पाठ से
प्रश्न 1. 'गंगा-स्तुति' कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर- 'गंगा-स्तुति' कविता के कवि मैथिल कोकिल विद्यापति हैं।
प्रश्न 2. गंगा के किनारे को छोड़ते समय कवि की आँखों से आँसू क्यों वह रहे थे?
उत्तर- गंगा के किनारे को छोड़ते समय कवि की आँखों से आँसू इसलिए बह रहे थे, क्योंकि कवि ने मासपर्यन्त गंगा के निर्मल जल का पान किया था। फैली विस्तृत जलराशि की अलौकिक शोभा के दर्शन किए थे तथा आध्यात्मिक सुख का अनुभव किया था। इस अनुपम सुख से वंचित होने के कारण कवि का हृदय विकल हो उठा है, जिससे उसकी आँखों से आँसू झरने लगे थे।
प्रश्न 3. कवि गंगा से किस अपराध की क्षमा माँगता है?
उत्तर–कवि आध्यात्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है। गंगा को देवनदी कहा गया है। स्नान करते समय अनिवार्य रूप में पैर से गंगा का स्पर्श हो जाया करता था। इसी कारण वह माँ गंगों से प्रार्थना करता है कि हे माते! मुझे अपना पुत्र मानकर तुम मेरे इस अपराध (धृष्टता) को क्षमा कर देना।
प्रश्न 4. कविता की निम्नलिखित पंक्तियों को पूरा कीजिए ।
(क) कि करब जप-तप जोग धेयाने।
जनम कृतारथ एकहि सनाने ।
(ख) भनई विद्यापति समदओं तोही,
अंतकाल जनु विसरहु मोही ।
पाठ से आगे
प्रश्न 1. इस पाठ का शीर्षक 'गंगा-स्तुति' रखा गया है। क्या आप इस शीर्षक से सहमत हैं? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं?
उत्तर-किसी भी पाठ का शीर्षक उसके कार्य और विषय-वस्तु के उद्देश्य के अनुसार रखा जाता है। इस पाठ का शीर्षक 'गंगा-स्तुति' पूर्णत: उपयुक्त है, क्योंकि गंगा को देवनदी तथा गंगाजल को अमृततुल्य माना गया है। हर धार्मिक कार्य में हिन्दू इस जल का प्रयोग करते हैं। ऐसे पवित्र जल में कवि ने अपने पैर रखने की धृष्टता की थी। इसलिए अपने किए अपराध से मुक्ति पाने के लिए गंगा की स्तुति की, ताकि वह अपने किये पाप से मुक्त हो सके। अतः 'गंगा स्तुति' शीर्षक पूर्णतः उपयुक्त है 1
प्रश्न 2. गंगा के अतिरिक्त अन्य नदियाँ भी हमारे जीवन के लिए उपयोगो हैं। इन नदियों का हमारे दैनिक जीवन में क्या महत्त्व है, उल्लेख कीजिए।
उत्तर-गंगा के अतिरिक्त अन्य नदियों का भी हमारे दैनिक जीवन में अनेक उपयोग हैं। इन नदियों से नहर निकाल कर हम खेतों की सिंचाई करते हैं। नदियों पर बाँध बनाकर बिजली का उत्पादन किया जाता है। आज का नगरीय जीवन बिजली पर ही आधारित हो चला है। नदी तट के गाँवों को जल की सुविधा प्राप्त होती है। नहाने, कपड़ा धोने पानी की कमी और मवेशियों को नहलाने में सुविधा होती है। नदी तट के लोगों महसूस नहीं होती। कार्तिक पूर्णिमा या तिला संक्रांति के दिन इन्हीं नदियों में स्नान कर लोग कृतार्थ होते हैं।
व्याकरण :
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए।
उत्तर : (क) पाओल - पाया
(ख) छोड़इत — छोड़ते हुए
(ग) समदओं - प्रार्थना
(घ) सुनाने -नहाने
(ङ) पाय - पैर
कुछ करने को :
प्रश्न 1. गंगा के उद्गम स्थल से उसके समुद्र में मिलने तक की यात्रा के प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण कीजिए।
उत्तर-गंगा का उद्गम स्थल गोमुख है। गंगोत्री से चलकर गंगा देवप्रयाग पहुँचती है। इसके बीच का पहाड़ी दृश्य बहुत मनोरम है। पहाड़ों पर की हरियाली मन को मोह लेती हैं। देवप्रयाग से आगे बढ़कर गंगा ऋषिकेश में धरती को स्पर्श करती है और यहाँ से यह नदी पूर्ण विकसित हो जाती है। हरिद्वार में इसकी धारा का वेग अत्यन्त तीव्र होता है। आगे कनखल के जंगलों के बीच से होते हुए यह कानपुर पहुँचती है। कानपुर से प्रयाग में आकर संगम का रूप धारण करती है। यहाँ यमुना और सरस्वती (अदृश्य) से मिलकर त्रिवेणी के रूप में प्रसिद्ध हो जाती है। यमुना जल को साथ लिए
यह काशी पहुँचती है। काशी के बाद बक्सर होते हुए यह पटना, बाढ़, भागलपुर, सुल्तानगंज, फरक्का पहुँचती है। फरक्का मे बाँध है जहाँ बिजली बनती है। यहाँ इसे आगे बढ़कर पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है। आगे जाकर यह दो धाराओं में बँट जाती है। एक धारा कोलकाता की ओर चली जाती है और एक धारा बंग्लादेश में प्रवेश करती है। दोनों धाराएँ बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है और यहाँ गंगा की यात्रा पूर्ण हो जाती है।
प्रश्न 2. गंगा के किनारे बसे शहरों की सूची बनाइए। इन शहरों में स्थित कल-कारखानों से गंगा नदी पर किस प्रकार का दुष्प्रभाव पड़ता है। इस पर अपने सहपाठियों से चर्चा कीजिए एवं लिखिए।
उत्तर-गंगा नदी के किनारे बसे शहरों में उत्तर काशी, ऋषिकेश, हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी, बक्सर, पटना, भागलपुर और सुल्तानगंज प्रमुख हैं।
वैसे तो हर शहर में कोई-न-कोई कल-कारखाने हैं, लेकिन कानपुर में अधिक कारखाने ऐसे हैं जो गंगा को विशेष रूप से दुष्प्रभावित करते हैं। यहाँ का चमड़ा उद्योग गंगा के लिये अभिशाप है। यहाँ गंगा में ही चमड़े की सफाई होती है। अन्य नगरों की नालियों का गंदा पानी गंगा को प्रदूषित करता ही है।
तपोवन से गोमुख और गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक गंगा पवित्रता से अपवित्रता की ओर बढ़ती जा रही है।
पाठ से महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. कवि गंगा से क्या याचना करता है?
उत्तर–कवि गंगा से याचना करता है कि वह उसे (कवि को) पुन: अवश्य दर्शन दे। अंतिम समय में वह उसे भूल मत जाए ।
प्रश्न 2. जप-तप-योग-ध्यान किसी को भी कवि क्यों नहीं महत्त्व देता है?
उत्तर – कवि गंगा-स्नान का माहात्म्य जप-तप-योग-ध्यान सब कुछ से बढ़कर मानता है। सारी साधनाएँ मोक्ष-प्राप्ति के लिए ही की जाती हैं। जिस मोक्ष-प्राप्ति के लिए इतने यत्न किये जाते हैं, यह फल कवि को केवल एक बार गंगा-स्नान कर लेने से सहज ही मिल गया। इसीलिए कवि अब जप-तप-योग-ध्यन कुछ नहीं करना चाहता।
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