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प्रश्न 1. यदि एक 'लक्षण A' अलैगिक प्रजननवाली समदिष्ट के 10% सदस्यों में पाया जाता है तथा 'लक्षण B' उसी समष्टि में 60% जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा ।
उत्तर – पहली पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में कुछ नई विभिन्नताएँ पायी जाती हैं। इसलिए लक्षण A पहले उत्पन्न हुआ होगा। यदि ये नई विभिन्नताएँ वातावरण के अनुकूल होती हैं तो उनकी संख्या समष्टि में बढ़ जाता है ।
प्रश्न 2. विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है ?
उत्तर – किसी स्पीशीज में इन सभी विभिन्नताओं के साथ अपने अस्तित्व में रहने की सम्भावना एक समान है। प्रकृति की विविधता के आधार पर विभिन्न जीवों को विभिन्न प्रकार के लाभ हो सकते हैं । ऊष्णता को सहन करने की क्षमतावाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की संभावना अधिक होती है। पर्यावरण कारकों द्वारा उत्तम परिवर्तन का चयन जैव विकास प्रक्रम का आधार बनाता है ।
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प्रश्न 1. मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ?
उत्तर—मंडल ने दो मटर के पौधे चुने। इनमें से एक, जो मटर के लम्बे पौधे पैदा करते थे तथा दूसरा जो बौने पौधे उत्पन्न करते थे। मंडल ने दोनों पौधों का संकरण कुराया, तो प्रथम संतति पीढ़ी (F)) में सभी मटर के पौधे लम्बे उगे । इसका मतलब यह है कि लम्बाई का लक्षण F, पीढ़ी संतति में दिखाई दिया और बौनेपन का नहीं। मंडल ने F पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराया तो F, पीढ़ी में दोनों लक्षण दिखाई दिए । अर्थात् लम्बे पौधे भी और बौने पौधे भी (3 : 1 अनुपात में ) प्राप्त हुए । इसका मतलब यह है कि लम्बे होने का लक्षण प्रभावी तथा बौना होने का गुण अप्रभावी होता है ।
यह संकेत देता है कि F, पौधों द्वारा लम्बाई एवं बौने दोनों के विकल्पी गुण की वंशानुगति हुई | F, पीढ़ी में लम्बाईवाला विकल्प अपने आपको सूचित करता है। लम्वाईवाला विकल्प प्रभावी है तथा बौनेपन का विकल्प अप्रभावी है।
प्रश्न 2. मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं ?
उत्तर – मेंडल ने जब मटर के पौधे में एक विकल्पी जोड़े के स्थान पर दो विकल्पी जोड़ों का अध्ययन करने के लिए संकरण कराया । गोल बीजवाले लम्बे पौधों का यदि झुर्रीदार बीजोंवाले बौने पौधे से संकरण कराया गया तो F, पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे एवं गोलवाले लक्षण के हुए। अतः लम्बाई तथा गोल बीज प्रभावी लक्षण हैं ।
F1 पीढ़ी के पौधों का स्वपरागण करने पर :
अनुपात
(i) गोल बीजवाले लम्बे पौधे 9
(ii) गोल बीजवाले बौने पौधे 3
(iii) झुर्रीदार बीजवाले लम्बे पौधे 3
(iv) झुर्रीदार बीजवाले बौने पौधे 1
झुर्रीदार बीजवाले लम्बे पौधे तथा गोल बीजवाले बौने पौधे नये संयोजन प्रदर्शित करते हैं इससे साबित होता है कि विभिन्न विकल्पी लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगति करते हैं। इसे F2 पीढ़ी की संतति कहा जा सकता है।
प्रश्न 3. एक 'A - रुधिर वर्ग' वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग 'O' है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग 'O' है । क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षण-रुधिर वर्ग-'A' अथवा '0' प्रभावी लक्षण हैं ? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए ।
