पाठ से
प्रश्न 1. विक्रमशिला नामकरण के सन्दर्भ में प्रचलित जनश्रुति क्या है ?
उत्तर- विक्रमशिला नामकरण के सन्दर्भ में प्रचलित जनश्रुति है की वहाँ के आचार्यों के विक्रमपूर्ण आचरण तथा उनकी अखंड शील संपन्नता के कारण इसे विक्रमशिला नाम से संबोधित किया गया | साथ ही, यह भी मान्यता है की विक्रम नामक यक्ष को दमित कर उस स्थान पर विहार बनाने के कारण इसका नाम विक्रमशिला रखा गया |
प्रश्न 2. विक्रमशिला कहाँ अवस्थित है ?
उत्तर- विक्रमशिला भागलपुर जिला जो प्राचीन अंग महाजनपद नाम से लोकप्रिय था, के कहलगाँव थानान्तर्गत पथरघट्ट के एक छोटे से गाँव अन्तिचक में है | इसकी स्थापना आठवीं सदी में मध्य में पालवंशी राजा धर्मपाल के संरक्षण में हुई थी |
प्रश्न 3. यहाँ के पाठ्यक्रम में क्या-क्या शामिल था ?
उत्तर- यहाँ के पाठ्यक्रम में तंत्र विद्या के अतिरिक्त व्याकरण, न्याय, सृष्टि-विज्ञान, शब्द-विद्या, शल्य-विद्या, संख्या, वैशेषिक, आध्यात्म विद्या, विज्ञान एवं चमत्कार शामिल थे | पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को पूर्ण मानव बनाना था, इसलिए दान, शील, धैर्य, वीर्य, ध्यान और प्रज्ञा पारमिता के मुख्य अंग में पारंगत होना आवश्यक था |
नवागत विद्यार्थियों को कुछ समय के लिए भिक्षु वर्ग में रहना पड़ता था, फिर उन्हें बौद्ध सिद्धांतो से परिचित कराया जाता था |
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प्रश्न 1. परिभ्रमण के दौरान आप इस स्थल का चयन करना क्यों पसंद करेंगे ?
उत्तर- परिभ्रमण के दौरान मै इस स्थल का चयन करना इसलिए पसंद करूँगा, क्योंकि यह स्थल भारत के गौरवशाली अतीत का परिचय कराता है | यही देश-विदेश के विद्यार्थी अध्ययन करके स्वत: मान-सम्मान के सकदार हो जाते थे | आज के कैम्ब्रिज तथा आक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से अधिक उन्नत और महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय यही था | यहाँ का विद्यार्थी होना अपने आप में गौरव की बात थी | हमारा अतीत कितना गौरवशाली तथा महान था इसका अनुमान इस स्थल का परिभ्रमण करने पर ही होगा | इसी उदेश्य से परिभ्रमण के लिए इस स्थान का चयन करना पसंद करूँगा |
प्रश्न 2. इस विश्वविद्यालय को आधुनिक बनाने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर- इस विश्वविद्यालय को आधुनिक बनाने के संबंध में मेरा सुझाव होगा की यहाँ विश्वप्रसिद्ध विद्वानों की नियुक्ति की जाए | नामांकन पूर्व छात्रों की योग्यता की जाँच के लिए परीक्षा ली जाए | विषयगत पढाई के साथ-साथ मानवता का पाठ पढाया जाए, ताकि शिक्षण समाप्ति के उपरांत अपना कार्य पूर्ण दायित्व एवं मानवतापूर्ण ढंग से करें |
प्रश्न 3. तंत्र विद्या के बारे में आप क्या जानते है ?
उत्तर- तंत्र विद्या वह विद्या है जिसमे चमत्कार एवं भुत-प्रेत संबंधी ज्ञान के बारे में बताया जाता है | इसमे कुछ ऐसी प्रक्रियाएँ है जिनके माध्यम से लोग सिद्धि प्राप्त करते है | इसमे बलि के साथ-साथ युग की प्रधानता होती है | काली इसका आराध्य होती है |
प्रश्न 4. निम्नलिखित संस्थाओं को उनकी श्रेणी के अनुसार बढ़ते क्रम में सजाइए |
(क) विश्वविद्यालय, (ख) प्रारम्भिक विद्यालय, (ग) महाविद्यालय, (घ) माध्यमिक विद्यालय, (ड) प्राथमिक विद्यालय |
उत्तर- (क) प्रारम्भिक विद्यालय, (ख) प्राथमिक विद्यालय, (ग) माध्यमिक विद्यालय, (घ) महाविद्यालय, (ड) विश्वविद्यालय |
व्याकरण
संधि : दो वर्णों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को संधि कहते है | जैसे- पुस्तक + आलय = पुस्तकालय | अ + आ = आ
संधि के तीन भेद है :
1. स्वर संधि, 2. व्यंजन संधि, 3. विसर्ग संधि |
स्वर संधि : दो स्वर वर्णों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते है | जैसे- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, आ + अ = आ
व्यंजन संधि : व्यंजन वर्णों के साथ स्वर अथवा व्यंजन वर्ण के मेल से होने वाले परिवर्तन को व्यंजन संधि कहते है | जैसे - दिक् + गज = दिग्गज
विसर्ग संधि : विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते है | जैसे - मन: + रथ = मनोरथ |
समास : दो या दो से अधिक पदों के अपने बीच की विभक्ति को छोड़कर नए पद बनाने की क्रिया को समास कहते है | जैसे - गंगा का जल - गंगाजल |
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