प्रश्न 1. आपको यदि अल्लाह / ईश्वर से कुछ माँगने की जरूरत हो तो आप क्या-क्या माँगेंगे ?
उत्तर – यदि मुझे अल्लाह / ईश्वर से कुछ माँगने की जरूरत होगी तो मैं ईश्वर से एक सच्चा मानव बनने की अभिलाषा प्रकट करूँगा, क्योंकि सच्चा मानव ईमानदार, सत्यवादी, कर्मठ, आचारवान्, स्नेही, त्यागी, परोपकारी, देशप्रेमी, स्वाभिमानी तथा दूसरों दुःख-सुख में हाथ बँटानेवाला होता है। किन्तु जिनमें ये गुण नहीं होते, वे स्वार्थी, ईर्ष्यालु, कुमार्गी, अभिमानी, छिद्रान्वेषी, झूठा आदि होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को लोग घृणा की दृष्टि से देखते हैं तथा इनसे सदा दूर रहने में अपनी भलाई समझते हैं। जो लोग इन दुर्गुणों से अछूते होते हैं, उन्हें हर कोई सम्मान की दृष्टि से देखता है तथा आदर्श पथ-प्रदर्शक मानता है। इसीलिए मैं एक सच्चा मानव बनाने की प्रार्थना ईश्वर से करूँगा ताकि जीवन धारण का उद्देश्य सफल हो सके ।
प्रश्न 2. कविता में संसार को बेहतर बनाने की कामना मुखर हुई है। उन कामनाओं को अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर—कोई भी देश तभी शोभा पाता है जब उस देश का नागरिक अपने देश के चतुर्दिक विकास के लिए प्रयासरत रहता है। इसके लिए देशवासियों को देशप्रेमी, त्यागी, स्वाभिमानी, कर्मनिष्ठ, सहिष्णु, पराक्रमी तथा आत्मनिर्भर होना आवश्यक होता है। इसीलिए कवि चाहता है कि संसार के सभी लोग एक स्वस्थ मानव बनें। क्योंकि जिनमें मानवता का भाव होता है, वह सारे संकीर्ण विचारों तथा भेदभावों से दूर विश्वबंधुत्व की भावना से ओतप्रोत होता है। उसमें अपने-पराया की भावना नहीं होती। वह अपने समान सबको देखता है तथा आत्मनिर्भर एवं आत्मविश्वासी होता है। अतः कविता में एक नेक इंसान में जो गुण होता हैं, उन्हीं गुणों की प्राप्ति की कामना की गई है ताकि एक नये समाज की स्थापना हो सके ।
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. अल्लाह बुराई से बचाना मुझको तथा नेक राह में चलने की शक्ति प्रदान करना-नज़्म की किन पंक्तियों में ऐसा भाव स्पष्ट किया गया है। नज़्म की उन पंक्तियों को लिखिए ।
उत्तर : मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको,
नेक जो राह हो, उस राह पे चलाना मुझको ।
प्रश्न 2. आपके घर में या पड़ोस में बुजुर्ग होंगे, आप उनकी देखभाल कैसे करना चाहेंगे ? उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – मैं अपने घर में या पड़ोस के बुजुर्ग की देखभाल एक सदस्य के समान करूँगा। उनकी हर जरूरत का ध्यान रखूँगा। उनसे प्रेमपूर्वक बात करूँगा। उनकी हर समस्या को अपनी समस्या मानकर यथोचित प्रयास करूंगा। कोई ऐसा अवसर न आवे जिससे उन्हें आत्मकष्ट महसूस हो, इसका पूर्ण ख्याल रखूँगा। उनकी सेवा अपना परिवार मानकर करूँगा क्योंकि अंत में हर किसी को इस अवस्था से गुजरना पड़ता है। इसलिए इनकी सेवा करना मेरा पुनीत कर्तव्य है। फलतः इस कर्तव्य भावना से दूसरे भी प्रेरित होंगे, जिससे आनेवाली पीढ़ियाँ भी बुजुर्गों की सेवा करना सीखेंगी।
प्रश्न 3. अल्लाह और ईश्वर में कोई फर्क नहीं है। इस बात से आप कहाँ तक सहमत है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – अल्लाह और ईश्वर दोनों एक ही हैं। दोनों ईश्वर का ही नाम है। अल्लाह का अर्थ होता है— जो किसी के प्रेमपूर्ण पुकार या आन्तरिक (आर्त्तनाद) पुकार पर प्रकट होते हैं किंतु खुदा जो स्वयं प्रकट होकर द्रुष्टों का संहार करते हैं तथा धर्म की स्थापना करते हैं । अर्थात् जब दुष्टों के आतंक या पाप से धरती त्राहि-त्राहि करने लगती है तब ईश्वर रूप मानव प्रकट होकर संसार में शांति की स्थापना करते हैं और मानव कल्याण का संदेश देते हैं। अतः दोनों एक ही हैं। इस बात से मैं पूर्ण सहमत हूँ ।
