स्पर्श पाकर पीपल के पत्ते हिलने लगते है | पत्ते की रगड़ पानी पड़ने से सर्सर-मर्मर की मधुर आवाज निकालने लगते है | ऐसे मनोरम वातावरण में बुलबुल व्यग्रह होकर अपनी मधुर तान छोड़ने लगती है | वर्षा जल पाकर सारा वन हरे-भरे पत्तों से लद जाता है | वन की हरियाली, कलकल-छलछल करती बहती नदी तथा पत्तों की सर्सर-मर्मर ध्वनी से गुंजित वातावरण उन्मादक हो जाता है और बुलबुल को गाने के लली व्यग्रह बना देता है |
प्रश्न 3. वन्य प्रान्त के सौन्दर्य का वर्णन कीजिए |
उत्तर- कवि ने वन्य प्रान्त के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए कहा है की वन पशु-पक्षी का आश्रय स्थल होता है | पक्षी पेड़ों पर घोंसलें बनाकर रहते है तो कुछ जीव पेड़ों के कोटर में अथवा वन के एकांत स्थान में रहते है | वन में विविध प्रकार के पेड़-पौधे होते है | पक्षी पेड़ों के फल खाकर तो पशु हरी-हरी घास खाकर भूख मिटाते है | शाम होते ही सारे पक्षी अपने घोंसलों में विश्राम करने लगते है तो सारा वन सुनसान एवं शांत मालुम पड़ता है | पों फटते ही पक्षियों की चहचाहट से सारा वन प्रांत गुंजित हो उठता है | आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादल देख मोर नाचने लगता है तो चकोर-चकोरी एक-दुसरे के वियोगी में व्यस्थित क्रंदन करते रात गुजारते है | पेड़ों में लिपटी लत्तियों (वल्लरियों) को देखकर कवि को लगता है की ये बल्लिरियाँ प्रेमसुत्र में बंधकर एकाकार हो गई है | सारा वन्य प्रांत अपने प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है |
पाठ से आगे
प्रश्न 1. निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए :
(क) ऊपर विस्तृत नभ नील-नील - नीचे वसुधा में नदी झील जामुन, तमाल, इमली, करील-जल से ऊपर उठता मृणाल फनगी पर लिखता कमल लाल
उत्तर- यह भारत युग-युग से अपनी विशेषता के कारण पूज्य रहा है | यह प्रकृति की क्रीडास्थल है | इसने विभिन्न प्रकार के बदलाबों को निर्लिप्त निर्मिमेष देख रहा है | नदी, झील, पेड़-पौधे आदि इसके श्रृंगार के साधन है | जलाशयों में जलक्रीड़ा करते हंस अपनी ख़ुशी प्रकट करते है तो खिले हुए कमल के लाल-लाल फूल लोगों के मन में आनंद का सृजन करते रहे है | ऊँचे पहाड़ से गिरती जल की धारा पीपल के महत्व का गीत झर-झर कर गा रहे है | तात्पर्य की भारत ही ऐसा देश है जहाँ प्रकृति ने खुले दिल से इसे सजाया-संवारा है क्योंकि पीपल की पूजा इसी देश में होती है | इसलिए इसकी महत्ता बढ़ाने के लिए प्रकृति के विविध उत्पादन इस वृक्ष के ईद-गिर्द विराजमान है |
(ख) है खड़े जहाँ पर शाल, बांस, चौपाये चरते नरम घास निर्झर,सरिता के आस-पास
रजनी भर रो-रोकर चकोर कर देता है रे रोज भोर नाचा करते है जहाँ मोर |
उत्तर- छायावादी कवि प्रकृति प्रेमी है | अपने प्रकृति प्रेम के कारण उसने प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन करते हुए लोगों को प्राकृतिक पुरुष बनने की प्रेरणा दी है | वह चाहता है की हमें भी प्रकृति की भांति अपने कर्मों के प्रति निष्ठावान तथा प्रेमी होना चाहिए | प्रकृति किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करती | वह नि:स्वार्थ भाव से प्राकृतिक वस्तुओं का अवदान करती है | इसलिए हमें भी प्रकृति की भांति आचरण करना चाहिए | हमारा देश भारत उसी पीपल के समान प्राचीन, महान तथा उदार है | यह पीपल की भांति अनेक बदलावों का साक्षी रहा है | वल्लरी की भांति जिसे गले लगाया, चिरकाल तक उस प्रेम बंधन का निर्वाह किया | जो भी हमारी शरण में आया, हमने उन्हें गले लगाया |
व्याकरण
प्रश्न 1 पाठ में आए योजक चिन्ह शब्दों को लिखिए |
उत्तर- युग-युग, नील-नील, तिर-तिर, बूंद-बूंद, गोल-गोल, कलकल-छलछल, ढलढल-ढलढल, चुन-चुनकर, सुन-सुन, कोटर-कोटर, घर-घर |
प्रश्न 2. पर्यायवाची शब्द लिखिए |
उत्तर- तरु - वृक्ष, पेड़, पादप
कानन - वन, जंगल, अरण्य
सरिता - नदी, तटिनी, निर्झर
वसुधा - धरा, धरती, पृथ्वी
बयार - हवा, वायु, अनिल |
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