वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिन्ह है, जिनमे एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न-संख्या के सामने वह संकेत चिन्ह (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा उपयुक्त हो ।
1. भारत में जीव संरक्षण अधिनियम कब लागू हुआ ?
(क) 1982
(ख) 1972
(ग) 1992
(घ) 1985
2. भरतपुर पक्षी विहार कहाँ स्थित है ?
(क) असम
(ख) गुजरात
(ग) राजस्थान
(घ) पटना
3. भारत में कितने प्रकार की वनस्पति प्रजातियाँ पायी जाती है ?
(क) 89000
(ख) 47000
(ग) 95000
(घ) 85000
उत्तर- 1. (ख), 2. (ग), 3. (ख)
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1. भारत में तापमान चूँकि सर्वत्र पर्याप्त है अत: .............. की मात्रा वनस्पति के प्रकार को यहाँ निर्धारित कराती है ।
2. धरातल पर एक विशिष्ट प्रकार की वनस्पति या प्राणी जीवन वाले पारिस्थितिक तंत्र को ............. कहते है।
3. मनुष्य भी पारिस्थितिक तंत्र का एक ............. अंग है।
4. घड़ियाल मगरमच्छ की एक प्रजाति विश्व में केवल ................ देश में पाया जाता है ।
5. देश में जीव मंडल निश्चय (आरक्षित क्षेत्र) की कुल संख्या ..............जिसमे ............... को विश्व के जीवमंडल निचयो से सम्मिलित किया गया है ।
उत्तर-1. तापमान, 2. जीवोम, 3. अभिन्न, 4. भारत, 5. चौदह; चार ।
कारण बताओ
प्रश्न 1. हिमालय के दक्षिणी ढलान पर उत्तरी ढलान की अपेक्षा सघन वन पाए जाते हैं।
उत्तर- हिमालय के दक्षिणी ढलान पर उत्तरी ढलान की अपेक्षा सघन वन पाए जाने का कारण यह है कि दक्षिणी ढलान पर तापमान कम रहता है। धीरे-धीरे ऊँचाई के साथ तापमान घटता जाता है और बर्फ की अधिकता बढ़ती जाती है। उत्तरी ढाल पर बर्फ की ही अधिकता है। बर्फ पर वनस्पति उग ही नहीं पाती। फलतः दक्षिणी ढाल पर सघन वन पाए जाते हैं, जबकि उत्तरी ढाल वनस्पति विहीन है।
प्रश्न 2. उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन में धरातल लता-वितानों से ढँका हुआ है।
उत्तर–उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन को सदाबहार वन भी कहते हैं। इसका धरातल लता-वितानों से इस कारण ढँका रहता है कि यहाँ लगभग सालों भर वर्षा होती रहती है और थोड़े समय ही शुष्कता रहती है। इस कारण वहाँ सघन वन तो जाए ही जाते हैं, धरातल भी सदैव लता-वितानों से ढँका रहता है। ये लता-वितान इतने सघन होते हैं कि आदमी के लिए चलना कठिन रहता है।
प्रश्न 3. जैव विविधता में भारत बहुत धनी है ।
उत्तर - जैव विविधता में भारत बहुत धनी इस कारण है क्योंकि यह एक बड़ा देश है और यहाँ सभी तरह की भौगोलिक परिस्थितियाँ विद्यमान हैं। यहाँ भू-भाग का स्वरूप, मिट्टी, जलवायु, तापमान, सूर्य प्रकाश, वर्षा आदि की विविधता है। ये ही सब कारण हैं कि वनस्पति हो या जीव दोनों की विविध मात्रा काफी अधिक है। भारत में जैव विविधता के ये ही सब कारण हैं।
प्रश्न 4. झाड़ी एवं कँटीले वन में पौधों की पत्तियाँ रोएँदार, मोमी, गूद्देदार एवं छोटी होती हैं ।
उत्तर – झाड़ी एवं कँटीले वन में पौधों की पत्तियाँ रोएँदार, मोमी, गुद्देदार एवं छोटी इस कारण होती हैं क्योंकि ऐसी वनस्पतियाँ खासकर मरुस्थलों में या उसके आसपास होती हैं। वहाँ वर्षा का अभाव रहता है तथा जमीन में भी नमी का अभाव होता है । अतः पत्तियों से होकर वाष्पीकरण द्वारा पौधे से जल बाहर नहीं निकले और पौधों में नमी बनी रहे, इस कारण यहाँ के पौधों की पत्तियाँ रोएँदार, मोमी, गुद्देदार एवं छोटी होती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सिमलीपाल जीवमंडल निचय कहाँ है ?
