सनी देओल ने तो गदर मचा दिया है गदर 2 को फिल्म समीक्षकों ने कुछ खास रिव्यू नहीं दिया था। उनको लगा कि फिल्म की कहानी में कोई दम नहीं है। हम 90 के दशक के बच्चों का सपना था कि सनी देओल की गदर वाली दहाड़ सिनेमा हॉल में देखने-सुनने को मिले। और तो और, ‘हिन्दुस्तान जिंदाबाद’ वाला सीन तो हमेशा से टीवी पर देखकर खुश हो जाते थे। अब जब 22 साल बाद गदर वापस गदर 2 बनकर लौटी है, तो देश की जनता ने इसे मानो अपनी फिल्म बना लिया।
समीक्षकों की राय से नौजवानों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्हें तो बस सनी देओल का गदर मचाते हुए हैंडपंप वाला सीन देखना था। फिल्म के गाने बदले नहीं गए, यह बढ़िया है। डायलॉग पुरानी फिल्म के जितने प्रभावी तो नहीं हैं, लेकिन सनी पाजी ने जितने भी डायलॉग बोले हैं, वे सब हिट हैं। सनी देओल आक्रामक भूमिका में ही पसंद किए जाते हैं, इसीलिए सिंगल स्क्रीन के शो इतने हाउसफुल जा रहे हैं कि नीचे बैठने तक की जगह नहीं मिल रही है। इस फिल्म से हिन्दुस्तान के 90 प्रतिशत युवाओं के बचपन की यादें जुड़ी हैं, इसलिए यह सुपरहिट साबित हुई है।
पैदा हो रही दीवानगी
लंबे समय बाद, चाहे सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल हो या मल्टीप्लेक्स, लोगों में सिनेमा के प्रति एक अद्भुत दीवानापन देखा जा रहा है। सिनेमा हॉल में जैसे तूफान मच गया है। आप किसी भी हॉल में चले जाइए, दर्शक नाच रहे हैं, सीटी बजा रहे हैं, चिल्ला रहे हैं, ‘भारतमाता की जय’ के नारे लगा रहे हैं। भावुक दर्शक तो नम आंखों के साथ सिनेमा हॉल से बाहर निकल रहे हैं। साल 2001 में जब गदर रिलीज हुई थी, तब लोग ट्रैक्टर और ट्रकों में भरकर सिंगल स्क्रीन थियेटर पहुंच रहे थे। गदर 2 में भी वही हो रहा है। दिल्ली से लेकर भीलवाड़ा तक और मुंबई से लेकर जोधपुर तक, जहां देखो सनी देओल के नाम की धूम मची है। सनी देओल ने 65 साल की उम्र में जो दीवानगी अपने फैंस में पैदा की है, उसने समूचे सिनेमा जगत को हैरान कर दिया है। रजनीकांत के बाद सिनेमा के प्रति दर्शकों में उन्माद पैदा करने वाले सबसे बड़े नायक सनी देओल बनते दिख रहे हैं। इस फिल्म की सफलता ने बता दिया है कि भारतीय सिनेमा, विशेषकर हिंदी सिनेमा अब सफलता के नए कालखंड में प्रवेश कर गया है। अब देशप्रेम के साथ समाज को मजबूत करने वाली फिल्में ही भारत में पैसे कमाएंगी।
0 Comments