उत्तर—यह सूचना पर्याप्त नहीं है क्योंकि इस सूचना से इस बात का पता नहीं चलता है कि पिता में AA ज़ीन है या AO जीन है। पहले के आधार पर हम कह सकते हैं कि A लक्षण अधिक प्रभावी है तथा पिता में AO को जोड़ा होगा और माता में 00 होगा जबकि OO जीन पुत्री में होगा ।
प्रश्न 4. मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर—मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण का कार्य माता और पिता दोनों के गुणसूत्रों पर निर्भर करता है। महिला में गुणसूत्र X तथा X होते हैं । और पुरुष में गुणसूत्रX तथा Y होते हैं । जब बच्चा अपने पिता से X गुणसूत्र प्राप्त करता है तो वह बच्ची (लड़की) होगी और जब पिता से Y गुणसूत्र संयोग करता है तो वह लड़का होगा । Y गुणसूत्र ही लड़का होने का कारण है जो केवल पिता में रहता है। माता में केवल XX गुणसूत्र ही रहते हैं । अतः लड़का होगा या लड़की होगी, इसका उत्तरदायी केवल पिता होता है ।
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प्रश्न 1. वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है।
उत्तर – एक विशेषण लक्षणवाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में निम्नलिखित तरीकों द्वारा बढ़ सकती है :
(i) प्रथम स्थिति में जनन के दौरान एक रंग की विभिन्नता का उद्भव हो सकता है, जिससे समष्टि में लाल के बजाय एक हरा भृंग दिखाई देता है । हरा भृंग अपना रंग अपनी संतान को आहरित करता है, जिसके कारण इनकी सारी संतति का रंग हरा होगा। कौए हरी पत्तियों की झाड़ियों में हरे भृंग नहीं देख पाते हैं, उन्हें वे नहीं खा पाते हैं। जबकि लाल भृंग की संतति लगातार शिकार होती रहती है । फलस्वरूप, भृंगों की समष्टि में लाल भृंगों की अपेक्षा हरे भृंगों की संख्या बढ़ती जाती है। दूसरी स्थिति में जनन के समय एक रंग की विभिन्नता का उद्भव होता है । लेकिन इस समय भृंग का रंग लाल के स्थान पर नीला है। यह भृंग भी अपना रंग अपनी पीढ़ी के वंशानुगत कर सकता है। कौऐ नीले और लाल भृंगों को हरी पत्तियों में पहचान कर उन्हें खा सकते हैं। समष्टि का आकार जैसे-जैसे बढ़ता है, उसमें बहुत कम नीले भृंग हैं। लेकिन इस स्थिति में एक हाथी वहाँ आता है तथा उन्हें रौद देता है, जिसमें ये भृंग पाये जाते हैं। संयोगवश नीले भृंग बच जाते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं ।
प्रश्न 2. एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते । क्यों ?
उत्तर – एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण का प्रभाव कायिक ऊतकों पर पड़ता हैं, लेकिन अर्जित लक्षण अनुभव का जनन कोशिकाओं के D.N.A. पर नहीं निर्भर करता । इसलिए ये लक्षण वंशानुगत नहीं होते हैं ।
प्रश्न 3. बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय क्यों है ?
उत्तर – (i) बाघों की संख्या में कमी प्राकृतिक चयन के कारण है। उनमें अच्छे किस्म उत्पन्न नहीं हो रहे हैं जिसके कारण समष्टि का आकार नहीं बढ़ पाता है ।
(ii) समष्टि पर दुर्घटना का प्रभाव अधिक होने के कारण जीन प्रभावित हो जाता है। उनके उत्तरजीविता के कारण लाभ नहीं हो पाता है । इन कारणों से बाधों की प्रजाति लुप्त भी हो सकती है।
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प्रश्न 1. वे कौन-से कारक हैं जो नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक निम्नलिखित कारक सहायक होते हैं?