उत्तर – सिमलीपाल जीवमंडल निचय (नेशनल पार्क) उड़ीसा में है ।
प्रश्न 2. बिहार किस प्रकार के वनस्पति प्रदेश में आता है ?
उत्तर - बिहार 'शुष्क पपाती' प्रकार के वनस्पति प्रदेश में आता है।
प्रश्न 3. हाथी किस-किस वनस्पति प्रदेश में पाया जाता है ?
उत्तर – हाथी उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन तथा उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों के आर्द्र पर्णपाती किस्म के वनस्पति प्रदेश में पाया जाता है। यदि संक्षेप में कहना हो तो कहेंगे कि हाथी 'उष्णार्द्र' वनस्पति प्रदेश में पाया जाता है।
प्रश्न 4. भारत में पाये जानेवाले कुछ सकंटग्रस्त वनस्पति एवं प्राणी के नाम बताएँ ।
उत्तर – भारत में पाई जाने वाली कुछ संकटग्रस्त वनस्पतियाँ निम्नलिखित हैं : गुलचीन, भृंगराज, अमरबेल, चन्दन, रक्त चंदन आदि ।
भारत में पाए जाने वाले कुछ संकटग्रस्त प्राणी निम्नलिखित हैं. : गुलाबी सिर वाले बत्तख गिद्ध चाहा, लालमुनिया आदि ।
प्रश्न 5. बिहार में किस वन्य प्राणी को सुरक्षित रखने के लिए वाल्मिकी नगर में प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है?
उत्तर – बिहार में हिरण और वनया सूअर को सुरक्षित रखने के लिए वाल्मिकी नगर में प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर – पारिस्थितिक तंत्र किसी खास प्रकार के जीवोम को कहते हैं। पृथ्वी पर एक खास किस्मवाले वनस्पति जगत एवं प्राणी जगतवाले विशाल पारिस्थितिक तंत्र का गठन होता है। वास्तव में पारिस्थितिक तंत्र के गठन से ही जीवोम बनता है। जीवोम अनेक प्रकार के हो सकते हैं। जैसे—मानसूनी जीवोम, मरुस्थलीय जीवोम, विषुवत रेखीय जीवोम इत्यादि । इनके अलावा भी स्थिति, परिस्थिति एवं वातावरण के अनुसार कुछ अन्य जीवोम भी हो सकते हैं, जो अपने खास पारिस्थितिक तंत्र से बने हो सकते हैं । इन सभी प्रकार के जीवोमों में एक खास किस्म के वनस्पति जगत एवं खास किस्म के प्राणी-जगत एक-दूसरे से अंतर्सम्बंधित हैं। ये सभी पृथ्वी के एक विस्तृत क्षेत्र में पाये जाते हैं।
वास्तव में पृथ्वी पर पेड़-पौधे तथा जीवों का वितरण काफी हद तक भौतिक दशाओं से प्रभावित होते हैं और अंततः भौतिक दशाओं को प्रभावित भी करते हैं। वन खास किस्म की वनस्पति और खास किस्म के प्राणी जगत को संरक्षण देते हैं और आगे चलकर ये वनस्पति और प्राणी स्वयं संरक्षण देने लगते हैं। कुल मिला-जुलाकर हम सीधे कह सकते हैं कि पेड़-पौधे तथा जीव-जंतु अपने भौतिक वातावरण से अंतर्सम्बंधित होते हैं तथा एक-दूसरे से भी सम्बंधित होते हैं। इस प्रकार ये तीनों परस्पर मिलकर एक पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण कर लेते हैं। प्राणी भी इस पारिस्थितिक तंत्र का अभिन्न अंग है तथा पादप भी । प्राणियों, खासकर मनुष्य अपने लाभ के लिए वनों की कटाई करता है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव आने लगता है। मनुष्य ही नहीं हाथी जैसे जन्तु भी वनों को नष्ट करते या बाघ या शेर हरिण जैसे जंतुओं का नाश करते हैं । परिणाम होता है कि भौतिक वातावरण की गुणवत्ता समाप्त होने लगती है। इससे पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव आकर पूरा जन-जीवन के साथ प्राणी-जगत के जीव भी लुप्त होने लगते हैं ।
प्रश्न 2. भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन कारकों द्वारा प्रभावित होता है ?
