प्रश्न 1. प्लेग और हैजा का क्या कारण है ?
उत्तर – सूक्ष्म जीवाणु और वायरस प्लेग और हैजा दोनों के कारण हैं।
प्रश्न 2. 'एड्स' की बीमारी के कारणों को बतावें ।
उत्तर – 'एड्स' की बीमारी के मुख्य कारण हैं तो वायरस ही, लेकिन संक्रमण भी इस बीमारी को फैलाने और बढ़ाने में मदद करते हैं। अनेक लोगों से यौन सम्बंध तथा इस्तेमाल किया गया सिरींज (सूई) से भी यह रोग फैलता है । दूषित खून चढ़ाने से भी यह बीमारी होती है ।
प्रश्न 3. हेपेटाइटिस बीमारी के कारणों को बतावें ।
उत्तर – हेपेटाइटिस कई प्रकार के होते हैं, जैसे : हेपेटाइटिस ABC इत्यादि । इन तीनों बीमारियों के कारण समान ही हैं । वे हैं: सूक्ष्मी जीवाणु तथा वायरस ।
III. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. जैविक आपदा कितने प्रकार के हैं? उनका संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर – जैविक आपदा चार प्रकार के हैं। वे हैं :
(अ) प्रथम प्रकार, जो अधिक विनाशकारी नहीं होते। इनका कारण सूक्ष्म जीवाणु और वायरस होते हैं । ये जीवाणु और वायरस चिकेन पॉक्स, केनिन हेपेटाइटिस जैसी साधारण बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं। तात्कालिक कुछ उपाय से ये शीघ्र दूर हो जाते हैं ।
(ब) दूसरे वर्ग में वैसी बीमारियों को रखा गया है, जिनके कारण भी सूक्ष्म जीवाणु और वायरस ही होते हैं। लेकिन ये भिन्न प्रकार के होते हैं, जिनके कारण हेपेटाइटिस A, B, C; इंप्फ्लूएंजा, लाइमडिजिज, मिजिल्स, चिकेन पॉक्स और एड्स जैसी बीमारियाँ होती हैं। समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण करते रहने से इन रोगों से बचा जा सकता है ।
(ग) तीसरे वर्ग की बीमारियों के कारण भी सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस ही होते हैं । लेकिन इस अर्थ में भिन्न होते हैं कि इनसे विनाशकारी संक्रामक रोग फैलते हैं। जैसे : एन्थ्रेक्स, पश्चिमी नील वायरस, वेन जुलियन एन्सफ्लाइटिस, स्मॉल पॉक्स, टी. बी. रिफ्टवैली बुखार, पीला बुखार, मलेरिया, फ्लेग, हैजा, डायरिया आदि रोग होते हैं ।
(द) चौथे वर्ग में अति विनाशकारी वायरसों को रखा गया है। ऐसे वायरस हैं : बोलिवियन तथा अर्जेटियन । इनसे होनेवाले रोग हैं गम्भीर बुखार, बर्ड फ्लू तथा एड्स | डेंगू बुखार, मारवर्ग बुखार, एबोला बुखार इत्यादि रोग होते हैं । डेंगू तथा एड्स दोनों सर्वाधिक जोखिम भरा आपदा हैं ।
प्रश्न 2. जैविक अस्त्र क्या है ? इससे उत्पन्न समस्याओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - जैविक अस्त्र एक नया युद्धक अस्त्र है । इसके आक्रमण से निर्दोष नागरिकों तथा पशुओं की मौत होने लगती है। पेड़-पौधे भी कुप्रभावित होने लगते हैं। यह महान अमानवीय अस्त्र माना जाने लगा है। अमेरीकियों को संदेह है कि जैविक अस्त्र का इजाद जापानियों ने किया था । लेकिन ऐसा लगता है कि जापान पर अणु बम गिराने जैसे घृणित काम पर पर्दा डालने का यह एक शगूफा है । इस अस्त्र का निर्माण किसने किया इसका सही पता तो नहीं है, लेकिन इसका दुरुपयोग 2001 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमले के बाद आरम्भ हुआ ।
जैविक अस्त्र से उत्पन्न समस्याओं का वर्णन कठिन है । यह इतना महान विनाशकारी है कि देखते-देखते व्यक्ति और अन्य जीव-जंतु काल की गाल में समा जाते हैं। एंथ्रेक्स नामक जीवाणु को अमेरिका के महत्वपूर्ण सामरिक क्षेत्रों में डाक सेवा द्वारा या अनजान व्यक्तियों द्वारा पहुँचाया जाने लगा। एंथ्रेक्स एक ऐसा सूक्ष्म जीवाणु है जो श्वसन तंत्र द्वारा शरीर के अंदर पहुँचकर एक प्रकार का जहर उत्पन्न कर देता है । यह की भारी आपदा को उत्पन्न करता है। एंथ्रेक्स के अलावा यह अनेक जीवाणु जैविक अस्त्र में उपयोग किए जाते हैं। जैसे : रुग्णता लानेवाला जीवाणु कहा जाता है। जैविक अस्त्र एक ऐसा अस्त्र समझा जाने लगा है, जिससे शीघ्र निजात की सम्भावना नहीं है। लेकिन इतना तो अवश्य कहा जाएगा कि इसका निर्माण करनेवाला और उपयोग करनेवाला— दोनों मानवता के महान शत्रु हैं ।
प्रश्न 3. जैविक आपदा से बचाव के उपाय बताइए ।
उत्तर- जैविक आपदा से बचाव का उपाय ढूँढ़ना बहुत आसान नहीं है। फिर भी कुछ खास अहतियात बरता जाय तो कुछ हद तक इससे बचाव सम्भव है।
सर्वप्रथम तो यह कि किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए पत्र या पार्सल को धड़ल्ले से नहीं खोला जाय। जाँच दल के जिम्मे इन्हें सौंप दिया जाय। वैसे कहा गया है कि गर्म जल पीया जाय। स्वच्छ एवं गर्म भोजन ग्रहण किया जाय । सुरक्षा दवा का छिड़काव और प्रशासनिक प्रतिबद्धता को मजबूती से लागू किया जाय । यदि अनजान पत्र या पार्सल को खोलना जरूरी ही हो तो ग्लब्स का उपयोग अवश्य किया जाय। इससे बहुत हद तक व्यक्ति अपना बचाव कर सकता है। डॉग स्क्वायड का गठन किया जाय। डॉग स्क्वायड की मदद से जैविक अस्त्रों के निर्माण का स्थान या एकत्रीकरण के स्थान का पता लगाया जा सकता है। विश्व स्तरीय ऐसा बड़ा कानून बनाया जाय जिससे कोई जैविक अस्त्र बनाने की हिम्मत नहीं कर सके। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास की आवश्यकता है।
जैविक अस्त्र रखने के संदेह मात्र से ही अमेरिका ने इराक को तबाही में डाल दिया था। उसके राष्ट्रपति को फाँसी पर लटकवा दिया गया था। बाद में अमेरिका ने निर्लज्जतापूर्वक स्वीकार किया कि इराक में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो विश्व के लिए अमानवीय हो ।
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