उत्तर – नयी स्पीशीज के उद्भव में । (i) प्राकृतिक चयन, (ii) आनुवंशिक विचलन, (iii) जीन प्रवाह का न होना या उसकी बहुत कमी होना, (iv) D.N.A. जैसे गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन, जिससे कि दो समष्टियों के सदस्यों की जनन कोशिकाएँ संलयन नहीं कर पातीं, (v) दो उपसमष्टियों का पूर्णरूपेण अलग होना, जिससे उनके सदस्य परस्पर लैंगिक प्रजनन नहीं कर पाते। प्रश्न 2. क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है ? क्यों या क्यों नहीं ?
उत्तर – नई स्पीशीज का उद्भव तब होता है जब एक समष्टि की दो उपसमष्टियाँ परस्पर लैंगिक जनन न कर पाएँ । लैंगिक जनन में D.N.A में आनुवंशिक विचलन एवं प्राकृतिक वरण एवं भौगोलिक पृथक्करण के कारण एक उपसमष्टि दूसरी उपसमष्टि से भिन्न होती हैं । इसलिए एक नई स्पीशीज का उद्भव होता है।
स्वपरागित स्पीशीज में अन्य जीवों से नये जीव समष्टि में नहीं आ पाते हैं। अतः, आनेवाली पीढ़ियों में नये-नये संगठन नहीं हो पाते और अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न नहीं हो पातीं । ऐसे पौधों में विभिन्नता केवल D.N.A. प्रतिकृति के समय त्रुटि के कारण D.N.A. में परिवर्तन आ जाये, जिसकी संभावना बहुत कम होती है। अतः, भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज पौधों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता है।
प्रश्न 3. क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैगिक जननवाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर—भौगोलिक पृथक्करण अलैगिक जनन जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक नहीं हो सकता है, क्योंकि अलैगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति में परस्पर बहुत कम अन्तर होता है, परंतु समानता बहुत अधिक होती है । जो थोड़ी-बहुत विविधता होती भी है वह D.N.A. प्रतिकृति के समय न्यून त्रुटियों के कारण होती है। ये नई विभिन्नताएँ इतनी मुख्य नहीं हैं जिससे किसी नई जाति का उद्भव हो सके।
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प्रश्न 1. उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं ?
उत्तर—सभी कशेरुकी जीवों में पादों की आधारभूत संरचना एक समान होती है । समजात अभिक्षण से भिन्न दिखाई देनेवाली विभिन्न स्पीशीज के बीच विकासीय सम्बन्ध की पहचान करने में सहायता मिलती है। जैसे मेढक, छिपकली, पक्षी तथा मनुष्य के अग्र पादों की आधारभूत संरचना एक समान है । यद्यपि विभिन्न कशेरुकी जीवों में भिन्नभिन्न कार्य करने के लिए बदलाव होते रहता है ।
प्रश्न 2. क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर – तितली और चमगादड़ के पंख समजात अंग नहीं होते हैं । वे समरूप अंग होते हैं, जो केवल उड़ने के काम आते हैं। चमगादड़ के पंख में अग्रपाद की अंगुली की हड्डियाँ होती हैं, जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं पायी जाती हैं।
प्रश्न 3. जीवाश्म क्या हैं ? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर – जीव की मृत्यु के बाद उसके शरीर का अपघटन हो जाता है तथा वह समाप्न हो जाता है, परन्तु कभी-कभी जीव या उसके कुछ भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं, जिस कारण इनका अपघटन पूरी तरह से नहीं हो पाता है। यदि कोई मृत कीट गर्म मिट्टी में सूखकर कठोर हो जाए तथा उस कीट के शरीर की छाप सुरक्षित रह जाए तो जीव के इस प्रकार के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं।
जीवाश्म से हमें जैव विकास के बारे में निम्नलिखित बातों की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं :
(i) जो स्पीशीज कभी जीवित थे लेकिन अब लुप्त हो गये हैं।
(ii) जीवाश्म कितने वर्षों पुराने हैं यह जीवाश्म में पाए जानेवाले किसी एक तत्त्व के विभिन्न समस्थानिकों के अनुपात के आधार पर (जीवाश्म का समय) निर्धारण किया जाता है।
(iii) यदि हम किसी स्थान की खुदाई करते हैं और एक गहराई तक खोदने के बाद हमें जीवाश्म मिलना प्रारम्भ हो जाता है तब ऐसी स्थिति में यह सोचना तर्कसंगत है कि पृथ्वी की सतह के निकटवाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं ।
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प्रश्न 1. क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़नेवाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं ?