उत्तर – भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण निम्नलिखित कारकों द्वारा प्रभावित होती हैं :
(i) भू-भाग का स्वरूप- भू-भाग के स्वरूप का पादपों के प्रकार पर बहुत प्रभाव पड़ता है। पहाड़, पठार, मैदानी भागों में किसी एक ही तरह के पादप नहीं पाये जाते । पहाड़ हो या पठार— इन दोने के धरातल काफी ऊबड़-खाबड़, ऊँचा-नीचा तथा कहींकहीं दुर्गम भी होता है। फल होता है कि इन स्थानों के पादपों में काफी भिन्नता होती है। पहाड़ों और पठारों की अपेक्षा मैदान काफी समतल होते हैं और यहाँ जीवोपयोगी या मानवोपयोगी पादपों को उगाना आसान होता है। यदि धरातल समतल है, वनों से भरा है तो जीव उसे अपने लाभ के योग्य बना लेता है । इसके लिए उसे वनों को काटना तक पड़ जाता है ।
(ii) मिट्टी की बनावट-मिट्टी की बनावट के अनुसार ही उस पर पादपों की उत्पत्ति होती है और पादपों के अनुसार ही जीवों का वास या विनाश होता है । डेल्टा क्षेत्र के दलदली जमीन में सुन्दरी जैसी अच्छी लकड़ी के वृक्ष उगते हैं तथा पहाड़ और पठारों जैसे पथरीले और उबड़-खाबड़ धरती पर महँगी लकड़ी के वृक्ष भी उग सकते हैं किन्तु मनुष्य जैसा जीव वहाँ नहीं रह सकता, भले ही वन्य जीवों के लिए वह प्राकृतिक आवास हो । मनुष्य वहाँ रहने का प्रयास भी करता तो रह नहीं सकता, क्योंकि वहाँ अन्नोत्पादन आसानी से नहीं हो सकता । यदि मिट्टी ऐसी हो जो सपाट और उपजाऊ हो तो मनुष्य वहाँ बस सकता है, खेती कर सकता है, कारखाने लगा सकता है और कारखानों के लिए कच्चा माल लाने और तैयार माल को बाजार में भेजने के लिए रेल-सड़क आदि का विकास कर सकता है ।
(iii) जलवायु — जलवायु को तीन उपभागों में बाँटकर स्थिति को स्पष्ट करना आसान होगा । जैसे—(क) तापमान, (ख) सूर्य का प्रकाश तथा (ग) वर्षा की मात्रा ।
(क) तापमान – तापमान के आधार पर भी पादप तथा जीवों का वितरण निर्भर करता है। थार मरुस्थल में अत्यधिक ताप के कारण वहाँ की जनसंख्या विरल है तथा पादपों की भी कमी है ।
(ख) सूर्य का प्रकाश - सूर्य का प्रकाश भी वनस्पति की विविधता को प्रभावित करता है तथा वनस्पति की विविधता जीवों के बसाव को प्रभावित करती है। घने वन में जनसंख्या कम रहती है जबकि विरल वृक्षों वाले स्थानों में जनसंख्या अधिक रहती है।
(ग) वर्षा की मात्रा - वर्षा की मात्रा पादपों को तो प्रभावित करती ही है, उन पादपों के अन्तर्गत न केवल वृक्ष, बल्कि अन्न के पौधे भी आते हैं। वर्षा की मात्रा के आधार पर ही अन्नोत्पादन होता है और जहाँ पर्याप्त अन्न उपजता है, वहाँ जनसंख्या घनी होती है। लोग अपने साथ विभिन्न पालतू पशुओं को भी रखते हैं।
