प्रश्न 1. ‘वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की ।' कैसे ?
उत्तर – प्रायः इतिहासकारों द्वारा सदा यह सुनने में आता रहा है कि 'द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज वर्साय की संधि में निहित थे' लेकिन यह भी सही लगता है कि 'वर्साय की संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की ।' वास्वत में वर्साय की संधि संधि नहीं बल्कि जबरदस्ती थोपा गया एक दस्तावेज थी, जिसके प्रावधानों को निश्चित करते समय जर्मनी को अंधकार में रखा गया और बिना कुछ बताए उससे हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया । जर्मनी का अंग-भंग कर दिया गया। उसके सार कोयला क्षेत्र को 15 वर्षों के लिए फ्रांस को दे दिया गया। राइन नदी घाटी को सेना - विहिन रखने की हिदायत दी गई। उस पर भारी जुर्माना भी लगाया गया, जिसे देना उसकी क्षमता के बाहर था । फलतः जनता अपने को अपमानित महसूस कर रही थी। इसी समय वहाँ हिटलर का उदय हुआ, जिसे जनता ने सिर आँखों पर बैठा लिया। उसने वादा किया * कि जर्मनी के पूर्व सम्मान को वह लौटाएगा और उसके साथ दंगा देनेवालों को वह सबक सीखाएगा । बहुत हद तक उसने प्रतिष्ठा को बढ़ाया भी ।
प्रश्न 2. "वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में सहायक बना ।" कैसे ?
उत्तर – ‘वाइमर गणतंत्र' एक बहुत कमजोर शासनवाला गणतंत्र सिद्ध हुआ। इसने संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की तथा राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियाँ प्रदान कर दी । यही शक्ति हिटलर के लिए वरदान साबित हुई । संसद में बहुमत प्राप्त करने के बाद वह मनमानी निर्णय लेने लगा । आगे चलकर वह जर्मनी का सर्वेसर्वा बन गया । वह खुलकर नाजीवाद को बढ़ावा देने लगा। उसे कुछ ऐसे साथी भी मिले जो झूठ को भी सच में बदल देने में माहिर थे । इस प्रकार हम देखते हैं कि वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में काफी सहायक बना ।
प्रश्न 3. "नाजीवादी कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की ।" कैसे ?
उत्तर – नाजीवाद का सारा कार्यक्रम अतंक के सहारे चल रहा था । देश भर में उसने आतंक का शासन स्थापित किया । हिटलर ने वर्साय की संधि के प्रावधानों का उल्लंघन आरंभ कर दिया। उसने जुर्माने की रकम देने से साफ मना कर दिया । सार कोयला क्षेत्र से उसने फ्रांस को मार भगाया और उसपर फिर अधिकार कर लिया । 'नाजीवाद', 'साम्यवाद' का कट्टर विरोधी था। उसने जर्मनी से या तो कम्युनिस्टों को भगा दिया अथवा मरवा दिया। उसने जर्मनी के विजय अभियान को एक-एक कर आगे बढ़ाते जाने का प्रयास किया जिसमें उसे सफलता भी मिली । लेकिन जैसे ही उसने पोलैंड पर आक्रमण किया कि विश्वयुद्ध आरंभ हो गया। जर्मनी के विरोध में इंग्लैंड, फ्रांस, रूस और अमेरिका (मित्र राष्ट्र) थे तो समर्थन में जर्मनी के साथ इटली और जापान धुरी राष्ट्र थे । इस प्रकार स्पष्ट है कि 'नाजीवादी' कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की। को हिटलर का समर्थक
प्रश्न 4. क्या साम्यवाद के भय ने जर्मन पूँजीपतियों बनाया ?
उत्तर – हाँ, यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि साम्यवाद के भय ने जर्मनी के पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बना दिया। हालाँकि हिटलर पूँजीवादी नहीं था, लेकिन कम्युनिस्टों का कट्टर विरोधी था । जर्मनी की संसद में जब आग लगी तो हिटलर ने इसका सारा दोष कम्युनिस्टों के सर मढ़ा, जिसके प्रचार में पूँजीपतियों ने काफी प्रयास किया। पूँजीपतियों के प्रयास से ही जर्मनी में कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगा, हालाँकि इसका कर्त्ता-धर्ता हिटलर और उसका नाजीदल स्वयं अगुआ थे ।
प्रश्न 5. रोम-बर्लिन टोकियो धुरी क्या है ?
उत्तर – हिटलर की आक्रामक नीतियों के कारण विश्व में— खासकर यूरोप में उसका कोई देश मित्र नहीं था । इस प्रकार से विश्व विरादरी ने उसे छँटुआ बना दिया था । उसे मित्र की तलाश थी । इटली एक ऐसा देश था, जो प्रथम विश्व युद्ध में ट्रिपल एतांत के साथ था और लड़ाई में भाग लिया था, उसके बहुत सैनिक मारे गए थे और उसे भारी आर्थिक हानि हुई थी । लेकिन उससे उसे कोई लाभ नहीं हुआ था । इससे वह फ्रांस तथा इंग्लैंड दोनों से नफरत करता था । यह समझते हुए हिटलर ने उसकी ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया । उधर ऐशिया में जापान भी साम्राज्यवादियों की कतार में खड़ा था । अतः उसने इटली और जर्मनी से मित्रता कर ली । इटली की राजधानी रोम, जर्मनी की राजधानी बर्लिन तथा जापान की राजधानी टोकियो थी । अतः इन तीनों को मित्रता को रोम-बर्लिन- टोकियों धुरी कहा गया । द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इन्हीं तीनों को 'धुरी राष्ट्र' कहा जाता था ।
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