उत्तर – आकृति, आकार, रंग रूप में भिन्न दिखाई पड़नेवाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं।
(i) इसकी जानकारी जीवाश्म अध्ययन, D.N.A, उत्खनन तथा समय निर्धारण द्वारा प्राप्त होती है। इन सभी का उद्भव अफ्रीका से हुआ है, जहाँ से वे सारे संसार में फैल गए और उनमें धीरे-धीरे आकृति, रंग तथा रूप में विभिन्नता आती गई।
(ii) किसी अन्य स्पीशीज के सदस्यों के साथ कोई अन्य स्पीशीज के सदस्य सफल लैंगिक प्रजनन नहीं कर पाते लेकिन मानव आकृति, आकार, रंग-रूप में भिन्न होते हुए भी परस्पर सफल लैंगिक प्रजनन कर सकते हैं। उनसे उत्पन्न संतति अपनी पीढ़ी बनाये रख सकती हैं। वे लोग परस्पर रक्त का आदान-प्रदान कर सकते हैं । अतः इतनी भिन्नता दिखाई देने के बावजूद, मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं।
प्रश्न 2. विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – जीवाणु, मछली, मकड़ी तथा चिम्पैंजी में शारीरिक अभिकल्प की जटिलता काफी ज्यादा है । चिम्पैंजी का शारीरिक डिजाइन, विकसित शारीरिक अंग, मस्तिष्क का जीवाणु, मकड़ी और मछली से अधिक विकसित होना तथा हाथों में अँगूठे की अँगुलियों के विपरीत होना, जिससे वे चीजें पकड़ सकें । विकास की दृष्टि से अति उत्तम नहीं कहा जा सकता। क्योंकि सरलतम अभिकल्पवाले जीवाणु का समूह विभिन्न पर्यावरण में आज भी पाए जाते हैं। जैसे जीवाणु आज भी विषम पर्यावरण जैस ऊष्ण झरने, गहरे समुद्र के गर्भ स्रोत तथा अन्टार्कटिका की बर्फ में भी पाए जाते हैं । अर्थात् यह नहीं कहा जा सकता कि चिम्पैंजी का शारीरिक अभिकल्प अन्य से उत्तम है।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. मेंडल के एक प्रयोग में लम्बे मटर के पौधे, जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों, जिनके सफेद पुष्प थे से कराया गया। उनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे । परन्तु आधे-आधे बौने थे । इससे कहा जा सकता है कि लम्बे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी : (a) TTWW (b) TTww (c) TtWW. (d) TtWw
उत्तर-(c) Ttww
प्रश्न 2. समजात अंगों का उदाहरण है:
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरि भूस्तारी
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर -(d) उपर्युक्त सभी ।
प्रश्न 3. विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है :
(a) चीन के विद्यार्थी
(b) चिम्पैंजी
(c) मकड़ी
(d) जीवाणु
उत्तर – चीन के विद्यार्थी ।
प्रश्न 4. एक अध्ययन से पता चला कि हलके रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हलकें रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हलके रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह नहीं कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग के लक्षण प्रभावी हैं या अप्रभावी हैं क्योंकि माता-पिता दोनों में ही आँखें हल्के रंग की हैं। यह हो सकता है कि माता-पिता में जीन के दोनों विकल्प अप्रभावी हों, इसलिए आँखों के रंग का दूसरा विकल्प है अथवा नहीं, संतान में हल्के रंग की आँखें पाई गई। दूसरी धारणा पर विचार करने से पता चलता है आँखों का हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है। इस अवस्था में कुछ बच्चों में आँखें गहरे रंग की होनी चाहिए | क्यांकि अप्रभावी लक्षण 4 में से 1 बच्चे में व्यक्त होना चाहिए । ।
प्रश्न 5. जैव-विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र किस प्रकार परस्पर संबंधित है ?
