प्रश्न 1. अग्निशमन दस्ता आने के पूर्व समुदाय द्वारा कौन-से प्रयास किए जाने चाहिए ?
उत्तर – अग्निशमन दस्ता आने पूर्व समुदाय को चाहिए कि वे झुलसे हुए लोगों को एक जगह रखकर प्राथमिक उपचार करें । मोबाइल फोन से निकटतम अस्पातल को सूचना दें तथा एम्बुलेंस की माँग करें। कुछ लोग आग बुझाने तथा उसे फैलने से रोकने का प्रयास करें। जिस घर में आग लगी हो उस घर पर पानी तो डालें ही, आसपास के घरों पर भी पानी डालें ताकि आग फैलने नहीं पाए । मिल-जुलकर इस काम को पूरा करना कठिन नहीं है ।
प्रश्न 2. ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति के गठन में कौन-कौन से सदस्य शामिल होते हैं?
उत्तर – ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधनन समिति का गठन करने का निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर लिया गया है। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य होते हैं : (i) विद्यालय के प्रधानाध्यापक, (ii) गाँव के मुखिया, (iii) गाँव के सरपंच, (iv) गाँव के दो त्यागी और समर्पित लोग, (v) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का डॉक्टर, (vi) राष्ट्रीय सुरक्षा सेवा के सदस्य, (vii) ग्राम सेवक, (viii) स्वयं सहायता समूह की दो महिलाएँ ।
प्रश्न 3. आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय में किन अच्छे गुणों का होना आवश्यक है ?
उत्तर – आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय में निम्नलिखित गुण होने आवश्यक हैं : (i) पूर्वानुमान लगाने तथा चेतावनी देने की क्षमता हो । (ii) राहत शिविर का चयन कर कुप्रभावित लोगों को वहाँ पहुँचाने की क्षमता हो । (iii) लोगों को भोजन और स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने की ताकत हो । (iv) प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करने की जानकारी w हो । (v) महिलाओं और बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाय । (vi) स्वच्छच्छता रखी जाय ताकि बीमारी फैलने नहीं पावें ।
III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. आपदा प्रबंधन में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर – आपदा प्रबंधन में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका निम्नलिखित हैं: आपदा का रूप कोई भी क्यों न हो, उसका विनाशकारी प्रभाव जानमाल पर तो पड़ता ही है। उसका पहला झटका मनुष्य को ही लगता है और मनुष्य ही आपदा को भी झटका देता है। यह तभी सम्भव हो पाता है, जब वह आपदा को कम करने की सामुदायिक प्रयास करता है । आपदा से होने वाले वास्तविक ह्रास का पता समुदाय ही लगा सकता है। आपदा प्रबंधन के लिए जो भी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं, उसको बाँटने में तथा प्रत्येक परिवार तक उसका लाभ पहुँचाने में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका होती है। समुदाय ही आपदा के पूर्वानुमान की जानकारी देता है और समुदाय के लोग ही सबसे पहले आपदा का सामना करते हैं। आपदा में अगलगी हो सकती है, भूकंप हो तो मकान ढह सकते हैं, बाढ़ आ सकती है, सूखा पड़ सकता है, लेकिन समुदाय जैसे-का-तैसे बना रहता है । उस पर कोई आँच नहीं आती । समुदाय दुख में और सुख में— दोनों में साथ निभाता है। प्राचीनकाल से ही भारत जैसे ग्रामीण बहुल देश में आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी समुदाय ही निभाता आ रहा है। प्रशासनिक तबका भी समुदाय की मदद से ही प्रबंधन कर सकता है। स्वयंसेवी संस्थाएँ भी समुदाय के ही अंग होती हैं ।
आपदा प्रबंधन के तीन अंग माने गए हैं :
(i) पूर्वानुमान, चेतावनी एवं प्रशिक्षण, (ii) आपदा के समय प्रबंधन गतिविधियाँ तथा (iii) आपदा के बाद प्रबंधन कार्य ।
प्रश्न 2. ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए ।
उत्तर – ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के निम्नलिखित कार्य हैं :
(i) पूर्वानुमान के अनुसार चेतावनी देना और सूचना प्रसारित करना । यह प्रबंधन समिति जिला मुख्यालय से प्राप्त सूचनाओं को तत्काल लोगों तक पहुँचाती है।
(ii) राहत शिविर का चयन कर प्रभावित लोगों को वहाँ तक पहुँचाने का काम इसी में शामिल है। प्रबंधन समिति जिला प्रशासन को सूचित करेगी। यदि आग लगी हो तो दमकल की माँग करेगी।
(iii) राहत कार्य में लगे लोग सर्वप्रथम आपदाग्रस्त लोगों को भोजन एवं पेयजल मुहैया कराते हैं ।
(iv) प्रबंधन समिति प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करती हैं ।
(v) सभी को सुरक्षा देती है। खास तौर पर महिलाओं और बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान देती है।
(vi) स्वच्छता का ध्यान रखती है। स्वच्छता से कोई बीमारी नहीं फैलती ।
प्रश्न 3. आपदा प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है ?
उत्तर – आपदा प्रबंधन में समुदाय की भूमिका तभी सुनिश्चित होगी जब सम्भावित आपदा की सूचना अधिकाधिक लोगों को मिले । जैसा कि हम जानते हैं, गाँव स्वयं में एक समुदाय होता है। इसकी प्रशासनिक इकाई ग्राम पंचायत होती है। उसकी प्रशासनिक व्यवस्था, स्वयं सेवी संस्था तथा प्रगतिशील व्यक्ति स्वयं आगे बढ़कर लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं। वे भागीदारी निम्नलिखित हैं:
(i) निकटतम विद्यालय में विद्यार्थियों में यह प्रचार किया जाय कि बाढ़ या आँधी की आशंका है, अतः वे अपने घर के लोगों तथा घूम-घूमकर पड़ोसियों को सचेत कर दें ।
(ii) मंदिर, मस्जिद या गिरिजाघर में जाकर प्राकृतिक या मानव जनित आशंकित आपदाओं की जानकारी दी जाय। यह जानकारी उस समय देनी लाभदायक होगी, जब पूजा, प्रार्थना या नमाज के लिए अधिक लोग एकत्र हो ।
(iii) ऐसे परिवारों की सूची बनाई जाय, जिन परिवारों में वृद्ध, शिशु, गर्भवती महिला, बीमार या विक्षिप्त लोग हों। ऐसे लोगों को पहले शिविरों में पहुँचाया जाय ।
(iv) पंचायत भवन और गाँव के विद्यालय का भवन राहत शिविर में उपयोग किया जाय । यहाँ आपातकालीन व्यवस्था, भोजन-पानी, नाव, तैराकी-जैकेट, डॉक्टरों और इंजीनियरों की व्यवस्था में आसानी होगी ।
(v) आगजनी, महामारी, सामुदायिक तनाव, ओला वृष्टि, बाढ़ जैसी आपदाओं में परिवहन की व्यवस्था रखी जाय, जिससे सम्बंधित अधिकारियों से सम्पर्क साधा जा सके।
(vi) इसी के लिए ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधनन समिति का गठन किया जाता है।
0 Comments