प्रश्न 3 वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत हमारे अस्तित्व के लिए क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर – वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत हमारे अस्तित्व के लिए क्यों आवश्यक है यह निम्नलिखित बातों से सिद्ध हो जाता है :
वनस्पति जगत – वनस्पति जगत हमारे अस्तित्व के लिए अत्यन्त आवश्यक है। वनों के पेड़, वृक्ष आदि हमारे जीवन के लिए आवश्यक गैसों के संतुलन को बनाए रखते हैं । ये वृक्ष ही हैं कि वातावरण में ऑक्सीजन-कार्बन डाइऑक्साइड के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं । ये हम मनुष्यों तथा अन्य जीवों द्वारा छोड़े गए साँस में वर्तमान कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर लेते हैं और बदले में आक्सीजन छोड़ते हैं, जिसे मनुष्य तथा अन्य जीव साँस द्वारा ग्रहण कर अपने को जीवित रखते हैं। जंगल वर्षा को आकर्षित करते हैं और वर्षा कराने में सहायक बनते हैं। वन या वनों के वृक्ष बाढ़ों को रोकते हैं और मृदा अपरदन नहीं होने देते । अन्ततः इससे मनुष्य ही लाभान्वित होते हैं । उपजाऊ मृदा के बचे रहने से खेतों के उपजाऊपन में कमी नहीं होने पाती | वृक्षों की पत्तियाँ उच्च कोटि की प्राकृतिक खाद बनती हैं। वनों से हमें अनेक वन्य उत्पाद प्राप्त होते हैं। इनमें से फर्निचर के लिए, भवन निर्माण के लिए मूल्यवान लकड़ियों के साथ जलावन योग्य लकड़ियाँ भी मिलती हैं। इसके अलावा पशुओं के लिए चारा, शहद, कत्था, जड़ी-बूटियाँ, मधु, रेशम, बीड़ी पत्ता, पत्तल पत्ता आदि आर्थिक महत्व की वस्तुएँ वनों से ही प्राप्त होती हैं ।
प्राणी जगत – मनुष्य स्वयं में एक प्राणी है लेकिन अपने साथ इसे गाय, बैल, बकरी, घोड़ा, गदहा, हाथी, ऊँट आदि प्राणियों को पालना पड़ता है। वनों में यदि हिरणों को रहना आवश्यक है तो बाघों का रहना भी आवश्यक है। यदि साँप हैं तो चूहों की भी आवश्यकता है। यदि वनों में हिरणों की संख्या कम होगी तो बाघों को भोजन दुर्लभ हो जाएगा। वैसी स्थिति में ये वनों के निकट ग्रामीण बस्तियों पर धावा बोलेंगे और पशुओं के साथ मनुष्यों पर भी आक्रमण करेंगे। यदि साँपों की संख्या कम हो जाय तो चूहों की संख्या इतनी बढ़ जाएगी कि ये खेतों से ही खाद्यान्नों को नष्ट करना शुरू कर देंगे।
इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे अस्तित्व के लिए वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत दोनों का रहना आवश्यक है।
मानचित्र कौशल
भारत में मानचित्र पर निम्नलिखित को प्रदर्शित करें:
1. भारत के वनस्पति प्रदेश
2. भारत के चौदह जीवमंडल निचय
उत्तर-1. भारत के वनस्पति प्रदेश
(1) सुंदर वन, (2) मन्नार की खाड़ी, (3) नीलगिरि, (4) नंदा देवी, (5) नोकरेक, (6) ग्रेट निकोबार, (7) मानस, (8) सिमलीपाल, (9) दिहांग दिबांग, (10) डिबू साइकवोच, (11) अगस्त्य मलाई, (12) कंचनजंघा, (13) पंचमढ़ी और (14) अचनकमार अमरकंटक ।
