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Bihar Board Class 9th History Chapter 5 Long Question Answer | NCERT Class 9 la itihas ki duniya Solution Chapter 5 | बिहार बोर्ड क्लास 9वीं इतिहास अध्याय 5 | नाजीवाद दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board Class 9th History Chapter 5 Long Question Answer  NCERT Class 9 la itihas ki duniya Solution Chapter 5  बिहार बोर्ड क्लास 9वीं इतिहास अध्याय 5  नाजीवाद  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


  VII. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :  


प्रश्न 1. हिटलर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें ।

उत्तर – हिटलर का पूरा नाम एडोल्फ हिटलर था । उसका जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई॰ में आस्ट्रिया के एक शहर बौना में हुआ था। गरीबी के कारण उसका लालन-पालन या शिक्षा-दीक्षा सही ढंग से नहीं हो सकी थी । वह सेना में भर्ती हो गया। प्रथम विश्वयुद्ध में उसने जर्मनी की ओर से लड़ते हुए अपूर्व वीरता का प्रदर्शन किया, जिससे उसे 'आयरन क्रास' से सम्मानित किया गया । वर्साय की संधि में जर्मनी की जो दुर्गति की गई, उस वह मर्माहत था । युद्धोपरान्त वह 'जर्मनी वर्कर्स पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली । अपने जुझारूपन से इसने पार्टी में अपना एक अच्छा स्थान बना लिया । इसने पार्टी का नाम बदलवाकर 'नेशनल सोसलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी' करा दिया। जल्दी ही वह इसका नेता (फ्यूहरर) बन गया ।
हिटलर ने गोयबल्स जैसे कार्यकर्ताओं से पार्टी को भर दिया । ऐसे लोग नारा गढ़ने और झूठ को सच में बदलने में माहिर थे। संधि के बाद फ्रांस ने जर्मनी के जिन क्षेत्रों पर कब्ज़ा किया था, वह उन्हें वापस माँगने लगा। इसी के समर्थन में उसने वाइमर गणतंत्र के खिलाफ विद्रोह खड़ा करवा दिया और खुद उसका नेता बन गया । विद्रोह के असफल हो जाने के कारण उसे जेल की हवा खानी पड़ी। जेल में रहकर ही इसने अपनी जीवनी 'मीन कैम्फ' की रचना की। इस पुस्तक में उसके भावी कार्यक्रम की रूपरेखा थी। 1924 में जेल से रिहा होने के बाद उसने अपने दल को नए सिरे से संगठित किया। आय के पवित्र चिह्न 'स्वास्तिक' को इसने अपने दल का प्रतीक घोषित किया दल को वह सैनिक रूप में ढालने लगा। इसने उसका इतना प्रचार किया कि वैश्विक समाज में जर्मनी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा। उसे राष्ट्रसंघ की सदस्यता भी मिल गई। आर्थिक मंदी के कारण वाइमर गणतंत्र से जनता का विश्वास उठने लगा। हिटलर ने इसका भरपूर लाभ उठाया। वकतृत्व कला में यह इतना निपुण था कि श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सर्वत्र सफल होने लगा। जर्मनी की दुर्दशा के लिए उसने वर्साय की संधि, वाइमर गणतंत्र तथा जर्मनी में रह रहे यहूदियों को जिम्मेवार ठहराने लगा। उसे विश्वास था कि ये यहूदी रहते-खाते तो जर्मनी में हैं लेकिन जासूसी उसके विरोध में करते हैं। मध्यवर्ग और बेकार नौजवान इसके प्रबल समर्थक बन गए। 1932 ई. के चुनाव में इसने संसद के लिए 230 सीटें प्राप्त कर लीं। कुछ आनाकानी के बाद अंततः राष्ट्रपति हिडनबर्ग ने 1933 में हिटलर को चांसलर ( प्रधानमंत्री) नियुक्त कर दिया। 1934 में हिंडेनबर्ग की मृत्यु के बाद हिटलर ने राष्ट्रपति और नांसलर दोनों पदों को एक में मिलाकर जर्मनी का एक छत्र शासक बन बैठा। जर्मन गणतंत्र समाप्त होकर नाजी जर्मन का आरम्भ हो गया । हिटलर अब जर्मनी का सर्वेसर्वा था। उसने नाजीवादी दर्शन एवं विदेश नीति का अवलम्बन किया, जिस कारण पूरे विश्व में तनाव की स्थिति बन गई। अब द्वितीय विश्वयुद्ध अवश्यम्भावी और निकट दिखने लगा।
प्रश्न 2. "हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा को प्राप्त करने का एक साधन था । " कैसे ?
