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एक छोटे पेड़ की डाली से एक बंदर का बच्चा लटका हुआ था। गगन धीरे-धीरे नन्हे बंदर के पास गया । बंदर इतना बड़ा नहीं था कि वह भाग सके। डाल पर बैठेते हुए उसने दांत किटकिटाकर गगन को डराने की कोशिश की । गगन डरा नहीं। वह बंदर के और करीब गया। बंदर घायल था । उसके मुंह से भी खून निकल रहा था ।
बंदर की दशा पर गगन को दया आ गयी । उसने सोचा बंदर को घर ले जाना चाहिए। उसने भाई से कहा, "भैया ! बंदर को पकड़ो न ।” उसके भाई ने जवाब दिया, "बंदर को पकड़ना आसान नहीं है। यह काट भी सकता है। मैं तो नहीं पकड़ सकूंगा। तुम यदि पकड़ सकते हो तो पकड़ लो।"
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वे दोनों बंदर को लेकर घर आये । बंदर भीग गया था । वह ठंड से कांप भी रहा था । गगन एक टोकरी में पुवाल ले आया । पुवाल बिछाकर उसने बंदर को उस पर बिठाया । बंदर अब भी कांप रहा था । गगन ने एक कपड़े से उसे ढंक दिया । गगन की मां, बहन और नानी ने बंदर को देखा। बंदर की दशा देखकर मां ने कहा, "गगन ! बंदर के इस छोटे बच्चे को बगीचे में छोड़ आओ । इसकी मां इसे खोजती होगी। वैसे भी जंगली जानवरों को घर में नहीं रखना चाहिए।"
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मां की दो टूक बातें सुनकर उसका मन बुझ गया। उसने तय कर लिया कि मां यदि नहीं चाहती है तो वह बंदर को नहीं पालेगा। उसने दुखी स्वर में मां से कहा, "ठीक है, मैं इसे बगीचे में छोड़ आता हूं। लेकिन इसकी थोड़ी देखभाल तो कर दूं। वरना यह ठंड और घाव से मर ही जायेगा।"
उसने एक प्याला दूध लिया। रुई को दूध में भिगोकर उसने बंदर के मुंह में दिया। बंदर चप-चपकर दूध चूसने लगा। गगन की बहन पास में ही बैठी थी। उसने कहा, "गगन ! इसके बदन का घाव एअर गन की गोली का है, समझे। हो सकता कि बंदर का यह छोटा बच्चा अपनी मां की छाती से चिपका हो और उसी समय किसी ने गोली चला दी हो। इसकी मां उसी जगह मर गयी और यह बच्चा भी घायल हो गया हो ।”
“हां, यह हो सकता है। नहीं तो इतने छोटे बच्चे को भला मां क्यों छोड़ देती?"
बंदर अपनी गर्दन इधर-उधर करते हुए टुकुर-टुकुर ताक रहा था । "गगन ! बंदर की आंखें बड़ी प्यारी हैं।” "हां, बिलकुल छोटे बच्चे की तरह, हैं न दीदी ।” “हां, बिलकुल ।”
उसी समय बरामदे से मां की आवाज सुनाई पड़ी, "गगन ।” "हां, मां ।”
“बंदर को तुरंत बगीचे में छोड़ आओ । बंदर पालतू जानवर नहीं होता, वह
बड़ा नटखट होता है। घर में उत्पात मचायेगा ।" "ठीक है मां ।” यह कहकर वह कुछ बड़बड़ाने लगा, जिसे सुनकर उसकी बहन मुंह ढंककर हंस पड़ी । इस बार एक कड़क आवाज आयी, "गगन!” “हां, बाबूजी!”
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"यह बंदर का बच्चा तुम्हें कहां मिला ?”
““बारिश थम जाये तो रात होने से पहले उसे बगीचे में छोड़ आओ। नहीं तो इसकी मां बेचैन रहेगी ।"
बाड़ी (घर) के पीछे ।”
बाबूजी की बात भी गगन को अच्छी नहीं लगी । लेकिन बाबूजी ने जब ऐसा कह दिया है तब और उपाय भी क्या है ? उसने सोचा - बंदर का बच्चा बहुत छोटा है। अच्छा ही होगा इसकी मां इसे ले जाये । लेकिन यदि इसकी मां हो ही नहीं, तब यह क्या करेगा? क्या खायेगा? रात भर बारिश में भीगता रह गया तो यह मर ही जायेगा ।
गगन ने मां के पास आकर धीरे से कहा, "मां, यह बंदर आज रात यदि
हम लोगों के घर में ही रह जाये तो क्या बुरा है ?" नहीं सुनना “अब मैं कुछ चाहती । बाबूजी ने जो कहा है वही करो । समझे कि नहीं?"
“समझ गया । थोड़ा दूध दे दो । आखिरी बार इसे पिलाकर छोड़ आऊं ।” उसने बंदर को एक बार फिर प्यार से देखा । यह सोचकर उसका मन दहल गया कि अब यह बंदर घर से चला ही जायेगा । बहन भी मन मारकर बंदर के पास से उठ गयी । वह भी समझ गयी कि अब बंदर का घर में रहना संभव नहीं । बंदर टोकरी में आराम से बैठा एकटक देख रहा था । गगन ने उसे आखिरी बार दूध पिलाया।
फिर उसने बंदर को उठाया और बगीचे की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे पनियल का एक पेड़ दिखा । उसने कुछ पनियल बंदर के लिए तोड़ लिए। गगन ने सोचा कि बंदर को यदि बगीचे में इधर-उधर रख दिया जाये तो उसकी मां खोज नहीं पायेगी । इसे उसी पेड़ पर रखना चाहिए जहां से उठाया था । गगन ने उसी छोटे पेड़ की उसी डाली पर बंदर को रखा जहां से उठाया था। उसने डाली में फंसाकर कुछ पनियल बंदर के लिए रख दिए । बंदर टुकुर-टुकुर उसे ताक रहा था। बंदर को यूं ही ताकता छोड़ गगन वापस घर की ओर चल पड़ा। घर लौटते वक्त उसके मन में तरह-तरह के विचार आने लगे। भगवान से यह प्रार्थना करते हुए वह घर लौटा कि बंदर को उसकी मां मिल जाये ।
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घर में वह गुम-राम मुंह फुलाए बैठा रहा। पढ़ने-लिखने में भी उसका मन नहीं लगा। खाना खाकर वह जल्द ही बिस्तर पर लेट गया। भयानक बिजली के कड़कने की आवाज से आधी रात में अचानक गगन की नींद टूटी बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी। तेज हवा भी इस तरह से चल रही थी कि उसके घर की छत जैसे अभी उड़ जायेगी। इस कठिन समय में उसे बंदर की याद सताने लगी। बिस्तर पर पड़ा पड़ा वह छटपटाने लगा। उसकी आंखों में आंसू आ गये। यदि बंदर की मां नहीं मिली तो रात भर की इस भयंकर बारिश में वह मर ही जायेगा। यह सोचते हुए गगन फफककर रोने लगा। उसके रोने की आवाज सुनकर उसकी मां जाग गयी । वह गगन के पास आकर बोली, "गगन, तुम डर गये क्या? चलो, मेरे पास आ जाओ।"
NOTE :- Iske Age Abhi Or Hai Wo Agale Post Me Dekhenge.
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