परियोजना कार्य
1. किन्हीं दस व्यवसायों का नाम पता करें जिन्हें जंगल एवं जंगली जानवरों से कच्चा माल प्राप्त होता है ।
2. परिवार के सदस्यों के जन्म दिन के अवसर पर कम-से-कम एक पौधा अवश्य लगाएँ ।
3. अपने स्कूल परिसर में औषधीय गुणों से युक्त फल (जामुन), सब्जी ( सजहन, बोरा), फूल (देशी गुलाब, सदाबहार) आदि को लगाएँ और उनकी देखभाल करें ।
4. अपने मुहल्ले एवं गाँव में भी बड़ों के साथ मिलकर उपयुक्त ऋतु में वृक्ष लगाएँ एवं उनकी देखभाल करें ।
उत्तर-संकेत: परियोजना कार्य को छात्रों को ही पूरा करना है ।
कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. जन्म (उत्पत्ति) के आधार पर वनस्पति को कितने भागों में बाँटा गया है? कौन-कौन ? संक्षेप में समझाएँ ।
उत्तर – जन्म (उत्पत्ति) के आधार पर वनस्पति को दो भागों में बाँटा गया है तथा विदेशज । स्थानीय अर्थात अपने देश की वनस्पति 'देशज' कहलाती है जबकि विदेशों से लाई गई वनस्पति 'विदेशज' कहलाती है ।
प्रश्न 2. भारत को तापमान के आधार पर कितने भागों में बाँटा गया है? प्रत्येक के औसत वार्षिक तापमान का उल्लेख करें ।
उत्तर - भारत को तापमान के उधार पर मुख्यतः चार भागों में बाँटा गया है। उनके नाम तथा औसत वार्षिक तापमान निम्नलिखित हैं :
तापमान खंड
(i) उष्ण
(ii) उपोष्ण
(iii) शीतोष्ण
(iv) अल्पाइन
औसत वार्षिक तापमान
(i) 24° से अधिक
(ii) 17° से 24° तक
(iii) 7° से 17° तक
(iv) 7° से कम
प्रश्न 3. आयुर्वेद में लगभग कितने पादपों का वर्णन है? इनमें से कितने का निरंतर उपयोग होते रहता है ? विश्व संरक्षण संघ द्वारा लाल सूची में कितने पादपों को रखा गया है ? इनमें से कितने पादप अति संकटग्रस्त हैं?
उत्तर – आयुर्वेद में लगभग 2000 पादपों का वर्णन है। इनमें से 500 पादपों का निरंतर उपयोग होते रहा है। विश्व संरक्षण संघ द्वारा लाल सूची के अंतर्गत 352 पादपों को शामिल किया गया है, जिनमें 52 पादप अति संकटग्रस्त हैं ।
प्रश्न 4. भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम कब लागू किया गया ?
उत्तर – भारत मे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में लागू किया गया ।
प्रश्न 5. प्रवासी पक्षी, खासकर साइबेरियन सारस शीतऋतु में भारत में कहाँकहाँ आते हैं ?
उत्तर – प्रवासी पक्षी, खासकर साइबेरियन सारस भारत में अनेक स्थानों पर बड़ी संख्या में आते हैं। उनमें से कुछ तो गुजरात के कच्छ - रन में, कुछ राजस्थान स्थिति भरतपुर के पक्षी विहार में तथा कुछ बिहार के कॉवरझील के पास चले आते हैं । लुकछिपकर भारी मात्रा में इनका शिकर होता है। शिकार होने से जो बच जाते हैं, वे शीतऋतु समाप्त होते ही अपने मूल स्थान को लौट जाते हैं ।