प्रश्न 1. मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है :
(a) पोषण
(b) श्वसन
(c) उत्सर्जन
(d) परिवहन
उत्तर – (c) उत्सर्जन ।
प्रश्न 2. पादप में जाइलम उत्तरदायी है :
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन
उत्तर – (a) जल का वहन ।
प्रश्न 3. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है :
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (d) उपर्युक्त सभी ।
प्रश्न 4. पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है :
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
(c) हरित लवक
(d) केंद्रक
उत्तर—(b) माइट्रोकॉण्ड्रिया ।
प्रश्न 5. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है ? यह प्रकम कहाँ होता है?
उत्तर – वसा का पाचन क्षुद्रांत्र में होता है। क्षुद्रांत्र आहारनाल का सबसे लम्बा भाग । आमाशय से भोजन क्षुद्रांत्र में प्रवेश करता है। यहाँ यकृत तथा अग्न्याशय से स्रावण प्राप्त करता है । आमाशय से आनेवाला भोजन अम्लीय होता है जो अग्न्याशय एंजाइमों की क्रिया के लिए उसे क्षारीय बनाता है। इस प्रकार वसा का इमल्सीकरण होता है और टूटकर इस प्रकार बड़ा क्षेत्र प्रदान करते हैं, जिस पर एंजाइम क्रिया कर सके । लाइपेज नामक एंजाइम में अग्न्याशय रस होता है । इमल्सीकरण हुए वसा का विखण्डन होता है । क्षुद्रान्त्र की भित्ति पर स्थापित ग्रंथियाँ क्षुद्रांत्र रस स्रावित करती हैं, जिसमें लाइपेज एंजाइम होते हैं जो वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदल देता है। यह प्रक्रम क्षुद्रांत्र में होता है ।
प्रश्न 6 भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है ?
उत्तर – लार ग्रंथि से निकलनेवाले रस को लार कहते हैं । यह भोजन को काफी मुलायम कर देता है । जब हम दाँतों से चबाकर भोजन को छोटे-छोटै टुकड़ों में बदल देते हैं तब उसमें लार एंजाइम इसमें मिल जाता है। इससे भोजन को निगलने में आसानी होती है। इसे लार एमिलेस भी कहते हैं। यह भोजन को पाचित भी करता है ।
प्रश्न 7. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं ?
उत्तर – स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ निम्नलिखित है :
(i) क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करना ।
(ii) प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में रूपान्तरित करना तथा जल अणुओं का H, तथा O, में अपघटन करना ।
(iii) कार्बन डाइऑक्साइंड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन होता है ।
(क) शर्करा, (ख) जल तथा (ग) ऑक्सीजन इसके उपोत्पाद हैं ।
प्रश्न 8. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर हैं ? कुछ जीवों के नाम लिखिए, जिनमें अवायवीय श्वसन होता है ।
उत्तर : वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में अंतर :
कुछ जीवों के नाम निम्नलिखित हैं, जिनमें अवायवीय श्वसन होता है : (i) फीताकृमि, (ii) गोलकृमि, (iii) यीस्ट जैसे सभी परजीवी ।
प्रश्न 9. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं ?
उत्तर – नलिकाओं में गुब्बारे जैसी रचना में होती है, जिसमें O, गैस अंतर्कृत हो जाती है । इसमें एक ऐसी सतह होती है, जिससे गैसों का विनिमय होता है । कूपिकाओं की भित्ति मोटी होती है, जिसमें रुधिर वाहिकाओं का बड़ा-सा जाल होता है । रुधिर शेष शरीर से CO, कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिकाएँ रुधिर वाहिका का रुधिर वायु से O, लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है।
प्रश्न 10. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर – हमारे शरीर में यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है तो ऑक्सीजन की वहन क्षमता घट जाती है। इसलिए ऑक्सीजन की कमी से होनेवाले रोग सताने लगते हैं। खासकर हीमोग्लोबिन की कमी के कारण साँस फूलने लगती है।
प्रश्न 11. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – रुधिर को शरीर में एक बार पहुँचने के लिए मानव हृदय से दो बार गुजरना पड़ता है। इसलिए इसे दोहरा परिसंचरण कहा जाता है । इसके अन्तर्गत दो परिसंचरण आते हैं : (i) सिस्टमिक परिसंचरण तथा ' (ii) परमोनरी परिसंचरण ।
(i) सिस्टमिक परिसंचरण – यह बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में ऑक्सीजनित रुधिर पहुँचाता है, जहाँ से यह शरीर के विभिन्न भागों में पम्प किया जाता है। विऑक्सीजनित रुधिर शरीर के विभिन्न हिस्सों से शिरा द्वारा इकट्ठा करके महाशिरा में डाला जाता है अन्त में यह रुधिर दाएँ अलिंद में पहुँचता है और फिर दायें अलिंद से बाएँ निलय में जाता है।
(ii) परमोनरी परिसंचरण–विऑक्सीजनित रुधिर दाएँ निलय से ऑक्सीजनित होने के लिए फेफड़ों में भेजा जाता है। ऑक्सीजनित रुधिर फिर से मानव हृदय के बाएँ अलिंद में आता है। बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में, बाएँ निलय से महाधमनी में और फिर सिस्टॉमिक परिसंचरण द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
दोहरा परिसंचरण की आवश्यकता : मानव हृदय का दायाँ तथा बायाँ हिस्सा, ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रुधिर को मिलने नहीं देते हैं। ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रुधिर के अलग-अलग रहने से शरीर में ऑक्सीजन बहुत प्रभावी तरीके से पहुँचता है। यह शरीर के तापमान को नियन्त्रित करने के लिए ऊर्जा देता रहता है ।
प्रश्न 12. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है ?
13. फुप्फुस में कुपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रण)की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए |
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