उत्तर – चूँकि पृथ्वी पर सरल जीवों से जटिल स्वरूपवाले जीवों का विकास हुआ। वर्गीकरण का भी यही आधार है। जीवों के शरीर के डिजाइन के आधार पर ही उनको विभिन्न वर्गों में रखा गया है । इस प्रकार जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन परस्पर सम्बन्धित है।
प्रश्न 6. समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर- समजात अंग- समजात अंग अलग-अलग स्पीशीज के जीवों में अलगअलग काम करते हैं, लेकिन इनकी आधारभूत संरचना एक समान होती हैं। मनुष्य के हाथ तथा पक्षी के पंख ये दोनों रूपान्तरित अग्र पाद हैं। इन अंगों को समजात अंग कहा जाता है।
समरूप अंग– वैसे अंग जो अलग-अलग जीवों में एक समान काम करते हैं लेकिन इनकी आधारभूत संरचना एक समान नहीं होती है, समरूप अंग कहलाते हैं। जैसे कबूतर के पंख तथा तितली के पंख दोनों उड़ने का काम करते हैं, लेकिन कबूतर के पंख में हड्डियाँ पाई जाती है जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं पाई जातीं ।
प्रश्न 7. कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए ।
उत्तर – सर्वप्रथम एक शुद्ध काली खालवाले कुत्ते (BB) तथा एक शुद्ध सफेद खालवाली कुत्तिया (WW) का चयन किया जाता है। समय पर उनका संकरण कराया जाता हैं। यदि उनमें उत्पन्न सभी पिल्ले (कुत्ते के बच्चे) काली खालवाले हैं तो काली खाल का लक्षण प्रभावी कहलाएगा |
प्रश्न 8. विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है ?
उत्तर – सामान्यत जीव की मृत्यु के बाद उसका अपघटन हो जाता है तथा वह समाप्त हो जाता है। लेकिन कभी-कभी जीव के कुछ भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं, जिनके कारण इनका अपघटन पूरी तरह से नहीं हो पाता । इस प्रकार जीवाश्म पुराने जीवों के अवशेष अथवा साँचे के अध्ययन से पता चलता कि अमुक जीव कब पाया जाता था और कब लुप्त हुआ। इसमें पहले या अब उसकी संरचना में क्या परिवर्तन हुआ था या हुआ है। इस प्रकार विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का बहुत महत्व है ।
प्रश्न 9. किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?