उत्तर – वर्साय की संधि ने जर्मनी को पंगु बना दिया था। इससे जर्मनीवासियों का खून खौल रहा था और वे बदले की भावना से ओत-प्रोत थे। हिटलर ने इसका लाभ उठाया और जनता की इच्छा के अनुरूप अपनी विदेश नीति तय की, जिसके आधार पर उसने निम्नलिखित कदम उठाए :
(1) राष्ट्रसंघ से पृथक होना- सर्वप्रथम हिटलर ने 1933 में जेनेवा निःशस्त्रीकरण की माँगी की । लेकिन नहीं माने जाने पर वह राष्ट्रसंघ से अलग हो गया । "
(2) वर्साय संधि को भंग करना— 1935 में हिटलर वर्साय संधि की शर्तों को मानने से इंकार कर दिया और उसने पूरे जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा लागू कर दी ।
(3) पोलैंड के साथ समझौता– हिटलर ने 1934 में पोलैंड के साथ दस वर्षीय अनाक्रमण संधि कर समझौता कर लिया, जिसमें तय हुआ कि दोनों एक-दूसरे की सीमाओं की रक्षा करेंगे ।
(4) ब्रिटेन से समझौता- 1935 में हिटलर ने ब्रिटेन से एक समझौता किया, जिसमें तय हुआ कि जर्मनी अपनी सैनिक क्षमता बढ़ा सकता है। हालाँकि नौ सेना पर कुछ प्रतिबंध जारी रहेगा ।
(5) रोम-बर्लिन धुरी- हिटलर ने इटली से समझौता कर लिया। इस प्रकार रोमबर्लिन धुरी की नींव पड़ गई।
(6) कामिन्टर्न विरोधी समझौता- साम्यवादी खतरा से बचाव के लिए जर्मनी, इटली और जापान के बीच कामिन्टर्न विरोधी समझौता हुआ। इस प्रकार 1936 में इन तीनों ने मिलकर 'धुरी राष्ट्र' की कल्पना साकार कर ली ।
(7) आस्ट्रिया एवं चेकोस्लोवाकिया का विलय- जर्मन भाषा-भाषी क्षेत्रों को एक साथ करने के लिए उसने आस्ट्रिया को जर्मनी में मिला लिया । इधर चेकोस्लोवाकिया के सुडेटनलैंड में जर्मनभाषी लोग रहते थे। इंग्लैंड, फ्रांस और इटली के अनुरोध पर चेकोस्लोकिया ने सुडेटनलैंड को जर्मनी के हवाले कर दिया ।
(8) पोलैंड पर आक्रमण- पोलैंड को बाल्टिक सागर तक पहुँचाने के लिए जर्मनी का कुछ भू-भाग उसे दिया जा चुका था। हिटलर उसकी वापसी चाहता था । इंकार करने पर जर्मनी ने पोलैंड पर 1 सितंबर, 1939 को आक्रमणकर दिया, जिससे विश्वयुद्ध आरंभ हो गया ।
प्रश्न 3. "नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक और लोकतंत्र का विरोधी था ।" विवेचना कीजिए ।
उत्तर – "नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक और लोकतंत्र का विरोधी था ।” यह निम्नलिखित बातों से सिद्ध होता है :
1. हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही प्रेस तथा बोलने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया। अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जाती रही । वह विरोधी दलों का सफाया करने लगा । 
2. यह दर्शन समाजवाद का विरोधी था । कम्युनिस्टों की बढ़ोत्तरी से डराकर हिटलर पूँजीपतियों को अपने पक्ष में करने में सफल हो गया। इसमें उसे इंग्लैंड एवं फ्रांस का भी मौन समर्थन था ।
3. नाजीवादी दर्शन सर्वसत्तावादी राज्य की एक संकल्पना है। इसके अनुसार राज्य के भीतर ही सबकुछ है, राज्य के विरुद्ध या बाहर कुछ नहीं है । 
4. यह दर्शन उग्र राष्ट्रवाद पर बल देता था। चूँकि जर्मनी में पहले से ही उग्र राष्ट्रवाद और सैनिक तत्व की परंपरा रही थी, अतः हिटलर को इसमें काफी सफलता मिली । देश में कहीं से कोई विरोध नहीं हुआ ।
5. नाजीवाद राजा की निरंकुशता का समर्थक था । जर्मनी में उसी का सहारा लेकर हिटलर ने निरंकुश शासन की शुरुआत कर दी। उसने गुप्तचर पुलिस 'गेस्टापो’ का गठन किया और पूरे जर्मनी में आतंक फैला दिया। सम्पूर्ण देश में इसने इस सिद्धांत का प्रचार किया कि "एक देश: एक पार्टी और एक नेता ।" इसके अलावा कुछ नहीं ।
नाजीवादी दर्शन में सैनिक शक्ति एवं हिंसा को महिमा मंडित किया जाता था । इससे यूरोप के अन्य देशों में स्वतंत्रता विरोधी भावनाओं को प्रोत्साहन मिला। विश्व में शांति विरोधी वातावरण का निर्माण हुआ। पूरे विश्व में साम्यवादी विरोध के आन्दोलन जोर पकड़ने लगे । यूरोप में तुष्टिकरण की नीति का प्रचलन बढ़ गया।

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