(i) आभारी रहना ( कृतज्ञ होना) — यदि आप यह कुत्ता मुझे दे दें तो मैं आजीवन आपका आभारी रहूँगा ।
(ii) नाच उठना (प्रसन्न होना ) – झबरा कुत्ता मिलते ही सानू का मन नाच उठा ।
(iii) चौकड़ी भरना (उछल-कूद करना ) – कुत्ता अहाते में चौकड़ी भरते रहता है ।
(iv) गद्गद होना ( खुश होना) — इच्छा भर भोजन पाकर भिखारी गद्गद् हो गया ।
(v) विस्मय से भर जाना (आश्चर्यचकित होना)– ताजमहल देख मैं तो विस्मय से भर गया ।
(vi) अंतिम साँस लेना (मर जाना ) – दादाजी ने नब्बे वर्ष पार कर ही अंतिम साँस ली।
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर
पाठ से :
प्रश्न 1. महादेवी वर्मा को अपना निश्चिय क्यों बदलना पड़ा?
उत्तर – महादेवी वर्मा को अपना निश्चय इसलिए बदलना पड़ा, क्योंकि उनके परिचित स्वर्गीय धीरेन्द्रनाथ बसु की पौत्री सुस्मिता ने उन्हें लिखा कि 'गत वर्ष अपने पड़ोसी से उसे एक हिरन मिला था । सघन जंगल से संबद्ध रहने तथा बड़े होने के कारण उसे घूमने के लिए अधिक विस्तृत जगह की जरूरत है । कृपा करके आप इसे स्वीकार कर लें। मैं आपकी बहुत आभारी रहूँगी। मैं इसे किसी ऐसे व्यक्ति को देना नहीं चाहती, जो इसके साथ बुरा व्यवहार करे। आपके यहाँ इसकी भली-भाँति देखभाल हो सकेगी, ऐसा विश्वास है।' इसी प्रेम एवं पशुप्रियता के कारण महादेवी वर्मा को अपना निश्चय बदलना पड़ा ।
प्रश्न 2. सोना के दिनभर के कार्यकलाप को अपनी भाषा में लिखिए ?
उत्तर – सोना अंधेरा होते ही लेखिका के पलंग के पास जा बैठती और सवेरा होते ही बाहर निकल जाती थी । उसका दिनभर का कार्यकलाप निश्चित था । दूध पीकर, चने खाकर वह लेखिका के प्रांगण में चौकड़ी भरती और उसके बाद छात्रावास का निरीक्षण करने चल देती । मेस पहुँचते ही छात्राएँ एवं नौकर-चाकर उसके पास दौड़े आते और सभी उसे कुछ-न-कुछ खिलाने को उतावले रहते । जलपान अध्याय के बाद सोना मैदान में पहुँचती। वहाँ घास चरती और लोट-पोट के पश्चात् भोजन के समय लेखिका के समीप खड़ी रहती और फिर छलांग लगाकर उन्हें प्रफुल्लित करती। अक्सर वह फ्लोरा के बच्चों को प्यार करती, उन्हें साथ लेकर घूमती ।
प्रश्न 3. सोना को फ्लोरा के छोटे बच्चे क्यों अच्छे लगते थे?
उत्तर – पशु प्रेम का भूखा होत है । सोना फ्लोरा के साथ खेलती थी । जब फ्लोरा ने बच्चों को जन्म दिया तब सोना उसकी खोज विकलता से करने लगी । फ्लोरा को लघु जीवों से घिरा देखकर सोना विस्मय - विमुग्ध हो उठीं । अब वह उन बच्चों के पास जाकर बैठने लगी और पिल्लों के बड़े होने पर उसके साथ घूमने लगी। फ्लोरा के छोटे बच्चे सोना के पीछे-पीछे दौड़ते-फिरते थे। इसीलिए सोना को फ्लोरा के छोटे बच्चें अच्छे लगते थे । क्योंकि इन बच्चों के साथ उसे आनंदोत्सव मनाने में मदद मिलती थी ।
प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए:
(क) जब मृत्यु इतनी अपवित्र और असुंदर है, तब उसे बाँटते घूमना क्यों अपवित्र और असुंदर कार्य नहीं है ।
उत्तर – प्रस्तुत गद्यांश महादेवी वर्मा लिखित रेखाचित्र 'सोना' शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इसमें लेखिका ने मृत्यु के विषय में अपना विचार प्रकट किया है। लेखिका का कहना है कि मनुष्य के लिए मृत्यु अति अपवित्र होती है । इसी अपवित्रता एवं भयानकता के कारण वह अपने आत्मीय जनों का भी शव छूना नहीं चाहता। वह उस शव से डरता तथा भय खाता है । यदि मृत्यु इतना अपवित्र और भयानक है तो वह निरीह पशु-पक्षियों को मारने के लिए क्यों व्यग्र रहता है, यह बात लेखिका की समझ में नहीं आती । लेखिका के विचार से मानव का यह कार्य उसके दोहरे मानदण्ड को उजागर करता है क्योंकि एक ओर मनुष्य शव को छूने से डरता है तो दूसरी ओर जीवों की हत्या करके मनोरंजन करता है ।
(ख) पशु, मनुष्य के निश्छल स्नेह से परिचित रहते हैं, उसकी ऊँची नीचो सामाजिक स्थितियों से नहीं ।