प्रश्न 4. व्याख्या कीजिए:
(क) ज़िन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत या रब ।
इल्म की शम्अ से हो मुझको मुहब्बत या रब ।
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियों में मोहम्मद इकबाल विरचित बच्चे की दुआ से सब पाठ से ली गई है जिसमें कवि ने बच्चे के हार्दिक मनोभावों पर प्रकाश डाला है|
कभी का कहना है कि बच्चे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनका जीवन सदा अच्छे का जूस के प्रति समर्पित हो क्योंकि बच्चे को कार से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है ईश्वर प्रेम स्वरूप होते हैं जिसमें प्रेम की भावना प्रबल होती है उसके हर कार्य में मानवता का मूल्य निहित होता मानव अपनी मानवता के बल पर ईश्वर के समान पूज्य हो जाता है बच्चे प्रेम का पाठ पढ़ कर अपने जीवन को सफल बनाने का काम है करते हैं|
(ख) हो मेरे दम से यूं ही मेरे बदन की ज़ीनत ।
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत ।
उत्तर : कवि इकबाल ने बच्चों की हार्दिक कामना के माध्यम से स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि किसी भी देश की शोभा वहां के नागरिक होते हैं और बच्चे देश के भविष्य होते हैं इन्हीं प्रदेश का विकास तथा विनाश निर्भर करता है यदि बच्चों में देश प्रेम की भावना होती है तो उस देश के चतुर्दिक विकास होता है उस देश के और कोई आंख उठाने की हिम्मत नहीं करता और हर कोई उस देश को सम्मान की दृष्टि से देखता है इसीलिए कवि ने देश की तुलना फुलवारी से तथा बच्चों की तुलना फूल फूलों से की है क्योंकि सुंदर फूलों से फुलवारी की शोभा बढ़ती है तथा देश प्रेमी बच्चों से देश की शोभा इनका कारण है कि कोई भी देश प्रेमी ही अपनी जन्मभूमि के समान सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राण की बाजी लगाता है|
(ग) मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको ।
नेक जो राह हो, उस राह पे चलाना मुझको
उत्तर : कभी का कहना है कि बच्चे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु हमें कुमार्ग पर चलने से बचाव हमें ऐसी शक्ति प्रदान करो ताकि हम सब मार्ग पर बैठ सके और यह जीवन बेकार ना जाए बच्चों के कहने का तात्पर्य है कि पूरा ही व्यक्ति के जीवन को दीमक की तरह खा जाती है| उनमें और मानवीय संस्कार आ जाते हैं जिस कारण वे गिरना का पात्र बन जाते हैं| उनका जीवन व्यर्थ चला जाता है इसलिए बच्चे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वह एक नेक इंसान बने और मार्ग पर चलकर सबकी भलाई करें आज तक संसार में वही श्रेष्ठ मानव का लाने का अधिकारी हुए हैं जिन्होंने सद मार्ग पर चला और मानवता की सेवा की |
इन्हें भी जानिए:
प्रश्न 1. पाठ में अनेक शब्द दिए गए हैं, जिनमें नुक्ते का प्रयोग है। उर्दू के विभिन्न वर्णों के नीचे बिंदु का प्रयोग होता है। इन्हें नुक्ता कहते हैं । नुक्ते का प्रयोग पाँच वर्गों में होता है - (क), (ख), (ज), (फ) । इनके चलते अर्थों में बदलाव आ जाता है। जैसे-
काज - काम
काज़ - बटन होल
जरा - बुढ़ापा
फन - साँप का फन
फ़न - कला
ज़रा - थोड़ा
बाग - फुलवारी
खाना - किसी चीज को रखने की जगह
ख़ाना - भोजन
बाग़ - लगाम, रास
पाठ से ऐसे शब्दों को चुनकर लिखिए जिसके नीचे नुक्ता लगा है ?
उत्तर – ज़िन्दगी, जीवन, खुदाया, ज़ीनत, ज़िन्दगी, ग़रीबों, ज़इफों ।
गतिविधि :
इस कविता से मिलती-जुलती और भी कविताएँ या गीत आपने सुनी होंगी, उन्हें कक्षा में सुनाइए ।
संकेत : छात्र स्वयं करें ।