पाठ से
प्रश्न 1. प्रस्तुत कविता के आधार पर वर्षा ऋतु का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – प्रस्तुत कविता 'वर्षा बहार' में वर्षा ऋतु के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। इस ऋतु का आगमन होते ही आकाश में काले-कजरारे बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं। बिजली चमकती है तथा बादल गरजते हैं। वर्षा जल पाकर नदियों की धारा प्रखर हो जाती है। झरनों से जल झरने की गति बढ़ जाती है। हवा में शीतलता आ जाती है डालियाँ नये पत्तों से लद जाती हैं। वन-उपवन हरे-भरे हो जाते हैं। पपीहे पीऊ-पीऊ करते फिरते हैं। बादलों को देख मोर पंख फैलाकर नाचने लगते हैं तो मेढ़क की टर्र-टर्राहट से रात्रि की शांति भंग हो जाती है। तात्पर्य कि सारी प्रकृति अद्भुत सौन्दर्य से सज जाती है और फसल लगाने की खुशी में किसान मनमोहक गीत गाने लगते हैं। अत: हम कह सकते हैं कि वर्षा ऋतु धरती की शोभा तथा सारे प्राणियों के जीवन का आधार है 1
प्रश्न 2. वर्षा ऋतु में बाग-बगीचों में आनंद क्यों छा जाता है ?
उत्तर–वर्षा ऋतु में बाग-बगीचों में आनन्द इसलिए छा जाता है क्योंकि वर्षा होते ही सारे पेड़-पौधों में नये पत्ते लग जाते हैं। खिले फूलों से क्यारियाँ सज जाती हैं। खिले गुलाब की सुगंध से बाग सुरभित हो जाता है तो वन में नाचता मोर मन को मोह लेता है। इन्हीं कारणों से वर्षा ऋतु में बाग-बगीचों में आनन्द छा जाता है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
(क) खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है।
उत्तर – कवि के कहने का उद्देश्य है कि ग्रीष्म ऋतु के प्रचंड ताप से संतप्त गुलाब वर्षा का जल पाकर खिल उठता है और अपने सौन्दर्य एवं सुरभि से बागों में आनन्द रस का संचार कर देता है।
(ख) गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर ।
उत्तर – किसान खुशी का गीत इसलिए गाते हैं, क्योंकि वर्षा ऋतु में ही वे फसल लगाते हैं और सालों भर इसी परिश्रम के फल का उपभोग करते हैं।
पाठ से आगे
प्रश्न 1. अपने अनुभव के आधार पर वर्षाऋतु का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- वर्षाऋतु को ऋतुओं की रानी कहा गया है। इस ऋतु में प्राकृतिक सौन्दर्य अपनी तरुणाई पर होता है। लगता है, जैसे हरी मखमली कालीन पर धरती लेटी हो । इस ऋतु का आगमन होते ही आकाश बादलों से ढंक जाता है। ग्रीष्म के ताप से संतप्त धरती वर्षाजल से संतृप्त होती है। गुलाब के फूलों पर भौरे गुंजार करने लगते हैं तो मेढ़क की टर्र-टर्र एवं मेघगर्जन से वातावरण की शांति भंग हो जाती है। किसान खेतों में मधुर गीत गाते हुए फसल लगाते हैं। तात्पर्य कि वर्षा ऋतु का अपना खास महत्त्व है। यदि वर्षा न हो तो सारे संसार में अकाल का ताण्डव हो जाए और भूख की ज्वाला में सृष्टि की खूबसूरत कली मुरझा जाए। यह ऋतु सृष्टि शृंगार में सहयोगिनी है तो बाढ़- विभीषिका से सृष्टि को बदशक्ल भी बना देती है।
प्रश्न 2. ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु आती है। वर्षा ऋतु के आने पर आप कैसा महसूस करते हैं?
संकेत : छात्र अपना-अपना अनुभव स्वयं लिखें।
प्रश्न 3. यहाँ कविता की प्रथम पंक्ति दी गई है। इसके आधार पर अन्य तीन पंक्तियों की रचना स्वयं कीजिए ।
उत्तर : बादल बरसे, नाचे मोर,
मेंढक गाकर करते शोर ।
चलो किसानों हो गई भोर
रात हुई वर्षा घनघोर ।
व्याकरण
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए ।
सुख, प्रसन्न, सुन्दर, ठण्डी
उत्तर : सुख–दुख, प्रसन्न –अप्रसन्न, सुन्दर–कुरूप, ठण्डी–गर्मी
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