चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर अब चांद की सतह से मात्र 113 किलोमीटर दूर रह गया है। इसरो ने शुक्रवार को पहली डीबूस्टिंग प्रक्रिया के जरिए विक्रम लैंडर की कक्षा घटाई है। डीबूस्टिंग प्रकिया का मतलब किसी भी यान की रफ्तार को कम करना होता है। इसरो ने इसके लिए एक खास तकनीक अपनाई है।
चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चंद्रमा की 113 गुना 157 किलोमीटर वाली कक्षा में पहुंच गया है। यानी अब इसकी चांद से अधिकतम दूरी 157 किलोमीटर और न्यूनतम दूरी 113 किलोमीटर रह गई है। 20 अगस्त को रात 2 बजे दोबारा इसकी रफ्तार कम की जाएगी । इसके बाद चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किमी और अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर रह जाएगी। 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास होगा।
विक्रम लैंडर ने पोजिशन डिटेक्शन कैमरा से चांद की सतह का एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया है। इसे इसरो ने अपने अकाउंट के जरिए साझा किया है। इसमें चांद की सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे नजर आ रहे है। कैमरा लैंडर के निचले हिस्से में लगा हुआ है। इसे लैंडिंग के कुछ समय पहले चालू किया जाएगा। फिलहाल इसे ट्रॉयल के तौर पर शुरू किया गया था। इसके साथ ही लैंडर हजार्ड डिटेक्शन कैमरा मिलकर विक्रम को चांद की सतह पर सुरक्षित सॉफ्ट लैंड कराएंगे।
चंद्रयान-3 अब ऐसी जगह पर पहुंच गया जहां करीब तीन साल पहले चंद्रयान-2 की असफलता के साथ भारत की चांद की पर उतरने पहली कोशिश नाकाम हुई थी। चांद की सतह पर उतरने से पहले लैंडर की रफ्तार को 800 न्यूटन शक्ति के थ्रस्टर को जरिये कम किया जा रहा है। यह थ्रस्टर रॉकेट या फाइटर जेट के पीछे लगने वाले इंजन होते हैं। इसे विक्रम लैंडर के चारों कोनों में लगाया गया है। इन्हें दो चरणों में इस्तेमाल किया जाएगा।
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