उत्तर – एक ब्रिटिश वैज्ञानिक जे० बी० एस० हॉल्डेन ने 1929 में यह सुझाव दिया कि जीवों की सर्वप्रथम उत्पत्ति उन् सरल अकार्बनिक अणुओं से ही हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे । उसने कल्पना की कि पृथ्वी पर उस समय का वातावरण पृथ्वी के वर्तमान वातावरण से सर्वथा भिन्न था । इस प्राथमिक वातावरण में सम्भवतः कुछ जटिल कार्बनिक अणुओं का संश्लेषण हुआ जो जीवन के लिए आवश्यक थे। सर्वप्रथम प्राथमिक जीव अन्य रासायनिक संश्लेषण द्वारा उत्पन्न हुए होंगे। यह कार्बनिक यौगिक किस प्रकार उत्पन्न हुए ? इसके उत्तर की परिकल्पना स्टेनले एल. मिलर तथा हेराल्ड सी. उरे द्वारा 1953 में किये गये प्रयोगों के आधार पर की जा सकती है। उन्होंने कृत्रिम रूप से ऐसे वातावरण का निर्माण किया जो सम्भवतः प्राथमिक / प्राचीन वातावरण के समय था। इसमें अमोनिया, मिथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे । परन्तु ऑक्सीजन के पात्र में जल भी था । इस मिश्रण को 100°C से कुछ कम तापमान पर रखा गया। गैसों के मिश्रण में चिनगारियाँ उत्पन्न की गई, जैसे आकाश में बिजली । एक सप्ताह के बाद 15% कार्बन (मिथेन से) सरल कार्बनिक यौगिक में परिवर्तन हो गए। इससे एगोची अग्ल भी अश्लोपन हुआ जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण के लिए जरूरी है।
इस प्रकार हम कह सकते है कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है
प्रश्न 10. अलैगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती है, व्याख्या कीजिए। यह लैगिक प्रजनन करनेवाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर- अलैगिक जनन में केवल एक जीव अन्न करता है। अतः संतति में विभिन्नता सभी जातो है जब D.N.A. से कम त्रुटियाँ होती है। लैंगिक जनन से दो, जनक होते जा DNA का एक-एक सेट संगति को प्रदान करते हैं। इससे संतति में भिन्न-भिन लक्षणों का समावेश होता है। अलैगिक अनन से लैगिक अनन में विविधता अपेक्षाकृत अधिक होती है। लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताओं में जीन के D.N.A, में परिवर्तन के कारण होती है। अत: से रिसर होती है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है। माकृतिक चयन के कारण वहीं विभिन्नताएँ प्रगति करती है, जो पर्यावरण के अनुकुल
प्रश्न 11 अंतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बरावर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है ?
उत्तर- मटर के गोल बीजवाले लम्बे पौधों का यदि झुर्रीदार बीजोंवाले बौने पाँधे से संकरण कराया आए तो F, पीढ़ी में लम्बे या बौने लक्षण तथा गोल झुर्रीदार लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं|
यदि संतति पौधे को जनक पौधे से सम्पूर्ण जीनों का एक पूर्ण सेट प्राप्त होता है तो चित्र में दिया गया प्रयोग सफल नहीं हो सकता। क्योंकि दो लक्षण R तथा Y सेट में एक-दूसरे से संलग्न रहेंगे तथा स्वतंत्र रूप में आहरित नहीं हो सकेंगे । वास्तव में जीन सेट केवल एक D.N.A. शृंखला के रूप में न होकर D.N.A. के अलग-अलग स्वतंत्र अणु के रूप रूप में होते हैं। इनमें से प्रत्येक गुणसूत्र की दो प्रतिकृति होती है। जिनमें से एक उन्हें नर तथा दूसरी मादा जनक से प्राप्त होते हैं प्रत्येक जनक कोशिका से गुणसूत्र के प्रत्येक जोड़े का केवल एक गुणसूत्र ही एक जनन कोशिका में जाता है। जब दो युग्मको का संलयन होता है, तो इनसे बने युग्मज में गुणसूत्र की संख्या पुनः सामान्य हो जाती है ।
प्रश्न 12. केवल वे विभिन्नताएँ, जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? क्यों एवं क्यों नहीं ?
उत्तर — हाँ, हम इस कथन से सहमत हैं, कारण कि जो विभिन्नताएँ एकल जीव के लिए उपयोगी हैं वे वर्तमान पर्यावरण के अनुकूल हैं और प्राकृतिक चयन प्रक्रम में वे अपना अस्तित्व बनाये रख सकती हैं। इसका मतलब कि समय के साथ-साथ इस भिन्नताओंवाले जीव समष्टि में प्रमुख हो जाएँगे, क्योंकि इनका लक्षण परिवर्तित पर्यावरण में जीवित रह सकते हैं । अतः ये समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रख सकते हैं ।
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