उत्तर – प्रस्तुत गद्यांश महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'सोना' शीर्षक से उद्धृत है। इसमें लेखिका ने स्नेह के महत्त्व पर विचार प्रकट किया है। लेखिका का कहना है कि पशुओं में मनुष्य की भावनाओं को पहचानने की क्षमता होती है। जो कोई पशुओं से प्रेम करता है, पशु उसके भाव को उसी रूप में ग्रहण कर, मनुष्य के प्रति भी अपना वैसा ही भाव व्यक्त करते हैं। पशु किसी के साथ भेदभाव नहीं करते, वे ऊँची जाति के साथ अच्छा व्यवहार तथा नीची जाति के साथ नीच व्यवहार नहीं करते। पशु किसी की सामाजिक स्थिति की अपेक्षा नहीं रखता । वह प्रेम का भूखा होता है। जो कोई उसे प्रेम करता है, वह उसी के वशीभूत हो जाता है। इसलिए लेखिका यह बताना चाहती है कि जीवन में सामाजिक स्थिति का नहीं, भावना का महत्त्व होना चाहिए ।
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. सोना के सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।
उत्तर – लेखिका के यहाँ 'सोना' दुधमुँही अवस्था में लाई गई थी, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ उसका रूप निखरने लगा । एक साल के बाद उसके पीले-पीले रोएँ के रंग कुछ गाढ़े हो गए। उनमें से ताँबे जैसी चमक आने लगी । अब वह सचमुच सोना बन गई। उसकी पीठ में भराव आ गया। टाँगें सुडौल हो गई और खुरों में कालेपन की चमक आ गई। गर्दन लचीली हो गई और आँखों में आकर्षण आ गया | कज्जल कोरों के बीच उसकी नीली- चमकीली दृष्टि ऐसी लगती थी, जैसे नीलम के बल्बों से बिजली की चमक आ रही हो। उसकी मासूम दृष्टि अति आकर्षक थीं ।
प्रश्न 2. पशु-पक्षियों की सुरक्षा के लिए आप क्या-क्या उपाय करेंगे ?
उत्तर – पशु-पक्षियों की सुरक्षा के लिए मैं लोगों को समझाऊँगा कि वे उनका शिकार न करें | वे बेजुबान जीव शिकारियों का विरोध करने में सक्षम नहीं हैं। अतः शिकारी लोग कुछ दयाभाव का प्रदर्शन करें । अगर सम्भव होगा तो ग्राम पंचायत की मदद से गाँव के चारों ओर पानी के गढ़े बनवाऊँगा, ताकि आवारा पशु-पक्षी पानी पी सकें | पक्षियों को खाने के लिए छतपर या इधर-उधर मैदान में सस्ते अनाज के दाने छीट दूँगा और ऐसा बराबर करूँगा । बहेलियों के जाल को मुखिया जी द्वारा जब्त करवा दूँगा । चीटियों के बास स्थान पर सत्तू - चीनी डालूँगा और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहूँगा ।
प्रश्न 3. क्या होता यदि :
(क) हिरन के तीन-चार दिन के बच्चे को लेखिका के पास न लाया जाता ।
उत्तर – हिरण के तीन-चार दिन के बच्चे को यदि लेखिका के पास नहीं लाया जाता तो निश्चय ही वह मर जाता । तब 'सोना' की कहानी भी नहीं लिखी जाती ।
(ख) हेमंत-वसंत और फ्लोरा सोना से दोस्ती न करते ।
उत्तर — यदि हेमंत - वसंत और फ्लोरा सोना से दोस्ती नहीं करते तो सोना उनकी खोज में व्यग्र नहीं होती। तब हो सकता था कि सोना की अकाल मृत्यु नहीं होती ।
(ग) लेखिका बद्रीनाथ की यात्रा पर न जाती ।
उत्तर – यदि लेखिका बद्रीनाथ की यात्रा पर न जाती तो सोना की मृत्यु इतनी जल्दी नहीं हो पाती । वह पूरी आयु जीकर ही मृत्यु को प्राप्त होती ।
व्याकरण:
प्रश्न 1. व्यंजनों के प्रत्येक वर्ग के नासिक्य व्यंजन को अनुस्वार ( ं) प्रकट करता है जबकि अनुनासिक ( ँ ) स्वर का गुण है । पाठ में आए पाँच अनुनासिक और पाँच अनुस्वार शब्दों की सूची बनाइए ।
उत्तर : अनुनासिक अनुस्वार
(क) आँख (ख) ध्वंस
(ख) टाँगें (ख) पंजे
(ग) बाँटते (ग) तरंग
(घ) फाँदते (घ) रंग
प्रश्न 2. इन वाक्यों में रेखांकित शब्दों के कारक चिह्न की पहचान कीजिए ?
(क) मैने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालूंगी।
(ख) जिसमें उसके लिए स्नेह छलाता था ।
(ग) गोधूली कूदकर मेरे कंधे पर आ बैठी।
(घ) हिरन शेर से डरता है ।
(ङ) अरे, यह तो बहुत सुंदर है।
(च) मेरी दृष्टि सोना को खोजने लगी ।
उत्तर – (क) कर्त्ताकारक, (ख) संप्रदान कारक, (ग) अधिकरण कारक, (घ) अपादान कारक, (ङ) संबोधन कारक, (च) कर्मकारक ।
प्रश्न 3. कई बार दो शब्द मिलकर भी एक शब्द बनाते हैं, जैसे :
छात्र + आवास = छात्रावास
इस प्रकार कुछ शब्द बनाइए ।
उत्तर : विद्या + आलय विद्यालय
शैशव + अवस्था = शैशवावस्था
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
आनंद + उत्सव आनंदोत्सव
आनंद + उल्लास = आनंदोल्लास
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